घृणा की राजनीति करने वाले देश में अशांति उत्पन्न करना चाहते है, यह काम अख्लाक़ से शुरू हुआ था और अब अफ्रोजुल तक ऐसे 50-60 हादसे पेश आ चुके हैं, जब दलितों या मुसलमानों का खुले आम क़त्ल किया जा चुका है। अफसोस की बात तो यह है कि ऐसी सभी घटनाओं को बीजेपी शासित राज्यों में अंजाम दिया गया। इसके अलावा यह भी लगता है कि केंद्र सरकार से उन्हें मौन समर्थन प्राप्त है. राजस्थान की घटना ने एक बार फिर देश को शर्मसार कर दिया है और पूरी दुनिया में इसकी निंदा की जा रही है. उन्हों ने कहा कि इन हालात पर क़ाबू पाने के लिए एक सियासी गठ जोड़ की जरूरत है, लेकिन राजनेता ही खुद इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं, और इसकी निंदा तक करने को तयार नहीं हैं. यदि स्थिति में सुधार नहीं आया तो उसका भयानक परिणाम होगा. उन्हों ने कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने की खुली छूट नहीं दी जा सकती. उन्हों ने कहा कि इस तरह तो घर भी नहीं चल सकता, देश तो दूर की बात है, अफ्रोजुल मामले में हिन्दू-मुस्लिम संगठनों के भारी विरोध से संबंधित प्रश्न पर मौलाना मदनी ने कहा कि धर्म से ऊपर उठकर काम कर रहे यह संगठन अंधेरे में उम्मीद की किरण हैं. एक तरफ जहां मानव अधिकारों से संबंधित कुछ संगठन और कुछ व्यक्ति काफी सक्रिय हैं वही देश के बाकी सभी लोग खासकर राजनीतिक दल मूकदर्शक बने हुए हैं.
राष्ट्रीय मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो मुसलमानों से संबंधित छोटे-मोटे मामलों में एक हंगामा बरपा किए रखता है वह राजस्थान के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे को अपने यहाँ जगह देने के लिए तय्यार नहीं है, यह तथाकथित मीडिया की नकारात्मक सोच का एक सोबूत है।मौलाना मदनी ने कहा कि सड़कों पर इस मामले पर विरोध व्यक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। कई मामलों में कई तरह से विरोध किया गया है। मौलाना मदनी ने कहा कि सेकुलर बहुसंख्यक संप्रदायिक शक्तियों से डरा हुआ है। असम में नागरिकता विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय का स्वागत करते हुए मोलाना मदनी ने कहा कि इन फैसलों से अदालत की गरिमा दोबाला हुई है. न्याय का झंडा बुलंद हुआ है। असम में पंचायत प्रमाण पत्र रद्द करने का मामला हो या मूल निवासी प्रमाण पत्र यह सब सांप्रदायिक और कट्टरपंथी दिमाग की उपज था, लेकिन न्यायालय ने न केवल असम बल्कि केंद्र सरकार के सभी तर्कों को खारिज करते हुए तथ्यों के आधार पर निर्णय दिया जिस से शांति वा न्याय क़ायम हुआ.
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.