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आत्मनिर्भरता का कांग्रेस ने बताया बीजेपी कनेक्शन

कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे 12 मई याद है कि जब प्रधानमंत्री जी ने ऐलान किया गो वॉकल फॉर लोकल (Go Vocal for Local), साफ-साफ इन्होंने सैल्फ रिलायंट (self reliant) पैकेज का भी ऐलान किया और अनाउंस किया, जिसमें उन्होंने कहा आत्मनिर्भर अभियान।

By: वतन समाचार डेस्क

  • आत्मनिर्भरता का कांग्रेस ने बताया बीजेपी कनेक्शन

कपिल सिब्बल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे 12 मई याद है कि जब प्रधानमंत्री जी ने ऐलान किया गो वॉकल फॉर लोकल (Go Vocal for Local), साफ-साफ इन्होंने सैल्फ रिलायंट (self reliant) पैकेज का भी ऐलान किया और अनाउंस किया, जिसमें उन्होंने कहा आत्मनिर्भर अभियान।

अभी मैं आपको आंकड़ों से बताऊंगा कि This is nothing to do with self reliance. It is in fact an act of self deception और मुझे वो मूवी याद आती है 1988 में, जिसका टाईटल था 20 साल बाद। तो ये जो पैकेज है, 20 साल में भी अगर हम इसे पूरा कर सकें तो बड़ी बात होगी, तो ये 20 साल बाद का पैकेज है। आज के दिन हिंदुस्तान की स्थिति क्या है, मैं आपको अभी बताऊंगा। पहली बात मैं आज स्पष्ट करना चाहता हूं।

The wealth of a country is not dependent on what you produce, that is the outcome of ideas and innovation, it is not the balance sheet of companies in this country. It is not about how much ultimately you export, it is about the innovation and the intellectual property that you create. जो देश का धन है, वो उद्योगों से नहीं जुड़ा हुआ है; जो हम निर्यात करते हैं, जितना पैसा निर्यात से हमारी पूंजी में आता है, उससे नहीं जुड़ा हुआ है; जो उत्पादन करते हैं, फैक्ट्रियां उत्पादन करती हैं, उससे कितना पैसा बनता है, उससे नहीं जुड़ा हुआ है; कितना टैक्स सरकार से मिलता है, उससे नहीं जुड़ा हुआ है। वो उन चीजों से जुड़ा हुआ है, जिसके द्वारा इंटलैक्चुअल प्रोपर्टी पैदा होती है, इनोवेशन पैदा होती है। वो कहाँ होती है, वो फैक्ट्रियों में नहीं होती है, वो विश्वविद्यालयों में होती है।

 आप दुनिया में कहीं भी चले जाओ, जो भी विकसित देश हैं, जो भी प्रोग्रेसिव देश हैं, आप देखेंगे कि उनके विश्वविद्यालयों में इनोवेशन का काम हो रहा है। क्रियेशन ऑफ आईडिया का काम हो रहा है और जब वो इनोवेशन होती है, फिर उसको वैरिफाई किया जाता है कि क्या इनोवेशन के द्वारा हम किसी चीज का उत्पादन कर सकते हैं। इनोवेशन के द्वारा हम कोई नई सर्विस किसी को दिला सकते हैं। फिर उसमें वैंचर कैपिटल लगता है। अगर कोई समझता है कि इस इनोवेशन के द्वारा उद्योगों को फायदा हो सकता है या हमारी सर्विस इंडस्ट्री को फायदा हो सकता है, फिर वो पैसा लगाते हैं, उस आईडिया के आधार पर। पैसा लगाने के बाद फिर वो उत्पादन होता है, फ़ैक्ट्री लगती है, उत्पादन होता है, फिर बिक्री होती है।

कहने का मतलब ये है कि अगर आप इस देश को वाकई में एक ऐसा देश बनाना चाहते हैं जो आत्मनिर्भर हो, तो आपको अपनी यूनिवर्सिटी सिस्टम मेंरिसर्च एंड डेवलपमेंटमें पैसा लगाना पड़ेगा। If you want your nation to be wealthy, you will have to invest in the University System for innovation and for creation of intellectual property because it is only through new ideas and innovations that venture capitalists come and take those ideas to take them forward either for production or goods of the production of service. Unless, therefore, you invest in the university system a nation can never be self reliance therefore across the world you will see. तो जहाँ-जहाँ भी there are universities, the venture capitalists go those universities, invest in those universities, ensure that new ideas are created and take them forward, that is how the wealth is created.

