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विपक्ष की एकता... सत्ता से दूर भाजपा- तारिक अनवर

तारिक अनवर, पूर्व केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लोक सभा में नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव- गुजरा विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चरम पर है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन से अलग होकर यहां चुनाव लड़ रही है। दोनों दलों के अलग होकर लड़ने से क्या होंगे चुनाव के नतीजे? नतीजों पर बहुजन समाज पार्टी क्या असर डालेगी? क्या उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों के नतीजों का भी गुजरात विधानसभा चुनाव पर कोई असर पड़ेगा? जीएसटी और नोटबंदी का चुनावी समीकरणों पर क्या कोई असर होगा? 2019 के आम चुनाव की तैयारियों में सभी दल अभी से जुट गए हैं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की क्या तैयारियां हैं? मोदी सरकार की विदेश और रक्षा नीति कितनी सफल रही है। क्या देश में सामाजिक और राजनीतिक हालात सही हैं? उत्तर भारत के बाद अब दक्षिण भारत में कदम बढ़ाती भाजपा को क्या विपक्ष रोक पाएगा? या फिर भाजपा की नीतियां इसी तरह आगे बढ़ती रहेगी? इन्हीं सब मुद्दों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद तारिक अनवर से बात की हीरेन्द्र सिंह राठौड़ (हमारे नेशनल ब्यूरो हेड प्रयुक्ति) ने:- जीवन परिचय: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद तारिक अनवर का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 16 जनवरी 1951 को हुआ था। वह अब तक सात बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। उन्होंने कॉलेज ऑफ कॉमर्स पटना, मगध विश्वविद्यालय से अपनी बीएससी की शिक्षा पूरी की। उन्होंने लोकसभा का पहला चुनाव 1977 में बिहार की कटिहार सीट से लड़ा लेकिन हार गए। लेकिन 1980 में इसी सीट से पहली बार बाजी मारी और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1989 में उन्हें एसएन सिन्हा सरकार में वित्त मंत्रालय के साथ उपमुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की गई। 1984 में एक बार फिर वह चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद 1996 से 1998, 1998 से 1999 तक सांसद रहे। 2004, 2009 और 2014 में फिर से लोकसभा चुनाव जीते। वह इंडियन यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी रहे। तारिक अनवर को यूपीए सरकार में 28 अक्टूबर 2012 को एग्रीकल्चर एंड फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया। फिलहाल उनके पास लोकसभा में एनसीपी दल के नेता की जिम्मेदारी भी है। प्रयुक्ति- गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी की क्या स्थिति है और किस तरह से पार्टी लड़ रही है? तारिक- हम लोग चाहते थे कि कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाएं और मिलकर चुनाव लड़ें। अंतिम समय तक हमारा प्रयास भी रहा, लेकिन कुछ कारणों से ऐसा नहीं हो पाया। इससे धर्मनिरपेक्ष वोट का बंटवारा होगा, चाहे छोटे स्तर पर ही हो। इसलिए हम चाहते थे कि कांग्रेस और एनसीपी वहां मिलकर चुनाव लड़ें। प्रयुक्ति- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गुजरात में कितनी सीट पर चुनाव लड़ रही है? तारिक- हमारे उम्मीदवारों ने 66 सीट पर नामांकन किया है। लेकिन हम ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। प्रयुक्ति- गुजरात चुनाव को लेकर कांग्रेस का रुख रहा है कि सहयोगी दलों को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। मायावती ने भी कहा था कि उनकी पार्टी को 25 सीटें भी नहीं दी गईं, ऐसे में क्या सहयोगी दलों की रणनीति और विपक्षी एकता पर असर नहीं पड़ेगा? तारिक- विपक्षी एकता बहुत जरूरी है, इससे मैं सहमत हूं। गुजरात में यह बात स्पष्ट हो गई है कि वहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है। एनसीपी हो या बसपा हो बाकी दलों का कोई बहुत बड़ा अस्तित्व नहीं है, किसी भी दल को इसे अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए। बस