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देश को सांप्रदायिकता की आग में झांकने की कोशिश हो रही है!

राष्ट्रपति के अभिभाषण को तारिक अनवर ने बताया जुमले बाज़ी, सरकार को दी गुरूर से बाहर आने की नसीहत

By: Mohammad Ahmad

 

लोक सभा में राकापा के नेता तारिक अनवर ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए मोदी सरकार पर जम कर प्रहार किया. उन्हों ने कहा कि राष्ट्रपति भाषण सरकार का एक नीतिगत दस्तावेज होता है, पिछले वर्षों में क्या उपलब्धि रही या आने वाले वर्षों में सरकार की क्या नीति रहेगी क्या रोडमैप रहेगा और क्या भविष्य की योजना होगी सारी बातों को राष्ट्रपति के अभिभाषण में दर्शाया जाता है.
उन्हों ने कहा कि हमारे देश में हर चुनाव से पहले विकास की बात होती है, लेकिन चुनाव के बाद विकास की जगह धार्मिक उन्माद ले लेता है और हमारा विकास उसी में सिमट कर रह जाता है. वर्तमान में देश की जो स्थिति है अगर उसको देखें तो देश में सांप्रदायिकता का माहौल पनप रहा है. देश को सांप्रदायिकता की आग में झांकने की कोशिश हो रही है. पूरे देश में तनावपूर्ण स्थिति है. समाज के एक वर्ग विशेष को डर भय से अंकित करने की कोशिश की जा रही है. यह हम सभी के लिए एक बहुत ही चिंता का विषय है.
 उन्हों ने कहा कि अभिभाषण मात्र एक जुमलेबाज है और एक बार फिर से सरकार ने इस का इस्तेमाल किया है. वर्ष 2014 में जो जुमलेबाजी की गई थी देश की जनता ने उस पर विश्वास किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसे जुमला कह दिया गया. सभी देशवासियों को अच्छी तरह से याद हैं कि चुनाव से पहले कहा गया था कि हर गरीब व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए आएंगे, इसीलिए बड़ी संख्या में लोगों ने उत्साहित होकर जन धन योजना के तहत खाते खुलवाए थे. आज भी लोगों को उन 15 लाख रुपए का इंतजार है. किसानों को उनकी लागत का 50% बढ़ा कर दिए जाने की बात की गयी थी, किसान उस का इंतेजार कर रहा है. 5 साल में 10 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने की बात कही गई थी लेकिन आज हमारे प्रधानमंत्री जी उनको पकौड़ा बनाने की सलाह दे रहे हैं.
 वर्ष 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री भाषण दिया करते थे कि अगर उनकी सरकार आएगी तो चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाने का काम करेंगे, आज तक हम इसका इंतजार कर रहे हैं. उन्हों ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि सत्ताधारी दल का अध्यक्ष कहता है कि चुनाव के वायदों को पूरा करना जरूरी नहीं है, जो वादों को एक जुमले के समान बताता हो वह चुनाव जीतने के लिए कहाँ तक जा सकता है इस का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है.
 पिछले 4 सालों में इनके जो भी कारनामे हैं इसके बाद अब इन पर कैसे विश्वास किया जा सकता है. सपना देखना लोगों ने छोड़ दिया है और अब लोग चाहते हैं कि जमीन पर कुछ काम हो, और सही मायने में कोई ऐसी उपलब्धि हो जिस का इन्हों ने वादा किया था.
उन्हों ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल पर लोगों का विश्वास बड़ी मुश्किल से होता है, जिसे हम करेडीबिलिटी कहते हैं. वर्तमान सरकार और सत्ताधारी दल अपनी करेडीबिलिटी खो चुके है. वर्ष 2014 के वादों को जिस तरह से उन्होंने नकारा है इस से लोगों का विश्वास उनके प्रति डगमगा चुका है हमारे देश में एक कहावत है कि जान जाए पर वचन ना जाए लेकिन वर्तमान सरकार इसकी कोई प्रवाह नहीं कर रही है. इनको अपने वचन की कोई चिंता नहीं, वादों की कोई फ़िक्र नहीं. अगर इस प्रकार से देखा जाए तो यह सरकार जो हमेशा कहती रही है कि हम विकास की तरफ जा रहे हैं विकास को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं उसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, इस की असल वजह इस सरकार को सत्ता का अभिमान होना है.
 उन्हों ने कहा कि जब किसी भी व्यक्ति या पार्टी को यह अभिमान हो जाए कि वह हमेशा सत्ता में रहेंगे तो फिर वह गलतियां करता ही जाता है ठीक उसी तरह से यह सरकार भी अभिमान में पूरी तरह से लिप्त है और अभिमान अल्लाह इश्वर किसी को भी पसंद नहीं है. यह भूल गए कि जिस जनता ने इनको सत्ता की कुर्सी पर बिठाया है वही जनता इनको फिर से सड़क पर लाने का भी काम कर सकती है.
 उन्हों ने कहा कि सरकार के इस अभिभाषण को देखने से अभी भी यह लगता है कि एक बार फिर देश की जनता को पहले वाले भरम में रखने की कोशिश हो रही है. एक बार फिर ऐसा लग रहा है कि देश के अंदर राजधर्म का पालन होना चाहिए वह पालन नहीं हो रहा है. मुझे अटल बिहारी वाजपेई की वह बात याद आ रही है जो प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने वर्ष 2002 में कही थी कि राज धर्म का निर्वहन जरूरी होता है. किसी भी देश का जो मुखिया होता है उसकी जिम्मेदारी है कि वह किस तरह से देश के अंदर लोगों को यह महसूस कराये कि उनको इंसाफ मिल रहा है.
 आज हम देख रहे हैं कि जो सरकारी एजेंसियां हैं चाहे वह ईडी या सीबीआई इन सब का दुरुपयोग किया जा रहा है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल अगर राजनीतिक फायदे के लिए किया जाएगा तो इस से देश के अंदर लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है, आज आम लोग तो छोड़िए मीडिया भी डरा हुआ है. इसके अंदर भी खौफ है और वह सही बात लिखने से घबरा रहा है.
 आर्थिक समानता की बात कही जा रही है कि हम गरीबों के लिए काम कर रहे हैं, जब कि सच्चाई यह है कि आज देश की 73 प्रतिशत आमदनी 1 फीसद लोगों के पास चली गई है और इससे समाज में असमानता फैल रही है. यह हमारे लिए आने वाले दिनों के लिए देश के अंदर लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए खतरनाक है.
उन्हों ने कहा कि जहां तक काले धन का सवाल है जब नोटबंदी आई थी तो उस समय प्रधानमंत्री जी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सभी लोग जानते हैं इस देश के अंदर काला धन किसके पास है. उन एक फीसद लोगों पर हाथ नहीं डाला गया जिन के पास 73 फीसद आमदनी है. नोटबंदी करके सारे देश को परेशान किया गया. हमारी अर्थव्यवस्था आज तक संभाल नहीं पा रही है. उन्हों ने कहा कि इस सरकार से यही कहूंगा कि अभी भी समय है क्योंकि अभी राजस्थान के उपचुनाव और उस से पहले गुजरात का परिणाम आया. यह एक चुनौती है. यह एक प्रकार की वार्निंग है कि वह अपने आप को संभाले, नहीं तो अगर यही रफ्तार रहेगी तो आने वाले समय में इनको सत्ता से हाथ धोना पड़ेगा.

 

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