Wealth is not created by -प्रधानमंत्री जी ने 12 मई को ऐलान कर दिया कि हम सैल्फ रिलायंट हो जाएंगे। ऐसे थोड़े ना होता है, कैसे  सैल्फ रिलायंट हो गए आप, देश को बताईए कि कैसे हो गए? आपने ना तो आर्थिक नीति, आर्थिक पॉलिसी का ऐलान किया, No economic policy, you have announced, that what is going to be your future economic policy? What is going to be the future industry policy that has also not been announced. What is going to be your manufacturing policy that also has not been announced! तो ना तो आर्थिक नीति का आपने कोई ऐलान किया है, ना उद्योग नीति का ऐलान किया है, ना निर्माण नीति का ऐलान किया है, तो एक स्लोगन के साथ आत्मनिर्भरता पैदा नहीं होती है ना।

अब मैं आपको कुछ आंकड़े देता हूं so that you understand as to what I meant by investment in R&D. If you look at R&D expenditure in India, over the years it is 0.7% of the GDP. हिंदुस्तान में जो आरएनडी का खर्चा होता है, वो 0.7 प्रतिशत जीडीपी का हिस्सा है और अगर आप विश्व में बाकी देश देखें, इजरायल में 4.6 प्रतिशत है आरएनडी का एक्सपैंडिचर, जबकी इजरायल इतनी आगे हैं। साउथ कोरिया 4.5 प्रतिशत, जापान 3.2 प्रतिशत, उनके बजट भी बहुत ज्यादा हैं। जब हम 0.7 प्रतिशत बात करते हैं तो हमारा बजट बड़ा कम था, हमारी जीडीपी भी बहुत कम है। जर्मनी 3 प्रतिशत, यूएस 2.8 प्रतिशत ऑफ ट्रिलियन डॉलर about 20-22 ट्रिलियन डॉलर ऑफ दी इकोनॉमी, फ्रांस 2.2 प्रतिशत, यूके 1.7 प्रतिशत, कनाडा 1.6 प्रतिशत, चीन 2.1 प्रतिशत, ब्राजील 1.3 प्रतिशत, रूस  1.1 प्रतिशत, साउथ अफ्रिका 0.8 प्रतिशत और भारत 0.7 प्रतिशत और आप कहते हैं कि we will become self reliant, that’s why I said, this is an act of self deception. This is another Jumla. Another Jumla that you said to the people of this country. और जो मैं आपको आंकड़े दे रहा हूं, ये वर्ल्ड बैंक के आंकडे हैं, मैं ये कांग्रेस पार्टी के आंकड़े नहीं दे रहा हूं। जब हमने एक सवाल लोकसभा में पूछा था, साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर हर्ष वर्धन जी से नवंबर, 2019 में तब उन्होंने ये जवाब दिया था। मैं हवा में बात नहीं तरता हूं, जैसे जो ऐलान हो रहे हैं, वो हवा में हो रहे हैं। 20 लाख करोड़ का पैकेज, उसमें कहते हैं कि इसमें सरकार का योगदान रहेगा जीडीपी का 10 प्रतिशत। वो अपने आप में भी गलत है, क्योंकि सारे विश्व के जो इकोनॉमिस्ट हैं, जो देश के इकोनॉमिस्ट हैं, वो सब कहते हैं कि 1 प्रतिशत जीडीपी से ज्यादा नहीं हैं। अगर आप असत्य से शुरुआत करेंगे, तो उसका जो अंत होगा वो भी असत्य होगा।

