नई दिल्ली, 24 दिसम्बर, वतन समाचार डेस्क: कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने आज 2-जी स्कैम पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आप सब लोगों को याद होगा कि वो जो सनसनीखेज आंकड़े CAG ने सार्वजनिक किए थे, 1 लाख 76 हजार करोड़ का सांकेतिक घोटाला बताया था। मुल्क का माहौल खराब करने में, देश की छवि धूमिल करने में, लोगों की reputation से खिलवाड़ करने में, उस सबका कितना बड़ा योगदान था, इस पूरे मामले पर बीजेपी और CAG को देश से माफ़ी मांगनी चाहिए। एक प्रश्न पर कि लालू प्रसाद को चारा घोटाला मामले में दोषी करार दिया गया है? तिवारी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव कानूनी लड़ाई आज से नहीं लड़ रहे हैं। यह लड़ाई 1996 से चल रही है, और इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी या इस सारे मामले की शुरुआत तब हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। जहाँ तक फैसले का सवाल है या लालू यादव का सवाल है, वह और उनके वकील इससे निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। पर जो बुनियादी सवाल पैदा होता है कि, जो मुख्य आरोप है लालू प्रसाद यादव और बाकी अभियुक्तों पर …. वह मुख्य आरोप यह हैं कि, तथाकथित तौर पर जो ट्रैजरी है, उससे पैसे का गबन हुआ था। We have always believed that law should take its own course, जहाँ तक केन्द्रीय जांच ब्यूरो का सवाल है, जो आप कह रहे थे कि वह तहकीकात कर रहे हैं। देखिए CBI is behaving like a pet performing parrot of this Government और उसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जब 2-G का फैसला आया, तीन अलग-अलग फैसले हैं। जो पहला फैसला है, वो 1556 पेज का है। अभी वो फैसला अपलोड़ भी नहीं हुआ था और CBI और ED की तरफ से पहले ही बयान आ गया कि, हम अपील फाईल करेंगे। CBI और ED कोई प्राईवेट वकील नहीं है। CBI और ED स्टेट की instrumentalities हैं उन्हों ने कहा कि जहाँ तक CBI और ED का सवाल है, अगर आप उनसे उम्मीद करते हैं कि, JDU का गठबंधन है भाजपा के साथ और उनके जो मंत्री या मुख्यमंत्री हैं, उनकी जांच होगी, यह तो काल्पनिक पतंग उड़ाने वाली बात है। हम निरतंर और लगातार इस मंच से ये मांग कर चुके हैं कि सृजन घोटाले में उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बननी चाहिए और इस स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सृजन मामले की जांच करनी चाहिए। अगर भाजपा यह मानती है कि आज का फैसला जो रांची की अदालत ने सुनाया है, वह सही है, तो उसका बुनियादी आधार तो वही है जो सृजन मामले में पूरी तरह से लागू होती है। रही बात गठबंधन की तो इसका जवाब हम दे चुके हैं कि यह मामला आज तो शुरु नहीं हुआ है। यह मामला 1993-94 में शुरु हुआ था। 1993-94 और आज के बीच में राष्ट्रीय जनता दल के साथ हमारा गठबंधन भी रहा है, यूपीए–I और सरकार में शामिल भी रहे हैं, महागठबंधन का हिस्सा भी रहे हैं। तो फौजदारी के मामले और राजनीतिक गठबंधन यह दो अलग-अलग चीजें हैं।
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