स्मारिका ‘द मेजेस्टिक‘ का हुआ लोकार्पण, पटना में होगा अगला एफमी गाला अवार्ड जोधपुर 31 दिसम्बार। हम हालात की शिकायत और मातम मनाने के बजाय शिक्षा और सलाहियत (हुनर) से कामयाबी की बुलन्दी तय कर सकते है। हिम्मत हारना गुनाह है हमें ऐतिहासिक सुनहरी यादों को याद करते हुए उनसे सबक लेकर तालीम और तकनीक के जरिये इस्लामी पहचान और अपने अधिकारों के साथ समाज और मुल्क की तरक्की का भागीदार बनना है। ये कहना है मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेन्ट पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे का। वे ‘अमेरिकन फेडरेशन आॅफ मुस्लिम आॅफ इण्डियन ओरिजिन‘ (एफमी) एवं मारवाड मुस्लिम एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय 26वें ‘एफमी गाला अवार्ड‘ एवं अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन के रविवार को कमला नेहरू नगर स्थित मौलाना आजाद सभागार में हुए समापन समारोह में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बोल रहे थे। प्रोफेसर अब्दुल वासे ने कहा कि भारत हमारा मादरे-वतन ही नहीं बल्कि फादर लैंड भी है इस देश से हमारा जज्बाती और रूहानी दोनों रिश्ता है क्योंकि अल्लाह के नबी को इस मुल्क से ठंडी हवाएं आती थी मुसलमान इस मुल्क के बराबर के मालिक हैं और उन्हें देश भक्ति का किसी से सर्टिफिकेट नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि हर चीज बदल सकती है लेकिन अल्लाह की सुन्नत नहीं बदलती। शिक्षा सबसे बड़ी दौलत है उसे हर हाल में हासिल करना ही होगा। हालात से मुकाबला कर के मंजिल हासिल करना ही इंसान की कामयाबी का रास्ता है। उन्होंने इस बात पर अफसोस प्रकट किया कि सरकारी मदरसे में मध्यम एवं अमीर वर्ग के सभी समुदायों के बच्चे नहीं जाते हैं जिसकी वजह से हमारे हिंदू भाइयो के उन से ताल्लुकात नहीं हो पाते उन्होंने इस बात पर भी अफसोस का इजहार किया कि मुस्लिम माता पिता अपने बच्चों की गम्भीरता से पूरी जिम्मेदारी लें तो हालात बदलने में देर नहीं लगेगी। उन्होंने शिक्षण संस्थाओं को सुझाव देते हुए उनके भविष्य की रहनुमाई के लिए काउंसलिंग सेंटर कायम करने का को कहा। बतौर मुख्य अतिथि अशफाक अहमद आईएएस स्पेशल सेक्रेटरी हायर एजुकेशन राजस्थान ने देश भर के मेधावी छात्र-छात्राओं को इसी तरह कड़ी मेहनत का हवाला देते हुए नई रचनात्मकता के साथ दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों के जरिये देश का गौरव बढ़ाने की बात कही। विशिष्ट अतिथि रिटायर्ड प्रोफेसर एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष नंदलाल कल्ला, जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर ने शब्दों की भावना के जरिये इतिहास का हवाला देते हुए मौलान अबुल कलाम आजाद मुस्लिम स्कूल के संस्थापकों की सराहना की, मारवाड सोसायटी के तालीमी मिशन को समाज के उत्थान के लिए सर्वोपरि बताया तथा इस आयोजन के लिए मुबारकबाद पेश करते हुए बच्चों से अपने अनुभव साझा किये। मारवाड मुस्लिम एज्यूकेशन एण्ड वेलफेयर सोसायटी के महासचिव मोहम्मद अतीक ने सोसायटी के 30 साल के सफर पर रोशनी डाली। इस मौके पर इण्डियाना के डॉ मोहम्मद कुतुबुद्दीन को एफमी का नया अध्यक्ष चुना गया। साथ ही अगला 27वां एफमी गाला अवार्ड पटना में किये जाने की घोषणा। कुतुबुद्दीन ने कहा कि इंसानियत के पैगाम पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने महिला एजुकेशन को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया। इस कन्वेंशन के आखिरी दिन राष्ट्रीय स्तर पर मेरिट में आये 24 राज्यों के 128 छात्र और छात्राएं जिन्हें गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रान्ज मेडल से नवाजा गया, उनके विचार एवं सुझाव भी सुने गये। अंत में एफमी व मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशन एण्ड वेलफेयर सोसायटी की संयुक्त स्मारिका ‘द मेजेस्टिक‘ का लोकार्पण भी किया गया। दूसरे सेशन में डाॅ नाकादार, अब्दुल्ला अहमद, जावेद मिर्जा और सिराज ठाकुर सहित कई अतिथियों ने भी लोगों को संबोधित किया। समारोह में एफमी के संस्थापक डाॅ अब्दुल रहमान नाकादार (मिशीगन), डाॅ इकबला अहमद व डाॅ रजिया अहमद (ओहायो), डाॅ मोहम्मद कुतुबुद्दीन (इण्डियाना), अय्यूब खान (टोरंटो), डाॅ असलम अब्दुल्लाह (लासवेगास), डाॅ हुसैन नगामिया (टेम्पा आॅरलेण्डो फ्लोरिडा), डाॅ जावेद मिर्जा (न्यूयार्क), शफी लोखंडवाला (मिशीगन), सिराज ठाकोर (टोरंटो), तय्यब पूनावाला (बर्मिंघम), डाॅ हबीब भूरावाला (सिडनी), डाॅ अब्दुल हई (पटना), डाॅ फख्रूद्दीन मोहम्मद (हैदराबाद), डाॅ अज़ीम शेरवानी (बहराईच यूपी), मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल अजीज, शब्बीर अहमद खिलजी, हाजी अबादुल्लाह कुरैशी, फजलुर्रहमान, शौकत अंसारी, मोहम्मद इस्हाक, जकी अहमद, निसार खिलजी, फिरोज काजी, सलीम खिलजी, रजिस्ट्रार डाॅ इमरान खान पठान, आमिर खान, समस्त सदस्य, एफमी के पदाधिकारी एवं देश भर से आये प्रबुद्धजन, राजनितिज्ञ, शिक्षाविद् व समाजसेवी मौजूद थे। मोहम्मद अमीन, असलम अब्दुल्ला व अय्यूब खान ने संचालन किया।
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