किसी तरह गुजरात में भाजपा को रोकना चाहिए और कांग्रेस इसमें सक्षम है तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहित सभी सहयोगी दलों को इसमें कांग्रेस का सहयोग करना चाहिए। प्रयुक्ति- जिस तरह से उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के जो नतीजे आए हैं, क्या उसका असर गुजरात विधानसभा के चुनाव पर भी पड़ सकता है? तारिक- हमें नहीं लगता कि यूपी निकाय चुनाव का गुजरात में कोई असर होगा। क्यांेकि यह चुनाव स्थानीय होता है और 2012 में भी भाजपा का इसी तरह का प्रदर्शन रहा था। उसमें बहुत अंतर नहीं आया है। पहले 12 नगर निगम थे तो भाजपा को 11 नगर निगम मिले थे। इस बार 16 नगर निगम हैं और उसे 14 मिले हैं। बहुत फेरबदल नहीं हुआ है। जो बड़े शहरी इलाके हैं वहां भाजपा का पहले से ही ज्यादा असर है। प्रयुक्ति- जीएसटी को लेकर बहुत सारी चिंताएं, आशंकाएं हैं एनसीपी का क्या स्टेंड है? तारिक- हम लोगों ने जीएसटी बिल का संसद में समर्थन किया था। लेकिन उन्होंने टैक्स की दर 28 फीसदी रखी तो हमने उसका विरोध किया था। पूरे विपक्ष ने कहा था कि जीएसटी में टैक्स की दर 28 फीसदी से ऊपर नहीं होनी चाहिए। अब सरकार उस पर दोबारा से विचार कर रही है और उसे घटा रही है। इसका मतलब है कि सरकार ने बिना सोचे समझे इसे लागू किया। इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। छोटे कारोबारियों पर इसका असर पड़ा। उनके लिए परेशानियां बढ़ रही हैं। पहले से ही तैयारी करके जल्दबाजी में लागू नहीं किया जाता तो इसका फायदा देश को मिलता। आज देश के व्यापारियों में बेचैनी है वह इसी को लेकर है। प्रयुक्ति- उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के नतीजों पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जनता ने नोटबंदी और सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई है? तारिक- अरुण जेटली साहब का कहना सही नहीं है। यह तो गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे कि सरकार की नीतियां सही हैं कि नहीं। निकाय चुनाव में तो निर्दलीय ज्यादा जीते हैं। इसका मतलब है कि किसी सरकार की नीतियां नहीं बल्कि व्यक्तिगत प्रभाव का ज्यादा असर रहता है। इसको लेकर भाजपा को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। प्रयुक्ति- महाराष्ट्र भाजपा-शिवसेना की सरकार है और दोनों राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे पर छींटाकशी करते रहते हैं। क्या कहेंगे? तारिक- कहीं न कहीं दोनों पार्टियांे में समन्वय और एक-दूसरे पर विश्वास की कमी है। न भाजपा को शिवसेना और न शिवसेना को भाजपा पर कोई भरोसा है। जब समझौता होता है तो पूर्ण रूप से होना चाहिए। एक- दूसरे पर जिस तरह से प्रहार हो रहे हैं, बयानबाजी हो रही है, ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। पहली बार ऐसा गठबंधन बना है जिसमें शिवसेना बीजेपी पर प्रहार कर रही है। प्रयुक्ति- उत्तर भारत के बाद भाजपा को अब दक्षिण भारत में बढ़त मिल रही है। क्या लगता है क्षेत्रीय दल कमजोर हो रहे हैं या भाजपा की नीतियों को समर्थन मिल रहा है? तारिक- राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा बड़ी पार्टी है, इसमें कोई दो राय नहीं है। देश में इस समय केवल भाजपा और कांग्रेस ही राष्ट्रीय स्तर की पार्टी हैं। 2014 में लोगों को भाजपा ही कांग्रेस का विकल्प नजर आई। लोग विकल्प की तलाश में थे और उन्होंने भाजपा को चुना। प्रयुक्ति- देश के कई इलाकों में मुस्लिमों की संख्या तेजी से बढ़ी है, समस्याएं भी बढ़ी हैं। सभी सरकारें मुस्लिम हित की बात करती हैं, क्या वास्तव में ऐसा कुछ हो पा रहा है? तारिक- भाजपा की ओर से हमेशा यह कहा जाता है कि देश के मुस्लिम समुदाय का तुष्टिकरण किया जा रहा है। कांग्रेस और दूसरे धर्मनिरपेक्ष दल यह कर रहे हैं। लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं। लेकिन सभ्य समाज की इस बात से पहचान होती है कि जो दबे कुचले हैं, अल्पसंख्यक हैं, गरीब हैं उनके साथ आपका व्यवहार कैसा है। अगर सरकार का व्यवहार सही है तो