संसद भवन पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली स्पीच में कही गई बातों को पूरा करने की ओर एक तारीखी कदम बढ़ा दिया है. दागी विधायकों और सांसदों पर चल रहे मुकदमे का निपटारा अब 1 साल के अंदर होगा. सरकार ने इस काम के लिए 12 स्पेशल कोर्ट बनाने पर सहमति जता दी है.
ज्ञात रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली स्पीच में संसद भवन के अंदर इस बात पर जोर दिया था कि वह सुप्रीम कोर्ट से कहेंगे कि 1 साल के अंदर दागी विधायकों और सांसदों के मुकदमों का निपटारा हो, ताकि संसद को दागी लोगों से मुक्त किया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावुक होते हुए कहा था कि वह एक ऐसी सरकार चाहते हैं और एक ऐसा सदन चाहते हैं जिसमें साफ सुथरी छवि के अच्छे लोग आयें जहां जनता के हितों के फैसलें लिए जाते हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि 1 साल के अंदर दागी विधायकों और सांसदों के मुकदमों का निपटारा होना चाहिए, जिसके बाद मोदी सरकार ने यह ऐतिहासिक कदम उठाया है. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील की थी कि दागी सांसदों और विधायकों पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए और उन्हें इलेक्शन न लड़ने की कोर्ट हिदायत जारी करे, जबकि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए इलेक्शन कमीशन की राय से असहमति जताई थी. सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा था कि जो 6 साल की सजा है उसे ही बाकी रखा जाए, आजीवन प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है.
ज्ञात रहे कि बनने वाले इन 12 स्पेशल कोर्ट में कुल 1571 मुकदमों की सुनवाई होगी. यह केस 2014 तक सभी नेताओं के द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर हैं.
जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से 3 सांसद और 48 विधायक हैं. 334 ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं, और उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था.
अदालत का आदेश था कि छह हफ्ते में सरकार अपना ड्राफ्ट प्लान उसे सौंपे, जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या और समय की जानकारी भी रहे, ताकि किसी भी दागी जनप्रतिनिधि के खिलाफ दाखिल केस का निपटारा साल भर के भीतर हो जाए.
अभी हाल ही में आई एडीआर ने 4852 विधायकों और सांसदों के हलफनामे का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें दागी नेताओं को लेकर कई खुलासे हुए थे.
हलफनामे के अध्ययन से यह बात सामने आई कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी. दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा हैं.