बीते कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी के अंदर जो उठापटक देखने को मिली है वह पार्टी के लिए एक अच्छा संकेत है. खासतौर से यह उन नेताओं के लिए अच्छा संकेत है जो पार्टी के लिए दिन-रात जमीन पर संघर्ष कर रहे हैं और समाज के एक बड़े धड़े को पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. बीते दिनों बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर टिकटों को लेकर जारी घमासान कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के मोर्चा संभालने के बाद थम सा गया है, लेकिन इसने पार्टी के कई नेताओं को एक बड़ी सीख दे दी है. जहां पार्टी ने अपने कई बड़े नेताओं पर टिकटों में गड़बड़ी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की है तो वहीं उन नेताओं को तरजीह दी है जिन्होंने जमीन पर संघर्ष किया. इसकी एक बड़ी मिसाल इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास की है.
सूत्रों के अनुसार Srinivas BV यूथ कांग्रेस के नेताओं के लिए बिहार विधानसभा चुनाव में टिकट की मांग कर रहे थे. उन्होंने मात्र 7
से 10 टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी के बड़े और वरिष्ठ नेता उनकी मांगों को दरकिनार कर रहे थे. जिसके बाद उन्होंने महसूस किया कि अगर युथ कांग्रेस के नेताओं को टिकट नहीं मिला तो फिर पार्टी में जमीन पर उनके साथ संघर्ष करने के लिए कौन खड़ा होगा?
उन्होंने ( Srinivas BV) इसकी चर्चा पार्टी के नेता और यूथ कांग्रेस के इंचार्ज कृष्णा अलवरु से की. दोनों नेताओं के बीच लंबी बैठक के बाद कृष्णा अलवरु ने फैसला किया कि इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी से करें. सूत्रों के अनुसार कृष्णा अलवरु ने इसकी शिकायत राहुल गांधी से की. जिसके बाद यूथ कांग्रेस की तमाम मांगों को स्वीकार करते हुए, वह तमाम टिकट यूथ कांग्रेस को दिए गए और उन तमाम सीटों पर यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनाव में खड़ा किया गया जिस पर उनकी दावेदारी थी.
सूत्रों ने बताया कि Srinivas BV के इस फैसले से यूथ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता गदगद हैं. जानकारों का मानना है कि यूथ कांग्रेस के लोगों से कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी को काफी अपेक्षाएं हैं. वह यूथ कांग्रेस के लोगों को हर अवसर पर प्रायरिटी देते हैं. यही वजह है कि जैसे ही उनको यूथ कांग्रेस की ओर से शिकायत मिली कि उनके कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है तत्काल राहुल गांधी ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए यूथ कांग्रेस के लोगों को टिकट देने का फैसला किया.
सूत्रों ने बताया कि जिस समय देश लॉक डाउन से जूझ रहा था. देश की तमाम बड़ी पार्टियों के बड़े नेता घरों में बंद थे और कोरोना का ऐसा डर था कि कोई घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं था, उस समय हजारों कार्यकर्ताओं के साथ यूथ कांग्रेस देश के अलग-अलग कोनों में संघर्ष कर रही थी. जहां दिल्ली में उसने इतिहासिक कैंटीन चलाकर लोगों को सहारा दिया. अपने मुख्यालय को गरीबों मजदूरों और पैदल लोगों के लिए खोला, वहीं बिहार से लेकर बंगाल कश्मीर और तमाम राज्यों में यूथ कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं को सड़क पर उतार दिया और तमाम लोगों ने पार्टी से बिना किसी आर्थिक सहयोग के अपने दम पर लोगों की मदद की.
जिससे राहुल गांधी काफी खुश थे और उन्होंने एक बार नहीं बल्कि अनेकों बार श्रीनिवास को फोन करके बधाई दी और उनका हालचाल जाना. ऐसे में अब जबकि एक बार फिर यूथ कांग्रेस के लोगों को टिकट बंटवारे में उनका स्थान मिला है, माना यह जा रहा है कि यूथ कांग्रेस के लोग एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ सड़क पर संघर्ष करते नजर आएंगे.
सूत्रों ने बताया कि जिस समय प्रियंका गांधी और राहुल गांधी हाथरस जा रहे थे उस वक्त भी डीएनडी हो या यूपी के अलग-अलग जगह वहां यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता ही संघर्ष कर रहे थे और वह अपने नेता राहुल गांधी के फैसले से खुश हैं कि राहुल गांधी ने उनकी बात सुनी और उनको टिकट देने का फैसला किया.
सूत्रों ने बताया कि 80 के दशक के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि यूथ कांग्रेस इतनी मजबूती के साथ सड़क पर उतरी है और अगर इसी तरह यूथ कांग्रेस सड़क पर संघर्ष करती रही तो कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक अच्छा संकेत होगा. यूथ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि एक समय तब था जब कांग्रेस पार्टी के मौजूदा महासचिव केरल और लक्षद्वीप मामलों के प्रभारी तारिक अनवर यूथ कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे. वह वक्त सबसे ज़्यादा मुश्किल भरा था, क्योंकि उस वक्त देश का युवा लोकनायक जयप्रकाश के कंधों पर सवारी के लिए बेताब था और उनकी ओर काफी उम्मीदों से देख रहा था. आज जब देश का युवा प्रधानमंत्री मोदी की तरफ देख रहा था, उस समय यूथ कांग्रेस ने संघर्ष किया और भाजपा सरकार की नीतियों को देश और दुनिया के सामने उजागर करने का भरसक प्रयास किया और युवाओं को सच बताने की कोशिश की. ऐसे में उस वक्त के तत्कालीन अध्यक्ष तारिक़ अनवर और मौजूदा अध्यक्ष श्रीनिवास में काफी समानता नजर आती हैं और दोनों संघर्ष करने में विश्वास रखते हैं. आज फ़र्क़ इतना ज़रूर है कि इस वक़्त मोदी सरकार से लोगों का मोह भंग हो रहा हैं, लेकिन 80 के दशक में युवा पूरी तरह LNJP के कंधों पर सवारी का रहा था.
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.