मोहम्मद अहमद
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर वतन समाचार न्यूज़:
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात की वोर्किंग बॉडी के लिए वोट डालने का अमल शुरू हो चुका है. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के लिए कुछ 'न' मालूम लोगों की ओर से save mushawarat के नाम से एक मुहिम चलाई गई है. muslimmushawarat@gmail.com नामी ईमेल ID से मीडिया को जारी एक बयान में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के मौजूदा अध्यक्ष नवेद हामिद पर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं. और इस की उर्दू व इंग्लिश PDF फाइल भी जारी की गयी है.
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shahabuddin ltr - urdu
बयान में ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष नवेद हामिद पर आरोप है कि उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के साबिक़ सद्र सैयद शहाबुद्दीन साहब के इस्तीफे को छुपा लिया, जो उन्होंने नवेद हामिद के कामों से आजिज़ आ कर दिया था.
इस पूरे मामले पर जब नवेद हामिद से
वतन समाचार ने बात की तो उन्होंने बताया कि जहां तक बात इस्तीफे को छुपाने की है तो यह बिल्कुल बेबुनियाद और गलत है. उन्होंने कहा कि 13 फरवरी 2017 को वर्किंग बॉडी की मीटिंग में यह पेश किया गया था. इस पर पूरी बहस हुई थी. नवेद हामिद ने बताया कि अगर मान भी लिया जाए कि मैंने यह सब कुछ छुपा लिया तो इस खत की एक कॉपी ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के साबिक़ सद्र और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के मौजूदा अध्यक्ष डॉ जफर उल इस्लाम खान को भी भेजी गई थी आखिर उन्होंने यह कॉपी क्यों छुपाई.
नवेद हामिद का आरोप है कि जो लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं वह दिमागी तौर से दिवालिया हो चुके हैं. उनमें इतनी भी अख्लाकी जुर्रत नहीं कि वह आकर सामने कुछ बात कर सकें. उन के बारे में क्या कहा जाये जो लोग गुमनाम और फेक ID के जरिए से मुहिम चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोग मेरे कामों से घबराए हुए हैं. जिस तरह से मैंने ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात को सभी लोगों की आर्गेनाइजेशन बना दी और किसी एक व्यक्ति विशेष की धरोहर से उस को आजाद कराया है इसलिए यह लोग तकलीफ में हैं, लेकिन मेरा काम है काम करना और मैं इसी तरह अगर लोगों का प्यार मिलता रहा तो काम करता रहूंगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के तीन बार अध्यक्ष और दो बार वर्किंग प्रेसिडेंट रह चुके डॉक्टर ज़फ्रुल इस्लाम खान ने
वतन समाचार से बातचीत ने बताया कि जहां तक सैयद शहाबुद्दीन साहब के इस्तीफे का सवाल है तो इस्तीफे के सिर्फ उस अंश को मीटिंग में पेश किया गया था जिसमें सैयद शहाबुद्दीन साहब ने नवेद हामिद (मौजूदा अध्यक्ष) पर अपनी मनमानी करने का आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.
ज़फ्रुल इस्लाम खान ने
वतन समाचार को बताया कि इस्तीफे का मीटिंग के अंदर कोई ज़िक्र नहीं आया. उनका कहना था कि सैयद शहाबुद्दीन साहब को शायद इस बात का खदशा था कि उनके इस्तीफे और पत्र को छुपा लिया जायेगा, इसीलिए उसकी कॉपी उन्होंने मुझे भेजी होगी. अगर मैं उस कॉपी को आम कर देता तो मुझ पर यह आरोप लगता कि मैं मौजूदा अध्यक्ष को बदनाम करने की कोशिश कर रहा हूं जैसा किस इस तालुक से मुझे कई बार खबरें भी मिली हैं, इसलिए मैंने इसको आम करना मुनासिब नहीं समझा और यह अध्यक्ष की जिम्मेदारी थी कि वह सैयद शहाबुद्दीन साहब के इस्तीफे की कॉपी मीटिंग के अन्दर रखते और उस पर पूरी बहस होती, मगर ऐसा नहीं हुआ. मीटिंग में मौजूद मिम्बरों को इस की कॉपी तक नहीं दी गयी.
डॉ ज़फ्रुल इस्लाम खान ने बताया कि जहां तक सदस्यों की संख्या 154 से 216 होने की बात है तो इस पर इसलिए सवाल उठा रहा है क्योंकि नियमों को ताक पर रखकर ऐसे लोगों को सदस्य बनाया गया है जिनमें ज्यादातर वह लोग शामिल हैं जिनकी कोई खिदमात नहीं हैं और वह मौजूदा अध्यक्ष के चाहने वाले हैं. उन का कहना था कि ऐसे कम लोगों को मौक़ा मिला है जो इंतिहाई लायक और फ़ायक़ हैं. अक्सर वह लोग हैं जिनको बहुत कम लोग जानते हैं.
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात ऐसे लोगों की बॉडी है जो देश में न सिर्फ अपना नाम रखते हैं बल्कि मिल्लत के लिए उन की अज़ीम क़ुर्बानियाँ हैं. उन्होंने बताया कि पहली बार ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरात में special invitee के तौर पर लोगों को बुलाने का अमल शुरू हुआ जबकि इससे पहले इसकी कोई व्यवस्था नहीं रही है, और यही लोग मीटिंग में हंगामा करके फैसले पर असर अंदाज हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि यह बिदतअत ठीक नहीं है.
उन्होंने बताया कि अगर मौजूदा अध्यक्ष कानून कायदे के मुताबिक काम करते तो उन पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगता. एक सवाल के जवाब में ज़फ्रुल इस्लाम खान ने बताया कि अनीस दुर्रानी साहब ने इस सिलसिले में केस किया है और यह चनाव नए सिरे से होने की उम्मीद है.
स्य्यद शहाबुद्दीन साहब का इस्तीफा देखने के लिए क्लिक करें
Syed Shahabuddin letter-11-2-17
मुशावारत की ओर से सदस्यों को भेजे गया पत्र
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मुशावरत के जनरल सेक्रेट्री मुजतबा फारूक के ज़रिये लिखा गया पत्र[/caption]