नई दिल्ली: पूर्व मंत्री भारत सरकार और लोक सभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता सांसद तारिक अनवर ने कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की पूर्ति के लिए यह माकूल समय है. अनवर ने कहा कि केन्द्र और बिहार में एनडीए की सरकार है, इसलिए इस मांग को पूरा कराने का यह उचित अवसर है. उन्हों ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़कर केन्द्र की एनडीए सरकार पर दबाव बनाना चाहिए.
मोदी को पत्र
प्रधान मंत्री मोदी को इस मामले में पत्र लिख कर तारिक अनवर ने कहा है कि राज्यों के बीच निधि बँटवारे के लिए 14वें वित्त आयोग ने जो फार्मूला दिया, उसके आधार पर कुल राशि में बिहार का हिस्सा 10.9 से घटकर 9.7 प्रतिशत रह गया. कारण वित्त आयोग ने क्षेत्रफल तथा प्राकृतिक वनों को अधिमानता दी। ज्ञातव्य है कि बिहार भौतिक एवं सामाजिक आधारभूत संरचना की दृष्टि से भी अत्यन्त पिछड़ा है और यहाँ कि प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। इतना ही नहीं बिहार विकास के प्रमुख मापदंडों यथा ग़रीबी रेखा, प्रति व्यक्ति आय, औद्योगीकरण एवं सामाजिक तथा भौतिक आधारभूत संरचना में राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है।
नितीश से तीखे सवाल
1- क्या बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार राज्य को अधिकार दिलाने के लिए आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन चंद्रबाबू नायडू की तरह स्वाभिमान दिखाएंगे\ क्या वे अधिकार नहीं मिलने पर एनडीए से बाहर आने का साहस दिखाएंगे\ ये सवाल नीचे दिए गए तथ्यों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं। क्या प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार इसका जवाब देंगे-
2- बिहार को 2000 में बांट कर अलग राज्य झारखंड बनाया गया। इसके साथ ही बिहार का खनिज समृध्द और उद्योगों वाला भूभाग झारखंड में चला गया। इसने बिहार को बेबस कर दिया। तब श्री नीतीश कुमार केंद्र में मंत्री थे। श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। क्या वाजपेयी सरकार ने बिहार को हुई हानि की भरपाई के लिए विशेष पैकेज देने का वादा नहीं किया था.
…सत्ता में रहना जरूरी नहीं …
तारिक अनवर ने कहा कि अगर मोदी सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देती है तो नीतीश कुमार को कुर्सी की कुर्बानी दे देनी चाहिए क्यों कि सत्ता में बने रहना जरूरी नहीं है. उन्होंने बिहार के सभी सांसदों और नेताओं से चंद्रा बाबू नायडू से सीख लेने की अपील करते हुए कहा कि इस के लिए हम को पार्टी लाइन से ऊपर उठना चाहिए.
…तो होगा जन आंदोलन
तारिक अनवर ने कहा कि हम गांधी जयंती तक (02 अक्टूबर 2018) तक इंतेज़ार करेंगे और अपनी मांग के लिए धरने प्रदर्शन करते रहेंगे, लेकिन अगर इस वक़्त तक हमारी बात नहीं मनी गयी तो फिर जन आंदोलन होगा और हम खामूश नहीं बैठेंगे, क्यों कि हमारे लिए सब से पहले बिहार का हित है. एनसीपी इस आंदोलन में शामिल होने के लिये नीतीश से भी अपील करेगी. अनवर ने कहा कि एनसीपी बिहार के सभी जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को जोड़कर इस मांग की पूर्ति के लिए व्यापक जनांदोलन शुरू करेगी.
यही एक मात्र विकल्प.
अनवर ने बिहार के विकास का हवाला देते हुए कहा कि राज्य के उज्ज्वल भविष्य के लिए विशेष राज्य का दर्जा देना ही एक मात्र विकल्प है. इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखा है. पत्र में अनवर ने प्रधानमंत्री को बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य को 1.65 लाख करोड़ रुपये का पैकेज देने के वादे का भी ध्यान दिलाते हुए कहा कि अब तक घोषित राशि का एक अंश भी नहीं मिला है.
”…नीतीश अब चुप हैं’
अनवर ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के उपरांत महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश ने इस मांग को लेकर राज्यव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रधानमंत्री के समक्ष यह मांग रखी थी. बाद में एनडीए का हिस्सा बनने पर नीतीश अब इस मांग को लेकर चुप हैं. एनसीपी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सड़क से संसद तक यह मांग प्रभावी रूप से उठाने की पहल की है.
संप्रग में वापसी की संभावना
एनडीए में असहज महसूस कर रहे नीतीश के लिये संप्रग में वापसी की संभावना के सवाल पर अनवर ने कहा ‘‘नीतीश ने महागठबंधन से अलग होकर अपने रास्ते स्वयं बंद कर लिये हैं.
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