नई दिल्ली, प्रेस विज्ञप्ति: महिलाओं आंदोलन कारियों ने कृषि क़ीमत एवं मूल्य आयोग (CACP)से उन्हें दिए जाने वाले कम कीमत को लेकर सवाल किए हैं। CACP एक सरकारी संस्थान है जो कृषि मंत्रालय के सहयोग से कई कृषि उत्पाद की कीमतों का मूल्य तय करता है , साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करता है। यह देखा गया है कि CACP ने न्यूनतम समर्थन मूल्य में कोई सुधार नहीं किया है जो किसानों के लगात मूल्य को समुचित रूप से शमिल नहीं किया जाता है। वास्तव में किसान जब बाजार में जाते है तो उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं प्राप्त होता है।
महिला किसान CACP के सचिव प्रोफ़ेसर विजय पाल शर्मा से यह जानना चाहती है कि इस हालत में उसका परिवार कैसे चलेगा। किसानों की यह मांग है कि इस सन्दर्भ में बहस आम लोगों के बीच ही होनी चाहिए बंद कमरे में होने वाला मीटिंग से वर्षों से किसानों की समस्या हल नहीं हुई है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि सचिव कृषि भवन के गेट पर उनसे मिलें।
रेवाड़ी, हरियाण के किसान राजबाला यादव जी का कहना है कि ,किसान में परिवारों को भोजन ,कपड़ा,बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य आदि पर खर्च वहन करना पड़ता है।कका मानना है कि जो सालो भर कठिन परिश्रम से जो फसल उपजाते उसका कीमत बाजार के काफी कम होता है जिससे उसका लागत मूल्य भी प्राप्त नहीं हो पाता है। ऐसी परिस्थिति में वे कैसे जीवन निर्वाह कर पाएंगे? इसके साथ ही किसानों का कर्ज बढ़ता जा रहा है ,ये वो कर्ज है जो काफी शोषण कारी शर्तों पर प्राप्त किया गया है। इसे कैसे लौटाया जायगा? संकट और गहरा जाता है जब हमें प्राकृतिक संकट का सामना करना पड़ता है। परिणाम स्वरूप किसानों को आत्म हत्या करने को मजबूर होना पड़ता है।
"हम सीएसीपी को याद दिलान चाहते हैं कि लागत अनुमानों को सुधारने में उनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है, और उत्पादन की व्यापक लागत के मुकाबले कम से कम 50% लाभ मार्जिन के साथ पूर्ण लाभकारी कीमतों की सिफारिश करने और सभी किसानों के लिए कानूनी अधिकार सुनिश्चित करवाएं।किसान स्वराज नेटवर्क के कविता कुरुगंती ने कहा किहम आयोग को यह भी याद दिलाने चाहते हैं कि उसे किसानों के पक्ष में खड़े होना चाहिए और किसानों के तरीक़ाबद्ध लूट में सहभागी नही होना चाहिए",
स्वराज अभियान रेवाड़ी के कुसुम यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव अभियान में लागत का न्यूनतम 50% अधिक मूल्य का वादा भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भी शामिल था। किन्तु आज वह देश के किसानों के लिए किए गए इस वादे पुरी तरह मुकर गए हैं, जिस वादे पर उन्हें सत्ता मिली थी। देश भर के सभी किसान "भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति" के बैनर तले एकजुट हो रहे हैं ताकि सभी किसानों के वैधानिक अधिकार व लाभकारी कीमतों और ऋणमुक्ति के बारे में हमारी वैध मांगों को सुनिश्चित किया जा सके। आगामी 20 नवंबर 2017 को किसान संसद में शामिल होने के लिए देश भर से किसान दिल्ली में एकत्रित हो रहें हैं।किसान मुक्ति संसद का आयोजन किया जा रहा है।
इस प्रदर्शन में महिला किसानों को सर पर टोकरी मेऔर उसमें विभिन्न वस्तुओं को ले जाते देखा गया था, जिसके ऊपर उनको अनाज की ना मिलने वाली दाम लिखे हुई थी। महिला किसानों ने यह स्वीकार किया कि सीएसीपी के अध्यक्ष उनसे मिलने के लिए तुरंत तैयार हो गये थे और उनकी शिकायतों को सुनने के लिए उत्सुक थे। पर वह उनसे मिलने नीचे नहीं आए और किसानो के प्रतिनिधि मंडल को ही कृषि भवन के अंदर जाने की अनुमति मिली।
हालांकि, यह स्पष्ट था कि इस मामले पर बंद दरवाजे वाली चर्चा उपयोगी नहीं होगी, और इसलिए, उन्होंने अपनी बात एक नयी तरीक़े से पेश किया।
किसानो को लागत से डेढ़ गुना ज़्यादा दाम मिलने वाला मोदीजी के वादे पर कृषि भवन में सीएसीपी के अध्यक्ष ने गेंद सरकार के पाले में फेंक दी और दाम तय करने में उन्हें किसान हित के अलावा कई और चीज़ों का ध्यान रखना पड़ता है।
इससे साफ़ पता चलता है की इस देश में किसानो की चिंता किसी को नहीं है।