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जस्टिस लोया की मौत सवालों के घेरे में

नई दिल्ली, नवंबर 22,प्रेस विज्ञप्ति: नई दिल्ली के IWPC में एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें सीबीआई जज ब्रिजगोपाल हरिकिशन लोया की मौत के बारे में जो साक्ष्य पिछले 2 दिनों में सामने आयें हैं उसके बारे अपूर्वानंद, हरतोष सिंह बल, मनीषा सेठी, सैय्यदा हमीद और शबनम हाश्मी ने बात रखी. पिछले 3 साल में आम लोगों पर हमले, दलितों-मुसलमानों पर भीड़ द्वारा नफरती हमलों में हत्यायें, रेशनलिस्ट, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के क़त्ल ने हमें व्यथित किया है, और हमें अचानक इस नई परिस्थिति ने यह पूछने पर मजबूर किया है कि क्या अब उन न्यायधीशों और वकीलों को भी रास्ते से हटाया जाएगा जो हाँ में हाँ मिलाने के लिए तैयार नहीं हैं. जस्टिस ब्रिजगोपाल हरिकिशन लोया के पिता हरिकिशन, बहन अनुराधा बियानी और उनकी भांजी नुपुर बालाप्रसाद बियानी ने 3 साल बाद निरंजन टकले को बताया है कि किन संदिग्ध परिस्थितियों में 30 नवंबर की रात या 1 दिसम्बर 2014 की सुबह में नागपुर में जस्टिस लोया की मौत हुई. लोया, 2005 के सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की, सुनवाई कर रहे थे जिसमें मुख्य अभियुक्त अमित शाह थे–क़त्ल के समय गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री, और लोया की मौत के समय भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष. परिवार के सदस्यों के मुताबिक़ लोया जाना नहीं चाहते थे पर नागपुर में एक साथी जज की बेटी की शादी में 30 नवंबर 2014 को शिरकत करने के लिए उन्हें मनाया गया. 1 दिसम्बर 2014 को लोया परिवार के कई सदस्यों को एक फ़ोन आया एक व्यक्ति का जिसने अपना नाम जस्टिस बरदे बताते हए कहा कि जस्टिस लोया की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है, उनका पोस्ट-मार्टम हो गया है और उनका शरीर पैतृक गाँव गेटगाँव भेज दिया गया है. परिवार को बताया गया कि छाती में दर्द की शिकायत पर एक निजी डांडे अस्पताल में उन्हें एक ऑटो रिक्शा से ले जाया गया, वहां से उन्हें मेदित्रिना अस्पताल में शिफ्ट किया गया – जोकि एक दूसरा निजी अस्पताल था, वहाँ पहुँचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. आरएसएस कार्यकर्ता ईश्वर बहेती ने जस्टिस लोया के पिता को सूचित किया कि वे शरीर पैतृक गाँव पहुंचने का इंतज़ाम कर रहा है. सरिता मंदधाने, जोकि लोया की बहन हैं, और लातूर में रहती हैं, उन्हें बरदे का सुबह लगभग 5 बजे फ़ोन आया कि लोया की मौत हो गई है. वहां से वे अपने भतीजे को अस्पताल में लेने के लिए गई क्योंकि भतीजा वहां भरती था, लेकिन जब वो नागपुर के लिए निकलने लगी तो आरएसएस कार्यकर्ता ईश्वर बहेती वहां पहुँच गया और उसने ज़ोर दिया कि नागपुर न जाया जाये, क्योंकि शरीर को पैतृक स्थान भेजा जा चुका है. 11:30 बजे शरीर परिवार को दिया गया. और जस्टिस लोया के शरीर को लाने वाला एम्बुलेंस का ड्राईवर था, और कोई साथ नहीं था.
मीडिया ने बताया कि जस्टिस लोया की दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई है. लोया की बहन के मुताबिक़, उनके कालर पर खून के धब्बे थे. उनकी बेल्ट दूसरी तरफ बंधी थी, और पैंट का क्लिप टूटा हुआ था. लोया के पिता ने भी कहा कि कपड़ों पर खून के निशान थे. पोस्ट-मार्टम की रिपोर्ट के सभी कागजों पर किसी संबंधी ने दस्तखत किये गये, जिसे लोया परिवार में कोई नहीं जानता. जस्टिस लोया का फ़ोन कुछ दिन बाद लौटाया गया पर उसमें कोई डाटा नहीं था.
लोया की बहन, अनुराधा बियानी धुले महाराष्ट्र में मेडिकल डॉक्टर हैं, उन्होंने निरंजन टकले को बताया कि उनके भाई ने उनसे कहा था कि बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह ने उन्हें ‘favorable judgment’ देने के एवज़ में 100 करोड़ की रिश्वत की पेशकश की थी. The Caravan में 3 हिस्सों में सामने आई जांच रिपोर्ट कई सवाल खड़े करती है और उस कहानी पर भी ऊँगली उठाती है जो अधिकारियों ने परिवार को और दुनिया को बताया है. · पोस्ट मार्टम रिपोर्ट और परिवार को फ़ोन पर मौत की सुचना देते हुए जो समय बताया उसमें अंतर · परिवार को पोस्ट मार्टम होने के बाद सूचित किया जाना, नाकि लोया के बीमार होने के ठीक बाद या उनकी मौत के बाद · लोया 48 साल के थे, और उन्हें दिल की कोई बिमारी नहीं रही · लोया VIP गेस्ट हाउस में थे, तो उन्हें सीबीआई के एक जज होने के बावजूद वहां से ऑटो रिक्शा में एक अस्पष्ट निजी अस्पताल में ले जाया गया · पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के हर पन्ने पर “maiyatacha chulatbhau” के दस्तखत हैं उनके संबंधी के नाते, पर परिवार के अनुसार ऐसा कोई रिश्तेदार है ही नहीं · लोया के मोबाइल फोन से सारा डाटा ख़तम कर परिवार को वापस लौटाया गया · कपड़ों पर खून · आरएसएस के कार्यकर्ता का रोल, जिसने परिवार को उनका मृत शरीर कहाँ है ये बताया, और मोबाइल फ़ोन भी उसी ने परिवार को वापस किया · लोया के मृत शरीर के साथ किसी का न होना, सिवाये एम्बुलेंस ड्राईवर के · अगर नेचुरल मौत थी तो फिर पोस्ट मार्टम क्यों किया गया · कोई पंचनामा क्यों नहीं था · जस्टिस बरदे लोया के साथ नहीं गये थे, तो उन्होंने फ़ोन कॉल क्यों की · आरएसएस कार्यकर्ता को कैसे मालूम हुआ की सरिता मंदधाने किस हॉस्पिटल में थी · पोस्ट मोर्तम रिपोर्ट में कपड़ों को ‘Dry’ लिखा गया, जबकि कपड़ों पर खून के धब्बे थे · क्यों परिवार को दूसरा पोस्ट मार्टम करने के लिए हतोत्साहित किया है हमारी मांग है कि: · फौरी तौर पर एक उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाए · लोया परिवार और पत्रकार निरंजन टकले की सुरक्षा की जाए

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