(शोएब चौधरी)
मुंबई: आइस क्रीम की कीमत देकर लॉलीपॉप चूसने का नाम हज सब्सिडी है। यह वो सरकारी छलावा है जो हिंदुस्तानी हाजियों को इंदिरा गांधी के ज़माने से ही दिया जा रहा है। आम लोगों को तो यही मालूम है कि सरकार हज यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को सब्सिडी देती है पर यह इस पवित्र यात्रा पर जाने वाले यात्रियों के साथ एक सोचे समझे धोखे से कम नहीं है।हद तो यह है कि इस नामनिहाद सब्सिडी की आड़ में कुछ लोगों को अपनी छिछोरी राजनीति एवं मुस्लमानों के खिलाफ दुष्प्रचार करने का मौका मिल जाता है। हमारे ग़ैर मुस्लिम भाई भी अक्सर इसे लेकर ग़लतफ़हमी का शिकार हो जाते हैं, और कुछ लोग तो इसे नफ़रत से भी देखते है और सोचते है कि हज सब्सिडी के नाम पर सरकार मुसलमानों पर इतनी महरबान क्यों है ?
लेकिन सच कुछ और ही है । दरअसल इसमें हाजियों का नहीं बल्किसरकार का अपना फ़ायदा छिपा हुआ है और इसकी आड़ मे इंडीयन एयरलाइन्स को पाला पोसा जाता है।
हाजियो को हज कमेटी ऑफ़ इंडिया तीन कैटेग्री में से कोई एक को अपनी मर्ज़ी से चुनने का मौक़ा देती है। ये कैटेग्री है “ग्रीन, अज़ीज़िया और व्हाईट। हर कैटेग्री के चार्जेज़ अलग अलग हैं और तीनों कैटेगिरी की सुहूलियते भी चार्ज के मुताबिक़ अलग अलग हैं। लेकिन हवाई जहाज़ का किराया सब के लिये एक समान है जो तक़रीबन 57 हज़ार रूपये है।सबसे अहम बात ये है की इतने ही किराए में कोई भी मुसाफिर ऑफ़ सीज़न मे लन्दन तक भी जा सकता है, जबकि वहाँ की दूरी सउदिया के मुकाबले कई गुना ज़्यादा है। हिंदुस्तान से जितने हाजी हर साल हज के लिए जाते हैं अगर उन सब के एयर टिकट की बुकिंग किसी भी इंटरनेशनल फ्लाइट्स में एक साथ की जाए तो कितना भारी डिस्काउंट मिल सकता है और हज यात्रा कितनी सस्ती हो सकती है , इसका अंदाज़ा हम और आप आसानी से लगा सकते हैं।
इसी लिए में ओपन टेंडर के हक़ में हूं। सरकार को इसके लिए ग्लोबल टेंडर के ज़रिये एयर लाइन्स कंपनियों को इन्वाइट करना चाहिए। कोई भी प्राइवेट एयर बस सर्विस इस दूरी के लिए सिर्फ 18000/- से 20000/- में तैयार हो सकती है और बल्की ईकट्ठा इतने मुसाफ़िरों के लिए एयर बस सर्विसेस और भी कम किराया लेने के लिए तैयार हो सकती है। मगर सरकार ऐसा नहीं चाहती ..क्यूंकि उसका मकसद छिपे तौर पर एयर इंडिया को ही फ़ायदा पहुँचाना है । एयर इंडिया की हालत लगातार ख़राब होती जा रही है।आम दिनों में उसकी एयर बसों में पचास परसेन्ट से ज़्यादा सीटें खाली ही रहती हैं। अगर यह कहा जाए कि हज सब्सिडी के नाम पर सरकार एयर इंडिया के साल भर के घाटों की भरपाई करती है तो यह कहना गलत न होगा।
मुस्लिम ऑर्गनाइज़ेशन्स और देश के मुसलमानों ने हमेशा ही हज सब्सिडी को ख़त्म करने की मांग भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को हुक्म दिया था कि दस साल के अन्दर मुसलमानों को हज के दौरान दी जाने वाली सब्सिडी ख़त्म करे। हज एक ऐसा दीनी फ़रीज़ा है जिसे मुसलमान को अपने ख़र्च पर ही हज अदा करना चाहिये। मुसलमान चाहते हैं, की हज सब्सिडी जल्द से जल्द ख़त्म कर दी जाये। यह पहली सब्सिडी है जो जिस कौम को मिल रही है वही कौम इसे बंद करने की मांग पिछले 15 सालों से कर रही है मगर सरकार तैयार नहीं हो रही है और टाल मटोल की रणनीति अपनाये हुए है।
मेरी भारत सरकार से गुज़ारिश है कि वो हज सब्सिडी बंद कर दे ताकि हाजी अपनी पसंद की एयर लाईन्स से जा सकें और अपनी पसंद के होटल में ठहर सकें। जिस दिन ऐसा हुआ उस दिन प्राइवेट एयर लाईन्स हाजियो के लिए कई किफायती स्कीमें लांच करेंगी जिसका सीधा फायदा लाखों हाजियो को होगा और सब्सिडी की आड़ में नफरत की राजनीति करने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी।
(लेखक फिल्मकार और सोशल एक्टिविस्ट हैं . उनका ताल्लुक पश्चिमी यूपी के नामी सियासी परिवार से है यह लेखक का व्यक्तिगत विचार है, लेखक के विचारों से ‘वतन समाचार’ की सहमती जरूरी नहीं है)