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41 साल बाद भी नहीं हल हो सका "क़ौमी स्कूल" का मसला, कैसे पढ़ेगा 'इंडिया'

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6 महीने का इंद्रा सरकार का था वादा, दिल्ली की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने लापरवाई के लिए सभी सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाई
मोहम्मद अहमद नई दिल्ली, 06 दिसम्बर, वतन समाचार न्यूज़ : बीते रोज़ दिल्ली हाईकोर्ट ने क़ौमी स्कूल के मामले की सुनवाई की। इस अवसर पर अधिवक्ता अत्यब सिद्दीकी की बुआ के निधन की वजह से उनका प्रतिनिधित्व फिरोज बख्त अहमद ने किया. पछली 15 सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस जस्टिस गीता मित्तल ने आदेश जारी किया था कि क़ौमी स्कूल की जगह और उस की इमारत के निर्माण के लिए सभी सरकारी एजेंसियां ​​दिल्ली के उपराज्यपाल से मुलाकात कर के किसी परिणाम तक पहुंचें। इस संबंध में दिल्ली के मुख्य सचिव एम.एम. कट्टी ने 01 नवंबर 2017 को अपने कार्यालय में बैठक की जिसमें बख्त के अलावा स्कूल के प्रिंसिपल मोहब्बत अली और कौमी एजुकेशन सोसायटी के अध्यक्ष ने भी हिस्सा लिया, मगर उसकी व्यथा कोर्ट तक नहीं पहुंचाई गयी, जिस पर दिल्ली सरकार के अधिवक्ता संजय घोष को फटकार भी अदालत से लगी। फिरोज बख्त अहमद ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव के साथ हुई मीटिंग काफी बेहतर रही, जिसमें मुख्य सचिव ने अपने कानूनी अधिवक्ताओं को इस सिलसिले में गौर करने और स्कूल के लिए जल्द से जल्द जमीन दिलाने की हिदायत दी. दिल्ली हाईकोर्ट में डीडीए के वकील ने बताया कि 2006 में स्कूल को जमीन अलॉट की गई थी, लेकिन दिल्ली एजुकेशन सोसाइटी में जमीन का पैसा नहीं दिया जिसकी वजह से ज़मीन किसी और को अलाट कर दी गयी. कोर्ट में बहस करते हुए फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि जहां तक बात स्कूल को जमीन देने की है तो यह जमीन जहां स्कूल है वहां से 20-25 किलोमीटर दूर दी गई थी, वहां गरीब बच्चों का पहुंचना असंभव है. जहां तक रही बात पैसा देने की तो स्कूल की बिल्डिंग को गिरा कर उस पर कब्जा कर लिया गया तो पैसा सोसाइटी क्यों दें? बख्त ने दिल्ली हाई कोर्ट से अपील की कि अदालत ऐसा फैसला सुनाऐ जिस से 41 साल पुराने केस का समाधान हो सके और टेंट में पढ़ रहे बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाया जा सके. बख्त ने कहा कि विभाजन के वक्त यहाँ के लगों ने बाड़ा हिंदू राव में ही रहने को तरजीह दी तो क्या उनको यह सिला दिया जा रहा है कि उन के बच्चों को टेंट में पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने आदेश जारी किया कि सभी सरकारी एजेंसियां एक बार फिर सर जोड़ कर मुख्य सचिव के साथ बैठे और 27 फरवरी तक इस मामले का कोई ना कोई समाधान निकालें क्योंकि मीटिंग करते करते अब वक्त काफी हो चुका है और समय अब मसले के समाधान का है. ज्ञात रहे कि उस वक़्त दिल्ली सरकार के LG जगमोहन और दूसरे अफसरों ने यक़ीन दिलाया था कि 06 महीने के अन्दर स्कूल को ज़मीन दे दी जायेगी

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