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अमेरिका-इसराइल की गुलामी छोड़ बैतुल मुक़द्दस की हिफाज़त के लिए आगे आये सऊदी अरब

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यरूशलम को इसराइल की राजधानी स्वीकार किए जाने के खिलाफ मजलिस उलेमा-ए-हिन्द, जमीअत उलेमा-ए-हिन्द, अहले-बैत कोंसिल और आल इंडिया इमाम संगठन ने राज घाट से राम लीला मैदान तक अमन मार्च किया और अमरीका के फैसले के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त क्या. एहतेजाज का नेतृत्व मौलाना मोहसिन तक़वी अध्यक्ष अहले-बैत कोंसिल ने किया. इस अवसर पर काफी तादाद में उलेमा और अकाबरीन ने शिरकत की। इस अवसर पर मजलिस उलेमा-ए-हिन्द, जमीअत उलेमा-ए-हिन्द, अहले-बैत कोंसिल और आल इंडिया इमाम संगठन के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्णय की निंदा करते हुए कहा कि यह बयान पूरी तरह से मानवता विरोधी और दुनिया को आग में झोंकने वाला है। हम एक अवैध और भ्रष्ट देश के रूप में इजरायल को देखते हैं।  हम विरोध मार्च कर के यह बताना चाहते हैं कि दुनिया भर के लोग आज इजरायल की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। इसराइल अपनी विध्वंसक नीतियों की वजह से बहुत जल्द दुनिया के नक्शे से मिट जाएगा! तथा इसराइल दुनिया भर में आतंकवादी संगठनों की मदद कर रहा है।
इस अवसर पर तमाम संगठनों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र से मांग किया कि मस्जिदे अक्सा तुरंत स्वतंत्र हो, इस लिए कि बैतुल मुक़द्दस मुसलमानों का है और रहेगा!
 उन्हों ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र से अपील करते हैं कि वह फिलिस्तीनियों पर इसराइल द्वारा किए जा रहे अत्याचार पर प्रतिबंध लगाए और इसराइल पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में मुक़दमा चलाया जाए। फ़ौरन, यरूशलम और गाजा पट्टी को इसराइल से हटा दिया जाना चाहिए. इस अवसर पर उन्होंने ने अरब देशों विशेषकर सऊदी अरब, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात से अमेरिका-इसराइल की गुलामी छोड़ मुसलमानों के साथ किबला-ए-अव्वल की हिफाज़त करने की अपील की. विरोध में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी भाग लिया। इस अवसर पर मजलिस उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अली हैदर गाजी, मौलाना जावेद कासमी महासचिव जमीअत उलमा हिन्द दिल्ली, मौलाना आबिद अब्बास जैदी सचिव मजलिस उलेमा मौलाना तालिब हुसैन, मोलाना मिर्ज़ा इमरान अली, मौलाना अजहर अब्बास, क़ारी फ़ैज़ुद्दीन आरिफ, मौलाना कारी फहीमुद्दीन, मौलाना मोहम्मद यूसुफ कासमी, मौलाना मोहम्मद ओवैस मौलाना इरशाद क़ासमी, मौलाना गयासुद्दीन, इरफान अली, मौलाना बाक़िर जैदी इमामे जुमा जाफराबाद, समाजसेवी जुल्फिक़ार अहमद, सैयद वली मेहदी, आरिफ, हाजी शहादत अली, मौलाना आरिफ कासमी और सैयद अली ने भी शिरकत की। अंत में जमीअत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद असद मदनी के 22 दिसंबर को देशव्यापी स्तर पर विरोध दिवस और दुआ के फैसले की घोषणा की गई, और यही घोषणा मजलिस उलेमाए हिन्द ने भी 22 किया.

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