NEW DELHI: क्या देश की मीडिया और भोले भाले लोगों की आँखों में धूल झोंक रहा है आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड? यह एक अहम सवाल है. यह सवाल इस लिए पैदा हो रहा है क्यों की बोर्ड ने आज लॉ कमीशन के चेयरमैन से मुलाक़ात की और मुलाक़ात के बाद दिल्ली स्थित प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिस में बोर्ड के ज़िम्मेदार लोग शरीक हुए.
अहम बात यह है की इतनी अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस से बोर्ड के महासचिव गायब रहे. बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए जो बैक्ड्रौ त्यार किया था उस से "मुस्लिम" का लफ्ज़ गायब था. उस पर लिखा था "आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड" बाद में बोर्ड के सदस्य कमाल फ़ारूक़ी ने इस पर सफाई दी और कहा कि यह प्रिंटर की गलती से हो गया है. जिस का सीधा सीधा मतलब यह है कि बोर्ड किसी भी ज़िम्मेदारी को अपने सर लेने के लिए तैयार नहीं है.
जब प्रेस रिलीज़ जारी की गयी तो संबोधित करने वालों के साथ साथ संबोधित न करने वालों का नाम भी मीडिया को जारी किया गया. जिस में एक अहम नाम असगर अली इमाम मेहदी सल्फी और दूसरा नाम शाही इमाम मस्जिद फतेहपुरी मोहम्मद मुफ़्ती मुकर्रम का है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस को जिन लोगों ने संबोधित नहीं किया उन के नाम भी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने वालों की सूची में शामिल किया गया. जब प्रेस रिलीज़ जारी की गयी तो संबोधित करने वालों के साथ साथ संबोधित न करने वालों का नाम भी मीडिया को जारी किया गया. जिस में एक अहम नाम असगर अली इमाम मेहदी सल्फी और दूसरा नाम शाही इमाम मस्जिद फतेहपुरी मोहम्मद मुफ़्ती मुकर्रम का है.
अब सवाल यह है कि एक कमरे से चलाया जाने वाला बोर्ड जब ठीक ढंग से प्रेस रिलीज़ भी जारी नहीं कर सकता तो वह मुसलमानों की लड़ाई कैसे लड़े गा.
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