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बिहार: श्रीनिवास की नाराज़गी के बाद दुखी कृष्णा अल्लावरु पहुंचे राहुल गांधी के पास और कांग्रेस में भूंचाल आ गया

कांग्रेस पार्टी में टिकटों को लेकर घमासान कोई नई बात नहीं है، लेकिन जिस तरह पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से मौजूदा सांसद राहुल गांधी बिहार चुनाव में जारी इस घमासान में आखिरी वक्त में एक्शन में आए और उन्होंने एक्शन में आते ही वह कारनामा कर दिखाया जिसकी अपेक्षा पार्टी के किसी छोटे बड़े नेता ने शायद ही की होगी. राहुल गांधी के एक्शन में आने के बाद ऐसा लग रहा है कि पार्टी बिहार में जिस हार की ओर बढ़ रही थी अब उससे बच जाएगी और लगभग 40 सीटों पर पार्टी राज्य में जीतने में सफल हो सकेगी.

By: वतन समाचार डेस्क
फाइल फोटो
  • बिहार: श्रीनिवास की नाराज़गी के बाद दुखी कृष्णा अल्लावरु पहुंचे राहुल गांधी के पास और कांग्रेस में भूंचाल आ गया 

 

 

कांग्रेस पार्टी में टिकटों को लेकर घमासान कोई नई बात नहीं है، लेकिन जिस तरह पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वायनाड से मौजूदा सांसद राहुल गांधी बिहार चुनाव में जारी इस घमासान में आखिरी वक्त में एक्शन में आए और उन्होंने एक्शन में आते ही वह कारनामा कर दिखाया जिसकी अपेक्षा पार्टी के किसी छोटे बड़े नेता ने शायद ही की होगी. राहुल गांधी के एक्शन में आने के बाद ऐसा लग रहा है कि पार्टी बिहार में जिस हार की ओर बढ़ रही थी अब उससे बच जाएगी और लगभग 40 सीटों पर पार्टी राज्य में जीतने में सफल हो सकेगी.

 

 

 

सियासी जानकारों का मानना है कि अखिलेश सिंह से लेकर शक्ति सिंह गोहिल तक सभी बड़े ज़िम्मेदारों से अगर पार्टी ने लोकसभा चुनाव के बाद ही पूछ ताछ की होती तो पार्टी को यह दिन नहीं देखना पड़ता. कांग्रेस के एक बड़े नेता ने बताया कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद पार्टी की बिहार में हुयी एक बैठक में एक बड़े नेता व उस वक़्त चुनाव में बड़ी ज़िम्मेदारी देख रहे व्यक्ति ने जिस तरह की हरकत की थी और हार से सीख लेने और प्लानिंग के साथ आगे बढ़ने की कोशिशों पर विराम लगाने का प्रयास क्या था अगर उस के बाद पार्टी ने उन से सवाल किया होता और ज़िम्मेदारी से हटा कर पूछ ताछ की होती तो आज पार्टी की जो गति राहुल गांधी जी के एक्शन में आने से पहले हुयी वह न होती.

 

 

 

उन्होंने बताया कि आज पार्टी राज्य में बेहतर पोजीशन में हो सकती थी. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी उपचुनाव में हुई बड़ी हार ने जिस तरह से पार्टी को बैकफुट पर किया था, पार्टी को उसी वक्त इसका आकलन करना चाहिए था और पदाधिकारियों से पूछ ताछ करनी चाहिए थी, लेकिन राहुल गांधी जी की सादगी ने इन सब के काले कारनामों पर पर्दा दाल दिया.

 

 

कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास दुखी थे. युवा कार्यकर्ताओं को सीधे नजरअंदाज किया जा रहा था. इसको लेकर बीते 1 हफ्ते से वह दुखी चल रहे थे. 24 अकबर रोड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वह इसकी शिकायत पार्टी के युवराज राहुल गांधी से करना चाह रहे थे. सूत्रों ने बताया कि श्रीनिवास की नाराजगी के बाद कृष्णा अल्लावरु सीधे (इंचार्ज युथ कांग्रेस) 12 तुगलक लेन पहुंचे और उन्होंने राहुल गांधी से वह सारी बातें बतायीं जो कुछ पार्टी में चल रहा था.

 

 

उन्होंने ना सिर्फ नेताओं की शिकायत की बल्कि टिकटों में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किए जाने का मुद्दा भी उठाया, जिसके बाद राहुल गांधी ने टिकटों के बंटवारे का मामला अपने हाथ में ले लिया और उन्होंने पूरी सूची मंगाई, जिसके बाद राहुल गांधी ने एक्शन में आते ही यूथ कांग्रेस ने जिन सात से 10 टिकटों की डिमांड की थी उनको पूरा किया और साथ ही ऐसे लोगों को टिकट दिया जो पार्टी को जीत दिला सकते थे.

 

 

 

जानकारों का मानना है कि जिस तरह के टिकट प्रभारी इंचार्ज ऑब्जर्वर और दूसरे लोग बांट रहे थे उससे पार्टी की राज्य में बड़ी रुसवाई हो सकती थी. जानकार यह भी मानते हैं कि कृष्ण के फिंगर प्रिंट पर पंजाब और छत्तीसगढ़ की तरह बिहार की कई सीटें थीं और वह समीकरण से अच्छी तरह अवगत थे, इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी को सारा फीड बैक दिया. राहुल गांधी ने उनकी बातों से सहमति व्यक्त करते हुए टिकटों में बदलाव का काम किया और जिसके बाद उम्मीदवारों की अंतिम सूची फाइनल की.

 

 

सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी उन नेताओं से नाराज हैं जिन्होंने टिकटों में खींचतान के बीच राज्य में पार्टी की रुसवाई कराई है. सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी विधानसभा चुनाव के बाद इन नेताओं से हिसाब भी ले सकते हैं और कई नेताओं को को कूलिंग पीरियड के लिए भेजा जा सकता है और यह पीरियड भी काफी लंबा हो सकता है. अब देखना यह है कि आगे इस दिशा में राहुल गांधी क्या कदम उठाते हैं, लेकिन पॉलिटिकल जानकारों का मानना है कि अगर राहुल गांधी इसी तरह से एक्शन में पहले से आ गए होते तो पार्टी की राज्य में और बेहतर पोजीशन हो सकती थी.

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