नई दिल्ली, 04 दिसम्बर, वतन समाचार डेस्क:
राज्यसभा में दिव्यांग जनों का मसला उठाते हुए बहुजन समाज पार्टी के वरिष्ठ सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने सरकार को घेरने की कोशिश की. उन्होंने पिछले रोज दिल्ली में ब्लाइंड एजुकेशन के सिलसिले में काम करने वाले एक स्कूल को डेमोलिशन किए जाने का मसला उठाया. उन्होंने कहा कि पिछले 31 सालों से ब्लाइंड एजुकेशन और दिव्यांगजनों के मसले से वह खुद जुड़े हुए हैं, और इस सिलसिले में उन्होंने एक पीआईएल फाइल करके इस मसले को आगे बढ़ाया था.
उन्होंने हाउस को बताया कि उत्तर प्रदेश में मायावती की अगुवाई वाली सरकार के गठन के बाद इस संबंध में काफी काम किए गए थे, और शकुंतला यूनिवर्सिटी के नाम से एक यूनिवर्सिटी भी बनाई गई थी. उन्होंने बताया कि मायावती सरकार ने ब्लाइंड एजुकेशन के लिए ₹800 करोड़ का बजट अलाट किया था, लेकिन अफसोस की बात है कि दिल्ली जैसे शहर में ब्लाइंड एजुकेशन के सिलसिले में काम कर रहे स्कूल को गिरा दिया गया और ब्लाइंड लोगों को सड़क पर अपने पेपर चुनते हुए देखा गया. जिससे काफी दुख हुआ.
सतीश मिश्रा ने कहा कि हम सरकार से जानना चाहते हैं कि वह इस संबंध में क्या काम कर रही है, इसके बाद कृष्ण पाल MoS सोशल जस्टिस ने जवाब देते हुए कहा कि इस संबंध में उनके पास कोई जानकारी नहीं है, जानकारी प्राप्त करने के बाद संसद को बताने की कोशिश करेंगे. उन्होंने बताया कि ब्लाइंड एजुकेशन के लिए अगले आने वाले बिल में चार से पांच पर्सेंट का आरक्षण का इंतज़ाम किया गया है और कोई भी इदारा ब्लाइंड एजुकेशन के सिलसिले में काम करने से मना नहीं कर सकता है.
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हरदीप सिंह पुरी मंत्री भारत सरकार[/caption]
सतीश चंद्र मिश्रा के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि यह कहना कि उनको सड़क पर बेचारगी और बेबसी के आलम में छोड़ दिया गया, बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा कि डीडीए की जमीन पर गैर कानूनी तौर से क़ब्ज़ा था जिस को हटाया गया है, और ब्लाइंड लोगों के एजुकेशन की व्यवस्था दूसरे स्कूल में कर दी गई है. उन्होंने बताया कि यह बात उनके नोटिस में है कि 23 दिसंबर 2017 को एक जगह को कब्जे से आज़ाद कराया गया है.