व्यक्ति विशेष पर केंद्रित होगा जमीयत उलेमा-ए-हिंद का 100 साला जश्न या फिर?
नई दिल्ली वतन समाचार डेस्क:
देश की आजादी में सर्वोच्च रोल अदा करने वाली जमीयत उलेमा-ए-हिंद (इतिहास के अनुसार आज़ादी में जमीयत का रोल अगर कांग्रेस से ज्यादा नहीं तो कम भी नहीं था) ने अपने 100 साला जश्न का ऐलान कर दिया है. जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यह 100 साला जश्न 22-24 फरवरी 2019 को दारुल उलूम देवबंद में आयोजित किया जाएगा.
जमीयत उलेमा हिंद के 100 साल पूरे होने पर वतन समाचार ने इतिहास के झरोखों से कुछ चीजें निकाल कर अपने पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश की है, कि आखिर जमीयत उलेमा ए हिंद के बनाने वाले (संस्थापक) कौन लोग थे.
जमीयत उलेमा ए हिंद की किताबों और इतिहास के पन्नों को खंगालने के बाद कई चीजें सामने आ रही हैं. इतिहासकारों के अनुसार नवंबर 1919 की आखिरी तारीखों में खिलाफत कांफ्रेंस का जलसा संपन्न होने के बाद देश के सर्वोच्च उलेमा दिल्ली में जमा हुए थे. खिलाफत कॉन्फ्रेंस से वक़्त मिलने के बाद दिल्ली में जमा होने वाले उलेमा ने एक जलसा आयोजित किया, जिसमें सिर्फ बड़े उलेमा ही शरीक हुए. इतिहासकारों के मुताबिक मौलाना अबुल वफा सनाउल्लाह अमृतसरी की तहरीक और मौलाना मुनिरुज्ज़मां और दूसरे मौजूद लोगों की हिमायत के बाद मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी इस जलसे के अध्यक्ष चुने गए.
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कैसे बनी जमीयत उलेमा हिन्द, (देखिये साप्ताहिक अल्जमियत, 27 अक्टूबर 1995)
इतिहासकारों के अनुसार मौलाना अबुल वफ़ा सनाउल्लाह ने कहा कि संस्था के काम को आगे बढ़ने के लिएय अध्यक्ष मोहम्मद किफायतुल्लाह और नाजिम हाफ़िज़ अहमद सईद को चुन लिया जाये और अगर मगर के बाद दोनों लोग तय्यार हो गऐ.
(देखिये साप्ताहिक अल्जमियत, 27 अक्टूबर 1995) [/caption]
इतिहासकारों के मुताबिक जमीयत उलेमा हिंद के संस्थापकों में जमीयत उलेमा हिन्द के सप्ताहिक अखबार “अल्जमियत” 1995 के इशू में जिन 25 नामों का उल्लेख किया गया है उनमें मौलाना अब्दुल बारी फिरंगी महली, मौलाना मौलवी सलामतुल्लाह फिरंगी महली, मौलाना सनाउल्लाह अमृतसरी, पीर मोहम्मद इमाम शाह सिन्धी, मौलाना असदुल्लाह शाह अल हुसैनी मखड़ी (सिंध), मौलाना मोहम्मद सय्यद फाखिर मियां बेखुद (उर्फ़ रशीद मियां), मौलाना मोहम्मद अनीस नगराम जिला लखनऊ, मौलाना ख्वाजा गुलाम निजामुद्दीन मुफ्ती मदरसा आलिया कादरिया, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद किफायतुल्ला, मौलाना मोहम्मद इब्राहिम मीर सयाल्कोटी, मौलाना हाफिज अहमद सईद देहलवी, मौलाना सय्यद कमाल उद्दीन अहमद जाफरी, मौलाना मोहम्मद क़दीर बख्श बदायूनी, मौलाना ताज महमूद सिंधी (इमरोट सूबा सिंध), मौलाना मोहम्मद इब्राहिम दरभंगवी, मौलाना खुदाबख्श मुजफ्फरपुरी, मौलाना मौला बख्श अमृतसरी, मौलाना अब्दुल हकीम गयावी, मौलाना मोहम्मद इकराम एडिटर अखबार ए मोहम्मदी कलकत्ता, मौलाना मुनीरुज्ज़मां खान कलकत्ता, मुफ्ती मोहम्मद सादिक किराच्वी, मौलाना सैयद मोहम्मद दावूद ग़ज़नवी, मौलाना सैयद मोहम्मद इस्माइल गज़नवी, मौलाना मोहम्मद अब्दुल्ला और मौलाना आजाद सुभानी के नाम शामिल हैं.
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जमीयत के संस्थापक (देखिये साप्ताहिक अल्जमियत, 27 अक्टूबर 1995)
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सवाल यह है कि क्या जमीयत उलेमा हिंद अपने 100 साला जश्न के अवसर पर अपने तमाम संस्थापकों को याद करेगी या फिर किसी व्यक्ति विशेष पर उसका ध्यान केंद्रित होगा? यह आने वाला वक्त बताएगा.
इस सिलसिले में आज सुबह
वतन समाचार ने जमीयत के प्रधान महासचिव मौलाना महमूद मदनी से बातचीत के लिए फोन किया तो कोशिश के बावजूद उनसे बात नहीं हो सकी. इस संबंध में जैसे ही जमीयत की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा हम अपने पाठकों तक पहुँचाने की पूरी कोशिश करेंगे.