नई दिल्ली, वतन समाचार डेस्क:
मौलाना मदनी ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट देने की तारीफ की, लेकिन इस्राइल से रिश्तो को लेकर आगाह किया
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत ने अमेरिका के यरुशलम को इसराइल की राजधानी एलान करने के फैसले की विपरीत वोट देकर गांधीवादी नजरिए को आगे बढ़ाया है जिस का हम स्वागत करते हैं.
उन्होंने कहा की हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के भी शुक्रगुजार हैं जिन्होंने सच्चाई और इंसाफ का साथ दिया और किसी दबाव में आए बगैर खुलकर अमेरिका का विरोध किया.
अरशद मदनी ने कहा कि फिलिस्तीन के मसले पर जो महात्मा गांधी और कांग्रेस का नजरिया था मोदी सरकार ने उसी पर अमल करते हुए संयुक्त राष्ट्र के जनरल असेंबली में फिलिस्तीन के हक़ में वोट करके उसी रुख पर आगे बढने का पक्का सबूत दिया है.
ज्ञात रहे कि मौलाना सैयद अरशद मदनी शुरू से मोदी सरकार के आलोचक माने जाते रहे हैं, लेकिन मौलाना के जरिए फिलिस्तीन के मसले पर मोदी सरकार की हिमायत एक बहुत बड़ा पैगाम है.
जमीयत के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा," ऐसा लगता है कि फिलिस्तीन के मसले पर हमारी विदेश नीति में एनडीए हुकूमत भी कांग्रेस के नक्शे कदम पर चल रही है. इस मामले में दोनों का रुख एक है. उन्हों ने कहा कि BJP सरकार का जहां फिलिस्तीन की हिमायत करना स्वागत योग्य है वही इस्राइल से बढ़ते ताल्लुकात निंदनीय हिं. कांग्रेस और पूर्व की सभी सरकारो ने इजरायल से फासला बनाए रखा था लेकिन मोदी हुकूमत ने उस से नजदीकी बढ़ाई है. मोदी सरकार को इस पर गौर करना चाहिए."
मौलाना मदनी ने कहा कि ताकत के जोर पर कभी किसी को दबाया नहीं जा सकता, ना ही किसी से उस की ज़मीन छीनी जा सकती है.
ज्ञात रहे की इजरायल के कब्जे वाले यरुशलम को अमेरिका की ओर से इसराइल की राजधानी घोषित किए जाने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में प्रस्ताव पारित हुआ था. भारत समेत 128 देशों ने अमेरिका और इजराइल के विरुद्ध वोट किया था. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिका के खिलाफ जाने वालों को धमकी भी दी थी.
मोदी सरकार के इस फैसले की भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी दबे लफ्जों में मुखालफत कर रहे हैं, जबकि सुब्रमण्यम स्वामी ने खुलकर इसका विरोध करते हुए कहा है कि भारत ने इजरायल के विरुद्ध जाकर बड़ी गलती की है.