नई दिल्ली: 30 जुलाई: जमीअत उलेमा हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि एन आर सी की अंतिम सूची में असम के चालीस लाख से अधिक नागरिकों का नाम शामिल न होना एक महत्वपूर्ण और गंभीर समस्या है, इस की वजह से देश के सामाजिक, और भौगोलिक ताने बाने पर गहरा असर होगा। इसलिए, किसी भी कदम को उठाने से पहले केंद्र और राज्य की सरकारें मानवता के पहलू को नजरअंदाज न करें।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीअत उलेमा हिंद इस समस्या पर काफी चिंतित है और वह असम के लोगों के अधिकार के लिए हर स्तर पर प्रतिबद्ध है और रहेगी, साथ ही इस से संबंधित सुप्रीम कोर्ट में कानूनी काम काज जारी रखेगी।
मौलाना मदनी ने असम के लोगों से विशेष अपील की है कि वे अपनी हिम्मत न हारें, जो स्थिति भी पैदा हुई है, इस को कानूनी रूप से सही करने के लिए हम सभी की जिम्मेदारी है. जिन लोगों का नाम नहीं आया है वे गंभीरता के साथ सभी आवश्यक कदम, बुनियादी जानकारी और दस्तावेज़ात इकट्ठा करें, इसके लिए किसी तरह की कोई सुस्ती और संकोच न करें. उन्हों ने कहा कि जमीअत उलेमा हिंद की सभी इकाइयों को असम में हिदायत दी गई है कि पीड़ितों के लिए कागजात की तैयारी में जुट जाएं और लोगों का सहयोग करें। उन्हों ने कहा कि इस संबंध में वकीलों और बौद्धिकों सहित लगभग 1500 लोगों का चयन किया गया है जो हर जिला स्तर पर कागज़ात बनाने में लोगों की मदद करेंगे।
मौलाना मदनी ने यह भी कहा है कि जहां कहीं अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से सख्ती की जाए, तो इस की सूचना जमीअत उलेमा स्थानीय इकाई को दी जाए, वहां का नेतृत्व इस समस्या को सुलझाने की पूरी कोशिश करेगा. ज्ञात रहे कि आज सुबह दस बजे एन आरसी की दूसरी सूची जैसे ही सामने आई, मोलाना महमूद मदनी ने जमीअत उलेमा असम के अध्यक्ष मौलाना बदरुद्दीन अजमल और हाफिज बशीर अहमद व अन्य लोगों से बातचीत करके स्थिति को समझने और आगे के काम काज के बारे में बात चीत की।
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