उन्होंने कहा कि फॉर्म भरने का सिलसिला 15 नवंबर से शुरू हुआ है जो अगले 7 दिसंबर 2017 तक जारी रहेगा.महरम के बगैर औरतों के हज पर जाने को उन्हों ने सरकार का बड़ा क़दम बताते हुए कहा कि औरतों का हज ग्रुप में जाना यह एक इंकलाबी कदम है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि दुनिया के किसी देश में यह चीज नहीं है बल्कि दुनिया के कई मुल्कों में पहले से मौजूद है. भारत क्योंकि एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए इस बार हम ने भी पहल की है और इस पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया है.
उन्होंने कहा कि भारत में 45 साल की उम्र की औरतों को बगैर महरम के हज पर जाने की इजाजत इस शर्त के साथ दी गई है, कि अगर उन का मसलक उन्हें इजाज़त देता है तो वह हज पर जा सकती हैं. एक ग्रुप में कम से कम चार औरतों का होना अनिवार्य है.मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि जो औरतें डेलीगेशन में बगैर महरम के जाएंगी उनकी सिक्योरिटी उनके रहने का इंतेजाम हम काफी सतर्क हो कर करेंगे. सिक्योरिटी और रिहाइश के मामला कोई समझौता नहीं किया जाएगा. एक सवाल के जवाब में उन्हों ने कहा कि
अभी तक 22 ग्रुप ऐसे हैं जिन्होंने बगैर महरम के हज पर जाने की दरखास्त दी है और बहुतों के फॉर्म भी एक्सेप्ट हो गए हैं, क्योंकि उन्होंने जरूरी कागजात पूरे कर दिए हैं.नकवी ने कहा कि केरला से 72 औरतों ने, आसाम से 4, यूपी से 8, पश्चिमी बंगाल से 4 औरतों ने हज के लिए अप्लाई किया है. उन्होंने कहा कि हमने हज की 3 माह पहले ही तय्यारियां शुरू कर दी हैं.मुख्तार अब्बास नकवी ने बताया कि
अब तक 30,000 ऑनलाइन फॉर्म जमा हुए हैं जबकि 3,000 ऑफलाइन फॉर्म जमा हुए हैं.उन्होंने बताया कि इसमें बड़ी बात यह है कि 15% एप्लीकेशन मोबाइल ऐप के जरिए आए हैं जिसको हमने इस साल इंट्रोड्यूस कराया है. उन्होंने बताया कि अच्छी बात यह है कि लोग अपनी पेमेंट भी मोबाइल ऐप से जमा कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पिछली बार हज कमेटी और पीटीओ (प्राइवेट टूर ऑपरेटर) के जरिए कुल 1,70,000 हाजी हज पर गए थे. जनवरी में हमारी(INDIA) सऊदी गवर्नमेंट के साथ बाई-लेटरल बात होगी जिसमें हमारी कोशिश होगी कि इस बार हज कोटे को बढ़या जाए. उन्होंने बताया कि
इस साल कुर्बानी के कूपन को ऑप्शनल किया गया है. नई हज पॉलिसी में 70 साल प्लस के रिजर्वेशन को बाकी रखा गया है, जबकि तीन बार से अप्लाई करने वाले लोगों के रिजर्वेशन को खत्म कर दिया गया है. इस बार 21 embarkation पॉइंट से हज होगा. इस बार हाजियों को रियायत देने की कोशिश की गई है. जम्मू वा कश्मीर का कोई हाजी दिल्ली से जाना चाहता है तो उसे हज का किराया 1,10,000 की जगह सिर्फ 73,000 देने होंगे.गुवाहाटी से जाने पर उन्हें 1,16,000 देने पड़ते हैं अगर यह लोग कलकत्ता से जाते है तो इन्हें 73,000 देने होंगे. राची के लिए ऑप्शन के तौर पर कलकत्ता रखा गया है क्योंकि रांची से जाने पर 1 लाख 10,000 देने पड़ते हैं जबकि कलकत्ता से सिर्फ 83,000 रुपय किराये के देने पड़ते हैं. गया embarkation पॉइंट पर 1,14,000 रुपए किराए के तौर पर देने पड़ते हैं जबकि अगर गया के हाजी कोलकाता से जाते हैं तो उंहें सिर्फ 82,000 रुपय देने पड़ेंगे. इस की पूरी तफसील हज समिति के पास मौजूद है. उन्हों ने कहा कि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, नई हज पॉलिसी बनाई जाए और उसी को ध्यान में रखते हुए नई हज पॉलिसी बनाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में PTO (प्राइवेट टूर ऑपरेटर) के रोल को बढ़ाने के लिए कहा था लेकिन इस बार अभी तक हमने पीटीओ के रोल में कोई बदलाव नहीं किया है. अभी हमें इस सिलसिले में MP, PTO और दिगर संस्थानों की जानिब से सुझाव मिल रहे हैं जिस पर हम गौर कर रहे हैं. उन्होंने 2017 के हज को कामयाब बताते हुए कहा कि 2018 का हज उस से बेहतर करने की कोशिश करेंगे. इसके लिए उन्होंने देश की मीडिया से भी सहयोग की अपील की.
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