मोहम्मद अहमद
नई दिल्ली, 24 दिसम्बर, वतन समाचार ब्यूरो:
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिसे-ए-मुशावरत के इलेक्शन में एक बार फिर एक नया मोड़ आ गया है. इलेक्शन की पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए मुशावरत के सदस्य और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अनीस दुर्रानी ने साकेत कोर्ट में सुरिया मालिक ग्रोवर ADJ की कोर्ट में पिटीशन दायर करके इलेक्शन को रद्द करने की अपील की थी. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने चुनाव को रद्द तो नहीं किया लेकिन आखरी फैसला आने तक चुनाव के नतीजों के एलान पर रोक लगा दी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव के नतीजे उस वक़्त तक एलान न किए जाये जब तक कि इस पूरे मामले में अदालत अपना आखरी फैसला नहीं सुना देती है.
इस पूरे मामले पर अनीस दुर्रानी के वकील अभिषेक से जब
वतन समाचार ने बात की तो उन्होंने बताया कि अदालत ने अपने फैसले में इलेक्शन को रद्द नहीं किया है. उन्होंने कहा कि अदालत ने हमारी अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इलेक्शन की प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए और 30 तारीख जो इलेक्शन की आखिरी तारीख है उस वक़्त तक जो भी बैलेट पेपर या वोटिंग होती है उसको डब्बे या सील बंद लिफाफे के अंदर बंद रखा जाए और सील को 'न' तोड़ा जाए.
अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2018 को करेगी. अधिवक्ता अभिषेक ने बताया कि अगर 15 जनवरी को भी अदालत का कोई फैसला नहीं आता है तो यही फैसला आखरी फैसले आने तक लागू होगा.
इस पूरे मामले पर
वतन समाचार से बात करते हुए मुशावरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवेद हामिद ने बताया कि अदालत ने याचिकाकर्ता की आधी बात तो मानी है, लेकिन आधी बात को मानने से इनकार कर दिया. और इलेक्शन जारी रहेगा, उन का कहना था कि याचिकाकर्ता इलेक्शन को सिरे से रद्द करने की मांग कर रहे थे जिसे अदालत ने रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि अगर इलेक्शन रद्द होता है तो या तो इलेक्शन नए सिरे से होगा या फिर अदालत के फैसले को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा और हम ऐसा करने से गुरेज़ नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर हमारे खिलाफ फैसला आता है तो हम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी नहीं चूकेंगे.
नवेद हामिद ने कहा कि मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाये जा रहे हैं वह बिलकुल बे बुनियाद हैं. मैंने कसी भी ऐसे व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया है जो क्वालीफाई 'न' करता हो, अगर मैरिट बनेगी तो सब से पहले अनीस दुर्रानी ही बहर होंगे.
ज्ञात रहे कि अनीस दुर्रानी ने पिछले इलेक्शन में नवेद हामिद की हिमायत की थी. उनके हक़ में उन्हों ने पर्चा/अपील जारी किया था. इस बारे में जब
वतन समाचार ने अनीस दुर्रानी से बात की तो उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि मैंने पिछले चुनाव में नवेद हामिद के हक़ में अपील जारी की थी, इस अपील में मेरे साथ सुल्तान अहमद मरहूम, उज़मा नाहिद और 02 दुसरे सदस्य भी शामिल थे.
उनका कहना था कि उस वक्त हमें इस बात का गुमान भी नहीं था कि नवेद हामिद मुशावरत की रूह से खेलने की कोशिश करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि नवेद हामिद मुशावरत के कानून को ताक़ पर रख कर काम कर रहे हैं. इसलिए हमने इस पूरे मामले को कोर्ट में चैलेंज किया है. उन्होंने कहा कि नावेद हामिद ने जिन लोगों को सदस्य बनाया है उन में से अक्सरीयत उन लोगों की है जो मुशावरत के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरते हैं. इस के अलावा मुशावरत में जो कुछ भी हुआ है बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो असंवैधानिक हैं. इसलिए मुशावरत को संविधानिक मर्यादाओं पर चलाना हम सदस्यों की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि मुशावरत का नेतृत्व मुफ्ती अतीकुर्रहमान डॉ सैयद महमूद जैसे अज़ीम नेता कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि क्योंकि शहाबुद्दीन साहब की ख्वाहिश थी कि वह अपनी जिंदगी में मुशावरत को नौजवानों के हाथों में सौंप दें, इसलिए उन्होंने एक एक मेंबर को फोन करके नवेद हामिद को वोट देने की अपील की थी, लेकिन शहाबुद्दीन साहब नवेद हामिद के कामों से आजिज थे इसलिए उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था.
हालांकि सभी आरोपों को नवेद हामिद बेबुनियाद करा दे रहे हैं. उन का कहना है कि हमने आईएस आईपीएस मंत्रियों पूर्व मंत्रियों सांसदों कई संस्थाओं के साथ साथ ऐसे लोगों को सदस्य बनाया है जिन में इस्माइल साहब (जो मुशावरत के बनी थे) के पोते भी शामिल हैं.
कौन सही है और कौन गलत है इस का फैसला तो अब अदालत में ही होगा, लेकिन इतना तो तय है कि अब आरोप प्रत्यारोप के बीच मुशवारत की रूह कहीं खो गयी है. और चाहे डॉ ज़फरुल इस्लाम खान हों या नवेद हामिद दोनों के दौर में मुशावरत अपने असल बानी को पहचान नहीं सकी और आज भी डॉ अब्दुल जलील फरीदी का नाम मुशावरत के बनियों की सूची में शामिल नहीं हो सका, जबकि पूर्व संसद इल्यास आज़मी और प्रो अख्तरुल वासे दोनों लोग मुशावरत का असल फाउंडर डॉ फरीदी को ही मानते हैं, और इस की पुष्टि मरहूम जावेद हबीब ने अपनी किताब में भी की है.