आपको एक और बात बता दूं, अभी 2019 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फॉर्म काएनुअल वर्ल्ड कंपैटिटिवनैस रिपोर्टआई, उसमें हिंदुस्तान की रैंकिंग 68 थी, हम 10 पायदान  गिरे हैं, गिरे हैं 10 पायदान 10 पायदान  कम पर हुए हैं, अगर ये हमारी कंपैटिटिवनैस की पोजिशन है, तो आत्मनिर्भरता कहाँ से आएगी? मैं प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आत्मनिर्भरता आएगी कहाँ से? आपको मालूम है ये बात प्रधानमंत्री जी को भी मालूम है, लेकिन कभी-कभार भूल जाते हैं कि हिंदुस्तान का जो निर्माण है, जो मैन्यूफैक्चरिंग कपैसिटी प्रतिशत है जीडीपी का वो 16 से लेकर 18 प्रतिशत तक है और सर्विस सैक्टर लगभग 59 प्रतिशत, तो यहाँ निर्माण होगा कहाँ से? जब तक मैन्यूफैक्चरिंग नहीं होगी, तब तक इम्पलोयमेंट नहीं मिलेगी और ऐसी स्थिति में हम कभी सैल्फ रिलायंट हो ही नहीं सकते। ये मैं पहली बात आपसे कहना चाहता था।

दूसरी बात, जो आरएनडी की कॉन्ट्रिब्यूशन है, ये सबसे ज्यादा केन्द्र सरकार की है और केन्द्र सरकार में तीन ऐसे विभाग हैं, जो इसमें कॉन्ट्रिब्यूट करते हैं, वो हैंएटॉनोमिक एनर्जी डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस औऱ डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी। इसमें प्राईवेट सेक्टर का योगदान ज्यादा नहीं है। प्राईवेट सेक्टर का योगदान जो ज्यादतर करती हैं, वो हैं– 1. एसएपी लैब्स प्राइवेट लिमिटेड़, 2. एम्फैसिस लिमिटेड एंड 3. ओलंपिक टैक पाक प्राइवेट लिमिटेड़ (SAP Labs India Private Limited, Mphasis Limited and Olympia Tech Park Private Limited), इनका योगदान है। लेकिन जो राज्य सरकारें हैं, जो पब्लिक एंटरप्राईजिज हैं, जो हायर एजुकेशन में केन्द्र सरकार अपना कॉन्ट्रिब्यूशन करती हैं, मिल-मिलाकर उसमें 80-90 प्रतिशत तो उसी का है, तो प्राईवेट सेक्टर के द्वारा इनोवेशन कोई हो नहीं रही है। आरएनडी में कोई रिसर्च हो नहीं रहा और जब तक वहाँ रिसर्च नहीं होगा, तब तक देश आगे बढ़ नहीं सकता, कभीसैल्फ रिलायंटहो नहीं सकता।

अब मैं आपको बताता हूं कि बाकि देशों में क्या हो रहा है, ये भी आंकड़े डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा 2018-19 के आंकड़े हैं। जीडीपी का जो एक्सपैंडिचर ऑन आरएनडी, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, उसमें सरकारों का क्या योगदान रहता है, बिजनेस और हायर एजुकेशन का क्या योगदान रहता है? उसके लिए मैं आपको आंकड़े देता हूंसरकार का योगदान आस्ट्रैलिया में 13 प्रतिशत है और बिजनेस का 53 प्रतिशत है और हायर एजुकेशन में 31 प्रतिशत। कनाडा में सरकार 7 प्रतिशत और 52 प्रतिशत बिजनेस एंटरप्राईसेस और एजुकेशन इंस्टिट्यूशन 41 प्रतिशत। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि University system is at the heart of the R&D and Innovation. उस यूनिवर्सिटी सिस्टम में तो आप एबीवीपी के लोग भेज देते हैं, उसी यूनिवर्सिटी सिस्टम में तो आप दंगे फसाद कराते हैं, उसी यूनिवर्सिटी सिस्टम में चाहे वो जेएनयू हो, चाहे वो जामिया हो, चाहे वो दिल्ली यूनिवर्सिटी हो, चाहे हैदराबाद यूनिवर्सिटी हो, वहाँ दंगे-फसाद होते हैं। वहाँ आप अपने ऐजेंडे चलाते हैं, आपको देश से क्या लेनादेना, आपको तो राजनीति से लेनादेना है। आप बात करते हैंसैल्फ रिलायंटकी और यूनिवर्सिटी सिस्टम को बर्बाद करते हैं। ये आपका नजरिया है।

