10 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलीस्तीन के 'रामल्ला' पहुंचेंगे. यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला फिलीस्तीन दौरा होगा.इस ऐतिहासिक दौरे की अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहरी निगाह रखने वाले मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ तस्लीम रहमानी ने कड़े शब्दों में आलोचना करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए हैं. [caption id="attachment_3991" align="alignnone" width="1920"] Dr. Taslim Rahmani, National President of the Muslim Political Council of India
उन्होंने यह भी कहा कि हमास की लीडरशिप के भारत आने पर प्रतिबंध है, इस पर भी आज तक भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. उन्होंने कहा कि जो लोग खुले जेल में रह रहे हैं और जिनके मासूम बच्चे मारे जा रहे हैं और उनका हुक्का-पानी तक बंद करने की कोशिश हो रही है, उनके बारे में भारत की खामोशी ठीक नही है. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके लिए आवाज उठानी चाहिए.उन्होंने कहा कि बापू की सरजमी से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजलूम फिलिस्तीनियों की बात अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर जरूर उठानी चाहिए, क्योंकि बापू ने हमेशा फिलिस्तीन और इजराईल के मामले में फ़िलिस्तीएन के हक़ में मत दिए. उन्हों ने कहा कि पिछले कुछ सालों में जिस तरह से हमारी विदेश नीति में बदलाव आए और हम इजराईल के करीब हुए हैं उस से कई माईनों में सवाल खड़े होते हैं. उन्होंने कहा कि एक तरफ हम कहते हैं कि आतंकवाद से लड़ने में इजराइल के तजुर्बे का फ़ायदा उठा रहे हैं और उस की मदद के लिए हम 10 बिलियन डालर का हथियार खरीद रहे हैं, उस से यह सवाल खड़ा होता है कि इजराइल के लिए आतंकवादी कौन है?
उन्होंने कहा कि जिस तरह से इजराइली फौजी फिलिस्तीनियों पर गोलियां बरसाते हैं वह इस बात का सबूत है कि कहीं ना कहीं हम 10 बिलियन डॉलर से ज़ियादा के हथियार उस से खरीद कर उसे मजबूत कर रहे हैं और फिलिस्तीनियों पर होने वाले इस ज़ुल्म में साझीदार बन रहे हैं.उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद हमेशा विदेश नीति को बैलेंस करने की कोशिश की है और भारत की विदेश नीति में बड़े पैमाने पर बदलाव हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारत आज अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर वह नहीं है जो पहले था. उन्होंने कहा कि आज भारत का कोई दोस्त नहीं है जो कि हमारे लिए दुख की बात है. उन्होंने कहा कि हमारी अमेरिका और इजराईल से बढती नजदीकी हमें दुनिया में अकेला कर देगी. यह हमारे लिए ठीक नहीं है. इस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए.
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