नई दिल्ली: राज्यसभा शुक्रवार को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित हो गई है. इसके चलते तीन तलाक बिल और GST संशोधन विधेयक लटक गए. सभापति ने पक्ष और विपक्ष के बीच ताल मेल के लिए बैठक भी बुलाई थी जो बे नतीजा रही. सभापति की कोशिश थी कि गतिरोध खत्म हो लेकिन सरकार और विपक्ष दोनों अपने अपने फैसले पर अडिग रहे.
ज्ञात रहे कि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा से तीन तलाक बिल पास होने के बाद राज्यसभा में यह बिल अटक गया. सूत्रों के अनुसार बुधवार को राज्यसभा में बिल पेश किए जाने के बाद इस बात के लिए सरकार अड़ी थी कि किसी तरह से इस बिल को बगैर किसी संसोधन के पास करा लिया जाए, लेकिन विपक्ष इस बात के लिए अड़ा रहा कि हर हाल में इस को सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए.
विपक्ष के अनुसार इस बिल को पास होना चाहिए लेकिन ख़ामियों को दूर करने के बाद, जिसके बाद बुधवार को विपक्ष के हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही अगले दिन के लिए 11:00 बजे तक स्थगित कर दी गई. आशा थी कि अगले दिन सरकार दोबारा राज्यसभा में पेश कर सकती है और इस पर चर्चा हो सकती है लेकिन इस बिल पर कुछ नहीं हुआ, और बृहस्पतिवार को भी चर्चा नहीं हो सकी. जिसके बाद इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद सरकार सत्र के आखरी दिन इस बिल को चर्चा के लिए पेश करे, लेकिन आखरी दिन भी कुछ नही हुआ और दोनों ही बिल अगले सत्र तक के लिए अटक गए.
सूत्रों के अनुसार सभापति की बैठक में सरकार की तरफ से अरुण जेटली और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. सूत्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से सेलेक्ट कमेटी में कोई सदस्य मौजूद नहीं था जिसके चलते वह इसका विरोध कर रही थी. अब तीन तलाक बिल पर कोई फैसला 30 जनवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में ही होगा.
बीजेपी जो सीधा है उसे उल्टा बनाने में लगी है.
संसदीय कार्यमंत्री अंनत कुमार ने कहा था कि सरकार मुस्लिम समाज की बहनों के साथ है, लेकिन कांग्रेस इस बिल को लेकर दोहरा रवैया अख्तियार कर रही है. जबकि लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी जो सीधा है उसे उल्टा बनाने में लगी है. उन्होंने कहा कि वह बिल के समर्थन में हैं और सरकार उसकी कमियों को दूर करेंगी तो वह इसके साथ जाने को तैयार हैं.
गुरुवार को भी इस मुद्दे पर संसद में जमकर हंगामा हुआ जिसके बाद कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा. विपक्ष का कहना है कि वो भी महिलाओं का सशक्तिकरण चाहते हैं, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.
विपक्ष अपने फैसले पर अडिग.
विपक्ष गुरुवार को भी राज्यसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 को फौजदारी अपराध घोषित करने के प्रावधान वाले विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजे जाने की मांग पर अड़ा रहा. कांग्रेस के आनंद शर्मा तथा तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर रॉय द्वारा विधेयक पर दो संशोधन प्रस्तावों पर नेता सदन अरुण जेटली ने आपत्ति दर्ज की। इस पर विपक्ष विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग पर अड़ा रहा.
बिल के खिलाफ नहीं विपक्ष.
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट किया कि उनका दल तीन तलाक विधेयक के विरोध में नहीं है बल्कि इसमें मुस्लिम महिलाओं के हितों की अनदेखी किये जाने के खिलाफ है. आजाद ने कहा कि अगर विधेयक में तीन तलाक से पीड़ित महिला के पति की सजा के दौरान उसके और उसके बच्चों के भरण पोषण के इंतजाम से जुड़े प्रावधान शामिल किये जायें या सरकार इस जिम्मेदारी को वहन करे, तो उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन करने के लिये तैयार हैं.
इस बीच विपक्ष द्वारा पेश दो संशोधन प्रस्तावों पर जेटली के तर्क सुनने के बाद उपसभापति पी जे कुरियन ने व्यवस्था देते हुये कहा कि दोनों प्रस्ताव सभापति की पूर्व मंजूरी के बाद पेश किये गये हैं इसलिये ये सदन की संपत्ति हैं और सदन ही इस पर कोई फैसला कर सकता है। सत्तापक्ष द्वारा विधेयक पर चर्चा कराने पर सदन में सहमती ना बनते देख उपसभापति ने कार्यसूची के मुताबिक जीएसटी विधेयक पर चर्चा शुरू करने को कहा.