फ्रांस 13 प्रतिशत सरकार द्वारा, 65 प्रतिशत बिजनेस एंटरप्राईसेस ऑफ आरएनडी द्वारा और 21 प्रतिशत यूनिवर्सिटी द्वारा। चीन में 15 प्रतिशत सरकार द्वारा, 78 प्रतिशत बिजनेस एंटरप्राईसेस द्वारा, that is why China is the leader in the world in innovation. चीन का कोई मुकाबला नहीं है इनोवेशन में, क्योंकि जो आरएनडी के द्वारा इंटैलेक्चुअल प्रोपर्टी पैदा करता है, वही देश धन्य होगा। उसी देश में पैसा ज्यादा आएगा, वही देश आत्मनिर्भर होगा, वही देश सैल्फ रिलायंट होगा। जर्मनी 13 प्रतिशत सरकार द्वारा, 69 प्रतिशत बिजनेस और 17 प्रतिशत हायर एजुकेशन द्वारा। इटली 13 प्रतिशत सरकार द्वारा, 61 प्रतिशत बिजनेस और 24 प्रतिशत एजुकेशन द्वारा। इसमें इटली, जापान, मैक्सिको, साउथ कोरिया, रशिया में भी ऐसा ही है, 30 प्रतिशत सरकार द्वारा, 60 प्रतिशत बिजनेस। स्पेन, यूके, यूएस में 10 प्रतिशत सरकार द्वारा, 73 प्रतिशत बिजनेस द्वारा और 13 प्रतिशत हायर ऐजुकेशन द्वारा। इसलिए हमारी जीडीपी स्टेगनेंट है, हमारी आरएनडी स्टेंगनेंट है और इसलिए हमारा जो इको सिस्टम है, वो सैल्फ रिलायंट है ही नहीं। अगर उसमें बदलाव लाना चाहते हैं, तो प्रधानमंत्री जी के ऐलान से नहीं होगा। आपको देश के लिए कुछ करना पड़ेगा और सबसे पहले अपने जो शिक्षा के संस्थान हैं, जो यूनिवर्सिटी हैं, वहाँ आपको पार्टनरशिप के साथ पैसा लगाना पड़ेगा और प्राईवेट सेक्टर को बुला कर एक इनोवेशन ईको सिस्टम बनाना पड़ेगा। जिससे इंटैलेक्चुअल प्रोपर्टी पैदा हो, जिसके द्वारा उद्योगपति उस आईडिया को लेकर प्रोडक्शन करें और जो बाकी लोग हैं, सर्विस सेक्टर में, उसके द्वारा हमें सैल्फ रिलांयट बना दें।

दूसरी बात, आपसे कहना चाहता था कि ये कहते हैं Let’s go local about vocal, अब कौन से लोकल के बारे में ये वोकल रहे हैं। असलियत तो ये है कि हमारे विश्व में जो बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, उनकी सीइओ हिंदुस्तानी हैं, people of Indian knowledge, चाहे वो आईबीएन हो, चाहे वो गूगल हो, चाहे माईक्रो सॉफ्ट हो, चाहे अडोब हो, चाहे मास्टर कार्ड हो, चाहे इंस्टा नेटवर्क हो, चाहे नोकिया हो, चाहे सीईओ नेट एप हो, चाहे हार्मन इंटरनेशनल हो, चाहे माइक्रोन टेक्नोलॉजी हो...... इन सबके जो सीईओ हैं, ये हिंदुस्तानी हैं। So we can be vocal about the local, क्योंकि वो तो लोकल हैं, उनके लिए तो हम वोकल हो सकते हैं, पर हिंदुस्तान में किसके लिए आप वोकल हो गए, अपने लिए तो आप हर रोज वोकल रहते हैं। अब देश में किसके लिए आप वोकल रहते हैं, आप माईग्रेंट को तो देख नहीं पा रहे हैं। आपकी सैल्फ रिलायंट पॉलिसी जो श्रमिक हैं, उनकी क्या है कि हमारी सरकार तो कुछ कर नहीं पा रही है। आप श्रमिक लोग सैल्फ रिलायंट हो जाओ। ये है आपकी सैल्फ रिलायंट पॉलिसी, वो बेचारे हजारों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। जो एमएसएमई सेक्टर हैं, कैसे सैल्फ रिलायंट होंगे आपकी मदद के बिना। हमारी यूनिवर्सिटी सिस्टम कैसे सैल्फ रिलायंट होंगे, जो आप वहाँ वायसचांसलर नियुक्त करते हैं, वो तो आरएसएस के लोग लागू करते हैं, जिन लोगों की आरएसएस से सिंपेथी हो, चाहे वो आरएसएस के लोग हों या सिपिंथाइजर हों। फिर यूनिवर्सिटी में नियुक्तियां करते हैं, वो भी ऐसे लोगों की करते हैं। फिर जब पैसा देते हैं, तब भी आप कंट्रोल रखते हैं, तो यूनिवर्सिटी सिस्टम में वो इनोवेशन पैदा कैसे होगा? किस आत्मनिर्भरता की आप बात कर रहे हैं, क्यों जुमला फैला रहे हैं, नया जुमला?

