अब जबकि मोदी सरकार का कार्यकाल 29 दिन बचा है ऐसे समय में जमात ए इस्लामी हिंद की ओर से एक बड़ा बयान आया है. जमात ए इस्लामी हिंद ने आज पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए अपने मासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अभी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का उचित समय नहीं आया है.
नाई दिल्ली: जमात इस्लामी हिन्द के प्रधान महासचिव इंजीनियर सलीम ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अब लोग प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरों से आजिज आ चुके हैं और उसे हटाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जब लोगों को प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर टीवी पर नजर आती है तो वह दूसरा चैनल बदल देते हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री के चल चलाव्ओ का वक्त है. वहीं दूसरी ओर जमात के मिल्ली ओमूर के सचिव मौलाना मोहम्मद अहमद ने कहा कि जमात शुरू से संप्रदायिकता के खिलाफ काम करती आई है और जमात की कोशिश सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने की है.
जब उनसे पूछा गया कि पिछले 70 सालों में आप संप्रदायिकता को रोकने की कोशिश कर रहे हैं और संप्रदायिकता ना सिर्फ बढ़ती जा रही है बल्कि देश अघोषित हिंदू राष्ट्र की ओर तेजी से बढ़ रहा है? तो उन्होंने कहा कि हमारा काम सांप्रदायिक शक्तियों को रोकना है और अगले 70 सालों में भी हम यही काम करते रहेंगे.
जमात ए इस्लामी हिंद के प्रधान महासचिव इंजीनियरिंग सलीम ने कहा कि लोकसभा चुनाव में वेलफेयर पार्टी के उम्मीदवार को जमात सपोर्ट करेगी. ज्ञात रहे कि वेलफेयर पार्टी जमात ए इस्लामी हिंद के तत्वाधान में काम कर रही है और वेलफेयर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष क़ासिम रसूल इलियास बंगाल से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में मसरूफ हैं.
उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन पर खुशी प्रकट करते हुए मोहम्मद अहमद ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी छोटे-छोटे दल गठबंधन का हिस्सा बन जाएं. उन्होंने कहा कि गठबंधन से सबको खुशी है और हमें भी खुशी है. मोहम्मद अहमद ने आगे कहा की जमात ए इस्लामी हिंद किसी पार्टी या किसी व्यक्ति को सपोर्ट नहीं करती है बल्कि जहां जो अच्छा उम्मीदवार नजर आता है उसी को सपोर्ट करती है, और वह किसी भी धर्म का हो सकता है.
यूपी में गठबंधन को जमात की ओर से कोई मेनिफेस्टो दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमारा मेनिफेस्टो तैयार है हम जल्द ही यूपी में गठबंधन समेत दूसरे दलों को देंगे जो खुद को सेक्युलर कहते हैं.
जमात के प्रधान महासचिव इंजीनियर सलीम ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद के संबंध में जो भी कोर्ट का फैसला आएगा वह मुसलमानों को स्वीकार होगा, जबकि दूसरे धड़े का कोर्ट के फैसले का इंतजार ना करना और बार-बार धमकियां देना असंवैधानिक हैं. सरकार और कोर्ट दोनों को इस दिशा में देखने की जरूरत है.
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