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साल 2017 में उपराज्यपाल कार्यालय के विफलता का इन्केशाफ: आप का आरोप

By: Administrators

नई दिल्ली, प्रेस विज्ञप्ति: संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने में बुरी तरह से नाकाम रहा दिल्ली का उपराज्यपाल कार्यालय जिस तरह से बॉलीवुड और खेल जगत में सालभर के प्रदर्शन को आंका जाता है ठीक उसी तरह से आम आदमी पार्टी ने कोशिश की है कि दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय की संवैधानिक ज़िम्मेदारियों के अंतर्गत उनका काम कैसा रहा? उसके बारे में कुछ आंकड़े एकत्रित किए हैं। जिसके तहत ज़मीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय के प्रदर्शन को अंकित किया गया है। पार्टी कार्यालय में आयोजित हुई प्रैस कॉंफ्रेंस में बोलते हुए आम आदमी पार्टी के विधायक और दिल्ली प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि ‘जैसा कि आप सबको पता है कि राजधानी दिल्ली में दिल्ली के उपराज्यपाल के पास अनगिनत शक्तियों के साथ कोई जवाबदेही नहीं है, जवाबदेही सारी दिल्ली की चुनी हुई सरकार के खाते में दे दी गई है लेकिन उपराज्यपाल के खाते में कोई जवाबदेही नहीं है। इसीलिए आम आदमी पार्टी ने यह प्रयास किया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल के पास जो संवैधानिक शक्तियां मौजूद हैं उसके तहत साल 2017 में उनके कार्यालय का प्रदर्शन कैसा रहा है उसके सम्बंध में कुछ आंकड़े हम प्रस्तुत कर रहे हैं। पुलिस संविधान के मुताबिक़ दिल्ली के उपराज्यपाल के पास पुलिस, ज़मीन और पब्लिक ऑर्डर की ज़िम्मेदारी प्रमुख तौर पर है। सबसे पहले पुलिस की बात करते हैं। साल 2017 में अलग-अलग अपराधों की लिस्ट में उपराज्यपाल कार्यालय के नेतृत्व में दिल्ली पुलिस ने टॉप किया है, मसलन महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध हो या फिर नाबालिगों द्वारा किया गया अपराध हो, कई तरह के अपराधों की लिस्ट में एलजी साहब की दिल्ली पुलिस उपर से पहले नम्बर पर रही है। दिल्ली हाईकोर्ट की लताड़ के बावजूद भी दिल्ली पुलिस में भर्तियां नहीं की जा रही हैं जिससे कि राजधानी में पुलिस की भारी कमी है और अपराध लगातार बढ़ रहा है। हाईकोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस में 14000 पुलिसकर्मियों की कमी है लेकिन केंद्र सरकार इसे लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। ज़मीन दिल्ली के उपराज्यपाल की दूसरी बड़ी ज़िम्मेदारी ज़मीन मामलों की है। डीडीए उन्हीं के अंतर्गत काम करता है। दिल्ली सरकार को अगर स्कूल, अस्पताल, मोहल्ला क्लीनिक, बस डिपो या कोई और काम के लिए ज़मीन की ज़रुरत होती है तो दिल्ली सरकार को डीडीए पर निर्भर रहना पड़ता है। पिछले साल दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली में बनने वाले मोहल्ला क्लीनिक्स के लिए दिल्ली सरकार को एक इंच भी ज़मीन नहीं दी। दिल्ली में एफॉर्डेबल हाउसिंग स्कीम लाने की ज़िम्मेदारी डीडीए की है और डीडीए के बॉस एलजी साहब हैं। डीडीए ने अपनी ज़िम्मेदारियां नहीं निभाईं इसलिए दिल्ली में अनगिनत कच्ची कॉलोनियां बनी हुई हैं, और इस साल जो फ्लैट्स ड्रॉ के लिए निकाले उसमें तय वक्त में 12000 हज़ार फ्लैट्स के लिए बस 5000 आवेदन ही आए थे। मजबूरन एप्लिकेशन के वक्त को बढ़ाना पड़ा, और बदकिस्मती से अगर किसी का फ्लैट निकल भी गया तो उनमें से 3500 लोगों ने अपना फ्लैट वापस लौटा दिया क्योंकि उन फ्लैट्स का साइज़ और गुणवत्ता इतनी ख़राब है कि लोग उन फ्लैट्स को लेने के लिए तैयार ही नहीं हैं। सर्विसेज़ एक ऑर्डर के आधार पर दिल्ली सरकार से सर्विसेज़ को छीनकर दिल्ली के उपराज्यपाल को दे दिया गया था, जिसके तहत अफ़सरों से लेकर कर्मचारियों की ट्रांसफ़र-पोस्टिंग मौजूद है। जुलाई 2017 में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को चिठ्ठी लिखकर यह अनुरोध किया था कि दिल्ली सरकार में स्टाफ़ की कमी है जिसकी वजह से काम बाधित हो रहा है, इस वक्त तकरीबन 37 हज़ार रिक्तियां मौजूद हैं, इन भर्तियों को लेकर उपराज्यपाल कार्यालय का क्या प्लान है? इसके बाद एलजी ऑफिस ने नई भर्तियां करने कि बजाए एक आदेश सभी अफसरों को दिया कि भर्तियों और ट्रांसफ़र-पोस्टिंग की कोई फ़ाइल किसी भी मंत्री को ना दिखाई जाए। दिल्ली सरकार बार-बार यह बात पूछ रही है कि उपराज्यपाल साहब खाली पड़ी रिक्तियों को लेकर क्या कर रहे हैं और क्या योजना हैँ? लेकिन उनका ऑफिस कुछ नहीं बता रहा है। अस्पताल में नई मशीनें जंग खा रही हैं लेकिन स्टाफ़ नहीं है, दवाइयां बांटने के लिए फॉर्मासिस्ट नहीं हैं, स्कूलों में गेस्ट टीचर्स से काम चलाया जा रहा है, नए अध्यापकों की नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं। दिल्ली सरकार को बताए बिना अफ़सरों को छुट्टियों पर भेज दिया जाता है। उपराज्यपाल महोदय यह काम हैं? जहां फ़ोटो खिंचवाना होता है वहां जाकर रोड़ का उद्घाटन करके फोटो खिंचवा लेते हैं। अफ़सरों को बुलाकर मीटिंग कर लेते हैं और फिर कहा जाता है कि वे प्रदूषण को कम कर रहे हैं। कहीं कूड़ा पड़ा है तो उस कूड़े को उठवाने का आदेश देने लगते हैं और हमेशा की तरह दिल्ली सरकार के जनहित के कामों की फ़ाइलें दबाने और उन कार्यों को रोकने का काम शामिल है। दिल्ली के उपराज्यपाल का कार्यालय इस दुनिया का एकमात्र कार्यालय है जिसके पास असीमित शक्तियां है लेकिन कोई जवाबदेही नहीं है। इस पूरे आरोप पर LG ऑफिस और दिल्ली पुलिस की ओर से कोई रद्दे अमल सामने नहीं आया है, आते ही हम आप तक पहुँचाने की कोशिश करेंगे.

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