 

मैं आपको एक और आंकडा देता हूं, हमारा जो लॉजिस्टिक कोस्ट हैं, As a percentage of GDP, जिसकी वजह से हम कंपैटेटिव हो नहीं पाते, our logistic cost as a percentage of GDP because we cannot then be competitive with others is 14% of GDP and as compare to the US, US is 9.5% of GDP, Germany is 8% of GDP, Japan is 11% of GDP, so which entrepreneur will set up a manufacturing unit in India? Nobody from abroad will set up. अगर आपके logistic cost is 14% of GDP, why will an foreign enterprise will set up a manufacturing plant in India because that will not be comparative globally and there is no plan of action has to what to do about this. Cost of movement of raw material is very high, fuel costs are very high. मतलब कि आपको पेट्रोल तो कम कीमत पर मिलता है, लेकिन आप बेचते ज्यादा पर हैं। बेचते हो ज्यादा तो उसकी लॉजिस्टिक कोस्ट बढ़ जाएगी, क्योंकि खरीदा उसी दाम पर जिस दाम पर आप बेचते हैं। वो खरीदेगा उसकी कोस्ट बढ़ जाएगी, कोस्ट बढ़ेगी तो वो कंपैरेटिव होगा नहीं। इसके बारे में तो आप कुछ कहते नहीं प्रधानमंत्री जी, इसके बारे में वित्त मंत्री जी कुछ कहती नहीं हैं। आप तो बस ऐलान कर देते हैं, फिर ताली बजाओ, थाली बजाओ, फिर दीया जलाओ। ये कोई रास्ता है आत्मनिर्भरता का?

 

अब मेक इन इंडिया की बात करते हैं, बड़ा इंट्रस्टिंग डेटा है हमारे पास कि जो भी आपके मोबाईल फोन हैं, वो यहाँ मैन्यूफैक्चर नहीं हो सकते, वो यहाँ ऐसेंबल होते हैं। जो इलैक्ट्रोनिक गुड्स हैं आपकी, कंज्यूमर इलेक्ट्रोनिक लाइटिंग वगैरह, ये केवल ऐसेंबल हो सकते हैं और जो इसकी वैल्यू एडिशन हिंदुस्तान में होता है, वो केवल 30 प्रतिशत होता है। So, most of these mobile phones that we have are assembled in India, the lighting and the consumer electronics are also assembled in India and the value addition done in India is only 30%, but, in countries like Thailand, Indonesia, Malaysia, Taiwan, Philippines, Korea, China manufacturing contributes 30-50% of GDP. तो निर्माण का जो योगदान है जीडीपी में चाहे वो मलेशिया हो, इंडोनेशिया हो, थाईलैंड हो, ताईवान हो, फिलीपींस हो, कोरिया हो, चीन हो, उसका योगदान 30 से 50 प्रतिशत जीडीपी का योगदान है। हिंदुस्तान में वो योगदान केवल 16 से 18.32 प्रतिशत, वो भी पिछले 10 सालों में 2.32 प्रतिशत बढ़ा है, तो आप कैसे मेक इन इंडिया की बात करते हैं? 

फिर जो इलैक्ट्रोनिक इक्विपमेंट हम लेते हैं, जिसका इस्तेमाल करते हैं, पावर सेक्टर जो इस्तेमाल करते हैं, वो 60 बिलियन डॉलर का हम आय़ात करते हैं। इलैक्ट्रोनिक इक्विपमेंट, असेंबली, कंपोनेंट, रॉ मैटेरियल, हर साल 60 बिलियन डॉलर की आयात होती है। एक और आपको आंकड़ा बता दूं कि 88 प्रतिशत जो कंपोनेंट हैं, इस मोबाईल सैट के, वो चीन से आते हैं। मोबाईल हैंडसैट चीन से आते हैं, 88 प्रतिशत। तो कौन सी आत्मनिर्भरता की आप बात कर रहे हैं?

