नई दिल्ली,वतन समाचार डेस्क: मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधयक 2017 को पार्लियामेंट में पेश किया जा चुका है. सरकार की ओर से चेयर (Dr Thambi Durai, Deputy chairman lok sabha) को संबोधित करते हुए देश के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं के हुकूक़ की दहाई देते हुए कहा कि अभी मैं देश के कुछ राज्यों के दौरे पर था. मैंने देखा कि बुर्का पहने कुछ औरतें मेरे पास आईं उनके हाथों में कंप्यूटर था, और उनकी आंखों में आशा की एक किरण थी. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह कैसे हो सकता है एक आदमी तलाक तलाक तलाक कहे और महिला का भविष्य तबाह हो जाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब इसे असंवैधानिक कह दिया है, उसके बावजूद तलाक देने का अमल जारी है, तो संसद कैसे खामोश रह सकती थी. उन्होंने कहा कि इस बिल को मजहब के तराजू पर ना तौला जाए. उन्होंने संसद का समर्थन मांगते हुए अपील की कि यह बेटियों की इज्जत से जुड़ा हुआ उनके लिए इंसाफ का मामला है. अगर उनको संसद से इन्साफ नहीं मिलेगा तो उन को इन्साफ कहां मिलेगा. इस पर लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविशंकर प्रसाद के भाषण के बाद अपनी बात रखते हुए कहा कि जब सरकार ने संसद में कहा है कि उसने किसी से बात नहीं की है, तो यह कैसे हो सकता है कि सिर्फ आप ही सही हैं, इस पर सरकार को विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार को देश के विभिन्न संगठनों से, स्टेकहोल्डर से बात करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी महिलाओं के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब क़ानून बनता है तो उससे पहले सभी स्टेकहोल्डर से बात होनी चाहिए थी. उन्होंने बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की अपील की. रविशंकर प्रसाद ने सरकार का मत रखते हुए उस पर कहा कि यह सिर्फ 04 क्लाज़ का कानून है, इसको अब स्टैंडिंग कमेटी को 'न' भेजा जाए तो बेहतर होगा. अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वह सरकार की तरफ से उसे दूर करने की पूरी कोशिश करेंगे.
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