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Breaking: तो इस तरह लुढ़क जाएगी खट्टर सरकार, पूरा हो जायेगा पांडिचेरी का बदला?

पांडिचेरी में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार गिरने के बाद अब कांग्रेस ने हरियाणा में खट्टर सरकार को घेरने का फैसला किया है. कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 5 मार्च को शुरू हो रहे हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने खट्टर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है और कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह पहले ही दिन खट्टर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.

By: वतन समाचार डेस्क

 

 

 

  • Breaking: तो इस तरह लुढ़क जाएगी खट्टर सरकार, पूरा हो जायेगा पांडिचेरी का बदला?

 

मुश्किल में खट्टर सरकार

पांडिचेरी में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस सरकार गिरने के बाद अब कांग्रेस ने हरियाणा में खट्टर सरकार को घेरने का फैसला किया है. कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 5 मार्च को शुरू हो रहे हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने खट्टर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है और कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह पहले ही दिन खट्टर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.

 

किसानों के लिए प्राइवेट मेंबर बिल भी

 सूत्रों के मुताबिक विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में करीब एक दर्जन मुद्दों को विधानसभा में उठाने पर सहमति बनी है. बैठक में तय हुआ है कि राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के बजट भाषण के बाद खट्टर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. इसके अलावा कानून में संशोधन कर उसमें किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोड़ने के लिए कांग्रेस की तरफ से एक प्राइवेट मेंबर बिल भी इसी सत्र में लाने का फैसला हुआ है.

 

कैसे आएगा अविश्वास प्रस्ताव?

जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की तरफ से देर में सही लेकिन दुरुस्त रणनीति तैयार की गई है. प्रदेश के विधानसभा सदन में मौजूद समय में कांग्रेस के 30 विधायक हैं और 18 विधायक खड़े होकर अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं, हालांकि इस को स्वीकार या अस्वीकार करना स्पीकर के विवेक पर निर्भर करता है. कांग्रेसी विधायकों के द्वारा लाए जा रहे प्रस्ताव को स्पीकर स्वीकार करते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करनी 10 दिन के अंदर जरूरी होगी, ऐसे में खट्टर सरकार की मुश्किल पूरी तरह से बढ़ सकती हैं, क्योंकि खट्टर सरकार की पूरी कोशिश होगी कि विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव ना लाए.

 

JJP मुश्किल में

 माना जा रहा है कि किसानों के मुद्दे पर JJP और निर्दलीय विधायक पिछले दिनों ही अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं, ऐसे में JJP की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. अगर वह खट्टर सरकार के साथ जाती है और आगामी विधानसभा चुनाव होते हैं या वक्त से पहले विधानसभा चुनाव होते हैं तो जेजेपी विधायकों को हार का सामना भी करना पड़ सकता है. दरअसल बीजेपी जेजेपी गठबंधन की हरियाणा में सरकार चल रही है.

 

क्या है विधानसभा का गणित

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जहां 40 विधायक जीत कर आए थे इसके बाद जेजेपी के 10 विधायकों ने अपना समर्थन दिया था, साथ ही निर्दलीय विधायकों की संख्या 7 है. वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं इसके अलावा एक विधायक गोपाल काडा है, ऐसे में कुछ विधायक इधर से उधर हुये तो खट्टर के लिए परेशानी बढ़ सकती है. हरियाणा की राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस दांव में कितना दम होगा यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन किसानों की नाराजगी और खट्टर सरकार के प्रति किसानों में पाए जाने वाले रोष से जे जे पी सकते में है, क्योंकि जेजेपी के सामने सबसे पहले अपने 10 विधायकों को अपने साथ बनाए रखना ही सबसे बड़ा चैलेंज बना हुआ है.

 

 

लगभग आधे दर्जन विधायक किसानों के समर्थन में हैं. JJP के वरिष्ठ नेता और विधायक राम कुमार गौतम कृषि कानून को रद्द करने को लेकर केंद्र से अनुरोध करने के लिए प्रस्ताव लाने को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग पहले ही कर चुके हैं. अब ऐसे में निर्दलीय विधायकों को देखा जाए तो निर्दलीय विधायकों में महान के एमएलए बलराम कुंडू शुरू से बीजेपी के खिलाफ हैं, जबकि चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान न केवल पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे चुके हैं बल्कि सरकार से समर्थन भी वापस ले चुके हैं.

 

 

कुछ ही विधायक फिलहाल खट्टर सरकार के साथ हैं, ऐसे में कांग्रेस सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो खट्टर सरकार के लिए इसे पार पाना बड़ी चुनौती होगी. याद रहे कि 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा विधानसभा में सदस्यों की संख्या देखें तो 88 है, जिसमें 40 बीजेपी 30 कांग्रेस सात निर्दलीय और 10 जेजेपी के विधायक हैं. एक विधायक गोपाल कांडा है. ऐसे में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो खट्टर सरकार को 45 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा, JJP और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बनी सरकार के पास 55 विधायकों का समर्थन हासिल था लेकिन फिलहाल 8 विधायक सरकार से अपनी नाराजगी जता चुके हैं.

 

 

 हालांकि जे जे पी के छह विधायक कृषि कानून के खिलाफ हैं और समर्थन दे रहे दो निर्दलीय विधायक भी अब उसका साथ छोड़ चुके हैं. इस तरह से आठ विधायक सरकार के खिलाफ हो गए हैं जिसके बाद खट्टर सरकार के समर्थन में फिलहाल 47 की संख्या हो रही है. ऐसी स्थिति में खट्टर सरकार को बचाने का सारा दारोमदार निर्दलीय विधायकों पर होगा.

 

 

इस बात को देखते हुए पिछले दिनों सीएम मनोहर लाल खट्टर ने निर्दलीय विधायकों के साथ लंच रखा था. ऐसे में देखना यह है कि जेजेपी किधर जाती है और हुड्डा प्रस्ताव लाते हैं तो उसके साथ कितने विधायक खड़े होते हैं.

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