 

मैडिकल डिवाइस जो अस्पतालों में हम इस्तेमाल करते हैं, जो सीटी स्कैन हो, सैंसर हो, वो ऑपरेशन इक्विपमेंट हो, कुछ भी हो, लगभग 70 से 90 प्रतिशत मैडिकल जो डिवाइसेस हैं, वो बाहर से आते हैं। वो अस्पताल हैं, पावर सेक्टर हों, निर्माण का क्षेत्र हो, अभी सोलर पावर की बात करें कि सोलर पावर प्रोडक्ट जो हैं, वो भी लगभग मोड्यूल ऑफ सैल 2.59 बिलियन डॉलर, 2018 में उनका आय़ात हुआ। So when it come to electrical equipments, the power sector, medical devices in the health sector, solar power products, manufacturing all that is imported, so what are you talking about this, what is this 20 साल बाद का, जो 1988 फिल्म का टाइटल रहा, वही बात हो रही है। अभी प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आपने बाकी लोगों को 60 साल दिए, हमें 60 दिन दे दो, हम देखिए कितना बदलाव कर देंगे। मैं आपको आंकड़े दिखा रहा हूं, देखिए कितना बदलाव हुआ है पिछले 6 साल में, क्या हुआ है बदलाव? गिरावट जरुर हुई है, बदलाव तो हुआ नहीं।

 

फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री, 85 प्रतिशत जो हमारी फार्मास्यूटिकल एक्टिव, फार्मास्यूटिकल इंग्रीडियंट हैं, जिसको आप एपीआई कहते हैं, चीन से हैं, 40% of all active pharmaceutical ingredients are imported from China and we have imported Rs 249 billion worth of such ingredients in 2019. जहाँ तक हैल्थ सेक्टर का सवाल है, मैं सोच रहा था उस दिन कि मार्च 24, 2020 से पहले जब भी हैल्थ की बात आती थी, तो हम अक्सर सुनते थे गो-मूत्र और गोबर। इन दो चीजों की बड़ी चर्चा होती थी हैल्थ सेक्टर में, तो शायद इनका टू जी हैल्थ सैक्टर में है।  their 2G in the health sector is based on Gau Mutra and Gobar. अब तो मार्च 24 के बाद वो बात बंद हो गई, मगर ये किस किस्म की साइंटिफिक थिंकिग हैं कि आपका एक मतलब सहयोगी दल जिसका वो अध्यक्ष हैं, वो खड़े होकर कहते हैं कोरोना गो, what kind of scientific thought is this? Is this how going to make ourselves self-reliance? By using 2G which is Gobar and Gau Mutra for scientific research आप करो, हम नहीं कहते कि मत करो, उस पर योगदान भी मिलना चाहिए, but, that can’t be kind of public discourse that be have been having.

ऑटो कंपोनेंट की बात करते हैं, जो हमारी ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री है, वो अच्छा कर रही है। उसके आंकड़े मैं बताऊं, 27 प्रतिशत ऑटो कंपोनेंट चीन से आते हैं, जो भी हमारी ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री इस्तेमाल करती है, 27 प्रतिशत उसके पार्ट चीन से आते हैं। जर्मनी से 14 प्रतिशत, साउथ कोरिया से 10 प्रतिशत, जापान से 9 प्रतिशत और यूएस से 7 प्रतिशत। In auto industry, about 27% of the roughly $17.5 billion worth of component imports annually into India comes from China, followed by Germany (14%), South Korea (10%), Japan (9%) and US (7%). अगर इनको मिला दें तो लगेगा आपको 67% of all components in the automobile components sector are imported from outside. What self-reliance are you talking about? What kind of Jumla is this for the people of the country?

