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पढ़िए मदरसों को लेकर क्या सोचती है मोदी सरकार और उसका गृह मंत्रालय

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फ़ाराख दिल मदरसों को तंगदिल न कहो... सपा सांसद चौधरी मुनव्वर सलीम का राज्यसभा में सवाल और मोदी हुकूमत का मदरसों को लेकर जवाब लफ्ज़-ए-आतंकवाद उस मज़हब के लिए इस्तेमाल करना जिसमें अमन की दर्स दी जाती है, जिस मज़हब के पेशवा एक अंधे कोढ़ी को भी अपने दांतों से चबाकर खाना खिलाने का अमल करते हों, जिस मज़हब की बुनियाद अखलाक़ की बुलंदी पर रखी हो, जिस मज़हब के राहबर नमाज़ के सबसे पाकीज़ा फ़रीज़े को जाते हुए भी एक यहूदी बुज़ुर्ग का इन्किसारी से लबरेज़ एहतराम करते हों, जो मज़हब हरे-भरे खेत पेड़-पौधों को भी गैरज़रूरी नुक़सान न पहुंचाने की पैरवी करता हो, जो लोग ऐसे मज़हब को आतंकवाद से जोड़ते हैं यकीनी तौर पर उन्होंने सर-सरे तौर पर इस्लाम को पढ़ा है | लेकिन आजकल कुछ लोग अपनी ज़ाती ज़िन्दगी की बुलंदगी के लिए मदरसों की जानिब अपनी नापाक उंगली उठाने की जुर्रत कर रहे हैं, फरागदिल मदरसों को तंगदिल बताने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं तब ज़रूरी हो जाता है कि मो.आज़म खां साहब के मारूफ़ शागिर्द और राज्यसभा में अपने धारदार सवालों और तक़रीरों के लिए पहचाने जाने वाले सपा सांसद चौधरी मुनव्वर सलीम का दिनांक 25 नवम्बर 2014 का स्पेशल मेंशन के तहत मोदी हुकूमत से किया गया सवाल और इस सवाल के जवाब में मौजूदा मोदी हुकूमत के गृह राज्यमंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी का लिखित जवाब मैं देश के सामने रखना चाहता हूँ - [caption id="attachment_3753" align="alignnone" width="262"] SP Member Parliament Chaudhary-Munabbar-Saleem [/caption] मोदी हुकूमत से चौधरी मुनव्वर सलीम का सवाल [caption id="attachment_3750" align="alignnone" width="774"] मोदी हुकूमत से चौधरी मुनव्वर सलीम का सवाल[/caption] मोदी हुकूमत का जवाब [caption id="attachment_3751" align="alignnone" width="584"] मोदी हुकूमत का जवाब[/caption] जिस सरकार की रिपोर्ट लिखित जवाब के रूप में राज्यसभा की प्रोपर्टी बन चुकी है, उस सरकार को भी चाहिए कि ऐसे लोग जो मज़हबी इमारतों और उसूलों को छेड़ कर मुल्क में हिंसा भड़काना चाहते हैं, उनसे सरकार जवाब भी मांगे और उन पर कार्यवाही भी करे |
तालीम को मिशन के तौर पर गरीब बच्चोँ के बीच चलाना एक काबिल-ए-कद्र अमल है लेकिन मदरसों पर कीचड उछलकर तरक्की की राहों को हासिल करने की कोशिश अफ़सोसनाक और नकाबिल-ए-बर्दाश्त है जो हिन्दोस्तानी मिलीजुली संस्क्रती को मिटाने का षड्यंत्र प्रतीत होता है |
ज़बानी तौर पर मदरसों, मस्जिदों, मंदिरों, गिरजाघरों पर अपनी प्रतिक्रिया देने वाले लोग सच्चाई से परे और और तारीख़ से नावाकिफ होते हैं. भारत का सुनहरा इतिहास और उसमें उज्जैन से लेकर शांती निकेतन पाठशालाओं की सुनहरी भूमिका इसी तरह भारत का गुजरा हुआ कल और आज़ादी की जंग से लेकर आजतक की मदरसों की पाकीज़ा भूमिका पर कोई संगठन और व्यक्ति कालौंच लगाकर दागदार बनाने का कोई भी अमल करेगा तो तारीख नस्लों तक उससे सवाल करेगी और जवाब भी मांगेगी. इन दिनों एक साहब मदरसों की भूमिका पर सवालिया निशान लगाते हुए पूँछ रहे हैं कि क्या मदरसे के आँगन से कोई डॉक्टर या इंजिनियर पैदा हुआ है? मैं उन साहब से कहना चाहता हूँ कि इंटरनेट खोलो और सतीप्रथा आन्दोलन के सबसे बड़े नेता स्वर्गीय राजा राम मोहन राय की प्रायमरी एजुकेशन का स्थल तलाशो, भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद का प्रायमरी एजुकेशन का स्थल तलाशो, गाँधीवादी नेता सचेतानन्द का प्रायमरी एजुकेशन का स्थल तलाशो तो आपको पता लगेगा कि इन मदरसों ने मुल्क को कैसे-कैसे जवाहर प्रदान किये हैं. शौकत रज़ा आब्दी की कलम से...

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