AU आसिफ अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि ऐसे दौर में जबकि जमीअत के दोनों धड़े मौलाना अरशद मदनी और मौलाना महमूद मदनी के साथ साथ IOS के डॉक्टर मंजूर आलम समेत कुछ अहम लोग ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरात से करीब हुए हैं, ऐसे में अंदर के लोगों का ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरात से दूर होना ठीक नहीं है.AU आसिफ अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं कि अध्यक्ष रहते हुए डॉक्टर ज़फ्रुल इस्लाम खान ने जो काम किए हैं उसे कोई नकार नहीं सकता. वह लिखते हैं कि बटला हाउस एनकाउंटर के बाद मुसलमानों में शोक का माहौल था इस माहौल से निकालने में ज़फ्रुल इस्लाम खान का बड़ा रोल था. उन के दौर में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरात के दोनों धड़े एक हुए, जो अपने आप में एक बड़ा कारनामा है. डॉक्टर ज़फ्रुल इस्लाम खान ने हिम्मत के साथ मिल्लत की रहनुमाई की और उन के दौर में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरात का तारीखी प्रोग्राम हुआ. इसी तरह नवेद हामिद ने मुशावरत की बिल्डिंग को मुस्लिमों संगठनों के लायक बनाया और उसे 09 संगठनों से बढ़ा कर 18 संगठनों तक पहुँचाया, सदस्यों के संख्या 167 से 216 हुई. ज्ञात रहे कि मोहम्मद अदीब ने इस बार (2017) भी अध्यक्ष पद के लिए इलेक्शन लड़ने का आवेदन दिया था लेकिन बीते रोज उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया. नाम वापस लेने के बाद उन्हों ने नवेद हामिद की अगुवाई वाली मुशावरत पर कई आरोप लगाए.
सभी आरोपों का जवाब देते हुए नवेद हामिद में एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि कोई भी संस्था रिवायत और दस्तूर(संविधान) दोनों से चलती है. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे मुशावरात (AIMMM) भी ऐसे ही चल रही है. नवेद हामिद ने बताया कि 2015 में जो इलेक्शन ऑफिसर थे उन को ही 2017 में भी इलेक्शन ऑफिसर नियुक्त किया गया है, तब यह दस्तूर था और अब यह दस्तूर के खिलाफ है? यह कैसे हो सकता है?उन्हों ने बताया कि 2015 के ही इलेक्शन फोर्मेट को ही इस बार भी कॉपी पेस्ट किया गया है, उसमें किसी तरह की कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. जहाँ तक अंतिम दिनों में सदस्य बनाने का मामला है तो
2015 में आमेला की आखिरी मीटिंग 3 अक्टूबर 2015 को हुई थी और इलेक्शन का नोटिफिकेशन 11 नवंबर 2015 को हुआ था, और इस दौरान 8 नामों को बढ़ाया गया था इस बार भी इसी तरह आमला की मीटिंग के बाद 14 नामों को बढ़ाया गया है. अगर यह पहले सही था तो अब कैसे गलत हो सकता है.नवेद हामिद ने बताया कि जिन 14 सदस्यों को बढ़ाया गया है उन में से मध्य प्रदेश यूनिट ने पांच नाम भेजे थे इस में से 2-3 नामों को ही मंजूरी दी गई है. इसी तरह JAH (जमीअत अहले हदीस) ने 2 नाम भेजे थे. उन्होंने बताया कि हमने किसी को भी ऐसे ही सदस्य नियुक्त नहीं किया है. उन का कहना है कि
लिंचिंग को लेकर हम पर आरोप लगाए जा रहे हैं जबकि यह आरोप बेबुनियाद हैं, हमने लिंचिंग पर एक बार नहीं कई बार बोला है और इस सिलसिले में AIMMM ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भी लिंचिंग जैसी घटनाओं पर रोक लगाने और दोषियों को दंडित करने का मुतालबा किया है, जिसकी पूरी तफसील AIMMM की वेबसाइट पर मौजूद है. नवेद हामिद ने बताया कि नदवतुल उलेमा के सीनियर उस्ताद अतीक़ बस्तवी साहब को सदस्य नियुक्त किया गया है. मैं आरोप लगाने वालों से यह पूछना चाहता हूं कि यह कोई छोटा नाम है. उन्होंने बताया कि जिन लोगों को सदस्य नियुक्त किया गया है, वह एक से बढ़कर एक है और कोई भी 19 (किसी से कम) नहीं है.
उन्हों ने बताया कि 03.75 लाख से बढ़ कर 56 लाख मुशावरत का सालाना खर्च हुआ है, और अगर मौक़ा मिला तो कुछ और किया जायेगा. उन्हों ने बताया की मै ने तो गवर्निंग बॉडी को अपना नाम भेज दिया था और उस की सहमती मिलने के बाद ही मैदान में आया हूँ.ज्ञात रहे कि नवेद हामिद कई बार कह चुके हैं कि लोग जिसे चाहें लड़ाएं. काम करने के लिए जगहों की कमी नहीं है. contact number 9971837315
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.