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देश के पहले चीफ जस्टिस, जिनके खिलाफ 'उनके साथी ही...'

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[caption id="attachment_3726" align="alignnone" width="555"] दीपक मिश्रा ने पिछले साल 27 अगस्त को यह पद संभाला था और उन्होंने जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की जगह ली थी. ओडिशा के रहने वाले जस्टिस मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था. वो भारत के 45वें प्रधान न्यायाधीश हैं. उनका कार्यकाल 2 अक्टूबर 2018 तक रहेगा.[/caption] [caption id="attachment_3727" align="alignnone" width="555"] 2009 के दिसंबर में उन्हें पटना हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया. फिर 24 मई 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस उनका ट्रांसफर हुआ. 10 अक्टूबर 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया.[/caption] [caption id="attachment_3728" align="alignnone" width="555"] जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1977 में ओडिशा हाईकोर्ट से बतौर वकील करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद 1996 में वह ओडिशा हाईकोर्ट के जज बने. इसके बाद साल 2009 में जस्टिस दीपक मिश्रा ने पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पदभार संभाला था.[/caption] [caption id="attachment_3729" align="alignnone" width="555"] दीपक मिश्रा अपने फैसलों को लेकर भी कई बार विवादों में रहे हैं. सिनेमाघरों में राष्ट्रगान अनिवार्य करने को लेकर वो काफी चर्चाओं में रहे थे, हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को वापस ले लिया है.[/caption] [caption id="attachment_3730" align="alignnone" width="555"] साल 1979 में उड़ीसा सरकार ने भूमिहीन किसानों के लिए एक योजना शुरू की थी, जिसमें मिश्रा ने लाभ उठाने के लिए एक शपथ पत्र दिया था, जिसकी वजह से वो चर्चा में रहे थे. इस शपथपत्र के बाद दीपक मिश्रा को जमीन आवंटित कर दी गई. लेकिन बाद में जब इस मामले की जांच हुई तो जांचकर्ता ने पाया कि यह जमीन धोखाधड़ी से आवंटित करवाई गई थी.[/caption] [caption id="attachment_3731" align="alignnone" width="555"] वहीं 2002 में उन्होंने नुकसान का मुआवजा देने के लिए सरकार को नहीं कहा था, जिसकी वजह से उनका विरोध हुआ. इसके अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही साल 2012 के बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था.[/caption] [caption id="attachment_3732" align="alignnone" width="555"] मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन को फांसी की सजा जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही सुनाई थी. आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट में रात भर सुनवाई चली थी. सुप्रीम कोर्ट में रात के वक्त सुनवाई करने वाले बेंच की अगुवाई जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही की थी.[/caption] (आज तक डॉट इन के शुक्रिए के साथ)

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