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लोकसभा संग्राम 36महागठबंधन से मोदी की भाजपा का दिल धक-धक करने लगा मोरा जिया
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशीराज्य मुख्यालय लखनऊ।महागठबंधन की बात जैसे ही शुरू होती है मोदी जी की भाजपा के माथे पर परेशानियों के बल साफ दिखाई देने लगते है उन्हीं परेशानियों को कुछ कम करने की वजह है कि सियासत में सियासी मौसम विज्ञानिक के तौर पर अपनी पहंचान बना चुके लोकजन शक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान ने अपनी उसी पहंचान का रंग रूप दिखाना शुरू किया तो मोदी की भाजपा में अपने आपको स्वयंभू चाणक्य समझने वाले अमित शाह को परेशानी होने लगी.
उन्हें लगा कि सियासी मौसम विज्ञानिक के नाम से मशहूर रामविलास पासवान अगर एनडीए से भाग गये तो यह संदेश जाएगा कि मोदी की भाजपा सत्ता से बेदख़ल होने जा रही है वह बिहार की सियासी ज़मीन के समीकरण भी बदल जाएंगे. उसे रोकने के लिए रामविलास पासवान की न चाहते हुए भी सभी शर्तों को सहर्ष स्वीकार कर लिया गया.
मोदी की भाजपा बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में बाईस सीटें जीती थी लेकिन अब वह मात्र सत्रह सीटों पर लड़ेगी और दो सीट जीतने वाला जनता दल यू भी सत्रह सीटों पर लड़ेगा और छह सीटें लोजपा को मिली है, इसके बावजूद रामविलास पासवान को असम से राज्यसभा भेजने का वादा भी किया गया है. बिहार में मोदी की भाजपा व नीतीश की जेडीयू लोजपा के सामने नतमस्तक हो गई हैं. मोदी की भाजपा ने दलील दी है कि बिहार में जेडीयू व हमारे बीच जुड़वा भाईयों जैसा मामला है. यह सियासी मजबूरी ही तो है कि दो सीट वाली भी बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़ेगी. यह बात अलग है कि चुनाव के परिणाम इनके पक्ष में आते है या नही?
गठबंधन की मजबूरी ने मोदी की भाजपा को राम मंदिर जैसे सियासी मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने के लिए मजबूर कर दिया है. अगर रामविलास पासवान भी चले जाते तो चुनाव होने से पहले ही मोदी की भाजपा व जेडीयू हार जाते. चुनावी समीकरण तो अभी भी एनडीए के अनुकूल नही लगते पर हां! इन बैसाखियों के सहारे चुनावी मैदान में जाया जा सकता है. बिहार व देश की सियासी हालात पर नज़र रखने वालों का कहना है कि लोजपा पर यक़ीन नही करना चाहिए. वह चुनाव बाद भी भागने वालों में सबसे आगे खड़े मिलेंगे जैसे उनका पिछला रिकार्ड रहा है. ख़ैर मोदी की भाजपा का हाल यह हो रहा है जैसी ही विपक्ष महागठबंधन बनाने की बात करता है तो इनका दिल धक-धक करने लगा मोरा जिया रा जलने लगा जैसे गाना याद आ जाता है।
लोकसभा संग्राम 2019 में बजरंगबली-अली, हनुमान कौन थे जैसे हिन्दू ह्रदयसम्राट समझने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें दलित बताया और उसके बाद पता नही क्या क्या नाम दिए गए क्या यही मुद्दे रहेंगे? या बढ़ती बेरोज़गारी बढ़ती महँगाई राफ़ेल में हुई कथित चोरी जो चौकीदार की सहमती से हुई, होने का आरोप है. इसी लिए चौकीदार को चोर की उपाधि से नवाज़ा जा रहा है चोर है या नही यह तो जाँच से पता चलेगा पर सरकार जेपीसी कराने से भाग रही है.
सवाल यह उठता है कि जब सरकार अपने आपको पाक-साफ मान रही है तो जेपीसी कराने से क्यों भाग रही है. इस से चौकीदार की नीयत पर सवाल उठ रहे है. उठे भी क्यों न?
ख़ैर लोजपा को रोककर मोदी शाह जोड़ी बडी राहत महसूस कर रही है. अब देखना होगा कि क्या चुनाव में हालात एनडीए के पक्ष में होंगे या महागठबंधन के पक्ष में. यह तो आने वाले समय बताएगा.
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