 

टैक्सटाइल मैटेरियल का वही हाल है, टैक्सटाइल इंपोर्ट, रॉ मैटिरियल, सिंथैटिक फैबरिक, बटन, जिपर, हैंगर हम चीन से लेते हैं। बटन भी, जिपर भी और हैंगर भी ये चीन से आते हैं और आत्मनिर्भरता की आप बात करते हैं। डाईस एंड डाईस स्टफ, 20 प्रतिशत हमारी प्रोडक्शन गिर गई, इनके डाईस एंड डाईस स्टफ चीन से मिलता है हमें, वो रॉ मैटेरियल आया नहीं, प्रोडक्शन कम हो गई। India imports textile raw materials including synthetic yarn, synthetic fabric, buttons, zippers, and hangers from China.

एक और इंट्रस्टिंग बात बता दूं। अभी कम्यूनिकेशन सेक्टर की बात होती है, 4 जी, 5 जी, वो सब, 5 जी तो अभी लागू नहीं हुआ। 4 जी की जब बात होती है, 4 जी का जो इक्विपमेंट, वो रिलायंस जीओ 4 जी का इक्विपमेंट जो इस्तेमाल कर रहा है, वो सैमसेंग का है। the 4G equipment that Reliance Jio is using, is from Samsung, nothing is produced in India, nothing is manufactured in India, this is the self-reliance, that you are talking about. That is as far as Reliance Jio is concerned when it comes to Vodafone and Bharat Airtel, they use Huawei’s 4G. जहाँ तक भारती एयरटेल और वोडाफोन की बात आती है, वो यूएई का 4 जी का इस्तेमाल करते हैं। फिर बाकी चीजें स्वीडन के Ericsson से आती हैं, Finland’s Nokia से आती हैं, चीन के ZTE आती हैं। हम यहाँ क्या बनाते हैं, ना आप फोन यहाँ बनाएं, ना आप कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट यहाँ बनाएं, ना 4 जी के इक्वीपमेंट बनाएं, ना अस्पताल के इक्विपमेंट यहाँ बनाएं, ना इलेक्ट्रिक इक्विपमेंट यहाँ बनाएं, ना मैडिकल डिवाइसिस यहाँ बनाएं, ना सोलर पावर प्रोडक्ट यहाँ बनाएं, ना ड्रग अपार्ट फ्रोम जेनेरिक ड्रग, बाकी ड्रग इनोवेशन आप ना बनाएं, तो आप बना क्या रहे हैं, केवल जुमले, ऐलान, स्लोगन ! That’s the only thing we ‘Make in India’, slogans, every new, few months, there is a new slogans, which is ‘Made in India’ here we are master’s of that.

 

अब कोल सेक्टर भी आत्मनिर्भर नहीं है, हालांकि जो हमारे पास जो संख्या कोल की है, our territory is huge, कहते हैं कोल इंडिया एक्सप्लॉइट नहीं कर पा रही है, इसलिए उन्होंने कहा कि हम प्राईवेट सेक्टर को दे रहे हैं। आपको मालूम है कि प्राईवेट सेक्टर का मतलब क्या है? पहले तो ऑक्शन होगा। पीछे आपने ऑक्शन देखे हैं, कोई पार्टिसिपेट ही नहीं करता। जो करते हैं, वो कहते हैं कि हमें कोल ब्लॉक चाहिए ही नहीं। तो ऑक्शन होगा, उसकी कीमत क्या होगी, क्या उसमें पार्टिसिपेट करेगा कोई या नहीं?

Coal is now imported into this country and the extent of import is about 235 thousand metric tonnes during 2018-19. It is 5% higher than in the earlier year. So, if coal is imported, you are not sufficient in coal, without coal, without energy, many case you cannot move forward and the nation’s economy cannot move forward. So, if you are importing coal, now of course, you have given it to the private sector, but, in the private sector, how long will it take? For the private sector to use that resource for the purposes of enabling energy to be produce for production of goods and service, First, you will auction it, God will know, who will participate in that auction in the context of this global meltdown of this pandemic, which has resulted in global meltdown of economic activity. So if the auction doesn’t take place or auction is not successful, this will not happen, even if it happen, let’s assume, it is successful, but, will you want it to be successful, then what happens, then you know under the rules and regulations of the Government of India, where the coal Ministry, it takes 3-4 years to setup a plan for production, you have to take so many approvals, you have to have a mining plan, it takes several years to set backup, then you have mining approval, take several years to get those mining approvals. It is 7-8 years long delays by that time of course you are able to win the coal from the mine. We want self-reliance, we don’t want these games. If you tell us what is substances you are going to do for this country for self-reliance?