आप सभ्य है और सबको लेकर चलने की आपमें क्षमता है। यह बात सही है कि जब से मोदी जी की सरकार आई है लगातार वह भाषण तो देते हैं कि सबका साथ सबका विकास, लेकिन आज पूरे देश में जो माहौल बना है उससे देश का अल्पसंख्यक और मुस्लिम व दलित समाज अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने भी कहा है कि हिंदुस्तान में खास तौर पर मुस्लिमों की की समस्याओं को देखना चाहिए और उन्हें साथ लेकर चलना चाहिए। इससे जाहिर होता है कि वास्तविकता दूसरे देशों तक भी पहुंच रही है। प्रयुक्ति- महाराष्ट्र से बाहर एनसीपी किस तरह से मजबूत हो रही है, आगे की क्या योजना है? तारिक- महाराष्ट्र में हमारी अच्छी पकड़ है। हमारा संगठना अच्छा है, बुनियाद है, जड़ है। हम इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि राज्य से बाहर हम ज्यादा पकड़ नहीं बना पाए। हमें चुनाव आयोग से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी मिला। क्यों कि हमने आयोग की जो औपचारिकताएं थीं, उन्हें पूरा किया। लेकिन हम वास्तव में पार्टी को ज्यादा नहीं बढ़ा पाए। हमारी पहचान उत्तर पूर्व, बिहार में हमारे प्रतिनिधि हैं, लक्षद्वीप मेंे हमारे संासद हैं। हम केरला में सत्ता में हैं। हालांकि हम बहुत बड़ा स्वरूप पार्टी को नहीं दे पाए। प्रयुक्ति- 2019 के लोकसभा चुनाव की क्या तैयारियां हैं? तारिक- हम कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। 2004 से हम लगातार कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ रहे हैं। इसे यूपीए का नाम भी दिया जा सकता है। हम यूपीए में रहेंगे तभी कुछ सीट हासिल कर सकते हैं। नहीं तो पीछे ही रह जाएंगे। प्रयुक्ति- मोदी सरकार की रक्षा और विदेश नीति पर क्या कहेंगे? तारिक- पड़ोसी देश चाइना और पाकिस्तान के साथ संबंध अच्छे नहीं हैं। बांग्लादेश, म्यांमार या फिर श्रीलंका यानी सार्क देशों के साथ भारत के संबंध बहुत ज्यादा अच्छे नहीं हैं। यह हमारे लिए चिंताजनक है। अभी रोहिंग्या मुस्लिम पर भी भारत सरकार की भूमिका सही नहीं रही। उसे भी चाइना भुना ले गया। विदेश नीति बहुत अच्छी नही है। हम अमेरिका के साथी के रूप में पहचान बनाते जा रहे हैं। हम किसी एक ग्रुप या एक देश के साथ कभी नहीं गए। प्रयुक्ति- क्या 2019 में पूरा विपक्ष एक साथ, एकजुट होकर चुनाव में उतर पाएगा? क्योंकि अलग अलग राजनीतिक दलों के अपने हित टकराएंगे। तारिक- भले ही नीतियां अलग हों, लेकिन सभी दलों को भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए एकजुट होना होगा। ये बात सही है कि कई दलों के नेताओं को यह सोचना होगा कि वह भाजपा को रोकना चाहते हैं तो अपनी ईगो को कम करना होगा। जो दल अपनी ताकत से ज्यादा खुद को आंक रहे हैं, उन्हें यह बात समझनी होगी। कांग्रेस देश में सबसे बड़ी पार्टी है उसी के नेतृत्व में गठबंधन बनेगा तभी सफल होंगे। आने वाले समय में सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना ही होगा। प्रयुक्ति- आप लंबे समय से राजनीति में हैं, पहले कांग्रेस में थे अब एनसीपी में, कैसा अनुभव रहा है? तारिक- इस मामले में मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे इंदिरा जी, राजीव जी और कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ काम करने का मौका मिला। राजनीति में कई बार गलत फैसले भी हो जाते हैं। मैं सार्वजनिक रूप से मानता हूं कि कई बार फैसल लेने में जल्दबाजी हुई है। आज जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस एक बार फिर से मजबूत होकर ऊपर आए। आज देश में समाज को बांटने वाला महौल बन रहा है। लोगों में डर की भावना बढ़ रही है। यह देश के हित में नहीं है। ऐसा लगता है कि हम देश की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक परंपरा से दूर होते जा रहे हैं। यह देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। मैं कांग्रेसी विचारधारा को मानने वाले की हैसियत से मैं कहता हूं कि जो लोग धर्मनिरपेक्षता में भरोसा रखते हैं वह एक साथ मिलकर साथ आएं।

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