ट्रेन में जिन लोगों ने गुलजार और उनके साथियों को मारा दरअसल उन्हें उन से नहीं बल्कि उनके मजहब से आपत्ति थी. इसीलिए उन्होंने उन की टोपी पर तंज करते हुए कहा कि हम तुम्हें टोपी पहनना सिखाएंगे.रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान पीड़ित मौलवी के 20 वर्षीय भतीजे मोहम्मद इसरार ने कहा कि आरोपियों ने हमें बर्फ की सिल्लियों से मारा. हम नहीं जानते उनका मकसद क्या था, लेकिन हमें यह एहसास हो रहा था कि उन्हें हमारी टोपी और स्कार्फ से परेशानी है. असरार के अनुसार उसके 30 वर्षीय चाचा मौलवी मोहम्मद गुलज़ार और दूसरे नौजवान साथी 17 साला अबूबक्र और 18 साला मोहम्मद मोमिन पहली बार दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन दरगाह की जियारत करने आए थे. सभी अपने सफ़र से काफी खुश थे.
मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार इसरार को कमर हाथों और सिर में गंभीर चोट आई है.वहीं मौलवी गुलजार में आपनी आप-बीती सुनाते हुए कहा कि दिल्ली से निकलते समय हमने शामली जाने वाली पैसेंजर ट्रेन पकड़ी थी. जिसमें 7 लोगों ने हम पर हमला किया. यह व्यक्ति हमारे अगले वाले कंपार्टमेंट में बैठे थे. हमें अहेड़ा स्टेशन उतरना था कि तभी एक व्यक्ति ने हमारा रास्ता रोक लिया. उन्होंने ट्रेन की खिड़की बंद कर दी और हमारे साथ मारपीट करने लगे. हम लगातार पूछते रहे कि हमारा क़ुसूर क्या है लेकिन उन्होंने उस पर कोई जवाब नहीं दिया.
अखबार के मुताबिक पीड़ितों ने दावा किया है कि जिस वक़्त उनके साथ यह सब घटना घट रही थी उस समय ट्रेन में काफी लोग मौजूद थे लेकिन सब के सब मूक दर्शक बने रहे. जब ट्रेन स्टेशन से चलने लगी तो आरोपियों ने इमरजेंसी चैन खींच ली और ट्रेन से उतर कर सुनहरा गांव की तरफ भाग गए.
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