कमाल की बात ये है कि अगर आज के दिन हिंदुस्तान में किसी को फायदा हो रहा है, वो सब डिजिटल  प्लेटफॉर्म को फायदा हो रहा है। क्योंकि प्रोडक्शन, उद्योग तो खत्म हो गया। बड़ी मुश्किल से वो खड़ा हो पाएगा। एमएसएमई बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाएगा। तो कौन से बड़े प्लेटफॉर्म हैं जिन्हें फायदा हो रहा है - गूगल पे, पेटीएम जो हैं ना, 33 प्रतिशत जो टॉप प्लेटफार्म में, 33 प्रतिशत का योगदान पेटीएम का है। गूगल का 14 प्रतिशत है, अमेज़न का 10 प्रतिशत, तो मिलमिलाकर ये 57 प्रतिशत बन जाता है। Top platforms in today that are functioning, is Paytm 33%, Google 14%, Amazon Pay, 10% and all these platforms are launched by major global platforms, global players, where is the Indian here? What are you talking about self-reliance and who is Paytm controlled by? Chinese firm Alibaba, that group holds 42% share in Paytm पेटीएम का जो हिस्सेदार है, जो शेयर होल्डर है वो अलीबाबा है, जिसमें 42 प्रतिशत शेयर पेटीएम के उसके पास है, वो चाईनिज कंपनी है। जापान का सॉफ्ट बैंक है, उसका 20 प्रतिशत उसमें शेयर है। मतलब 42 और 20, 62 प्रतिशत तो बाहर के लोग कंट्रोल कर रहे हैं पेटीएम और बात करते हैं सैल्फ रिलायंट की और बाकी जो ईकॉमर्स प्लोटफार्म हैं, इनको सबसे मुनाफा हो रहा है।

 

असलियत तो ये हैं कि प्रधानमंत्री जी ने हमेशा कोर्पोरेट सेक्टर को गले लगाया है और गरीब को दूर भगाया और तभी तो हमारे श्रमिक लोग दूर भाग रहे हैं। तो कॉमर्स प्लेटफार्म कौन हैं- अमेज़न, अलीबाबा, वॉलमार्ट, सॉफ्ट बैंक और Amazon India is backed by Amazon.com, Walmart, that has 81.3% stake in Flipkart, which is Indian? Alibaba backs the online grocery company BigBasket and SoftBank Corp backs Grofers. तो सारा कंट्रोल तो विदेश में है, विदेश की कंपनियों में, सारा कंट्रोल। इंपोर्ट विदेश से, कंट्रोल विदेश का और बात आत्मनिर्भरता की, ये मजाक कर रहे हैं आप हिंदुस्तान की जनता के साथ। वीडियो कॉन्फ्रैंसिंग जो चल रही है, जिसके द्वारा हम आपसे बात कर रहे हैं, जूम, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल मीट, ये सब बाहर के हैं। मतलब मुझे आपसे बातचीत करने के लिए भी बाहर का प्लेटफार्म इस्तेमाल करना पड़ता है। और की बात तो बाद में रही।

 

ऑनलाइन लर्निंग, ये कहते हैं आप ऑनलर्निंग को बढ़ावा देंगे। आपके पास जब फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क वो भी अभी इस वक्त डाला नहीं। भारत नेट प्रोजेक्ट जो था, जो फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क कई सालों पहले पूरा होना था, आज के दिन फरवरी 2020 this Bharat Net Project, by which online connectivity was to be achieved many years before. Till February 2020, cables had been laid in 59 per cent of gram panchayats, of which 53 per cent are service-ready. तो 60 प्रतिशत ग्राम पंचायत में नेटवर्क है, उसका 50 प्रतिशत तैयार है, बाकी 50 प्रतिशत तैयार ही नहीं। इसका मतलब लगभग 26 प्रतिशत ग्राम पंचायत का नेटवर्क तैयार है, 74 प्रतिशत का तैयार नहीं है और आप बात करते हैं ऑनलाइन लर्निंग की। कितने लोगों के पास घर में कम्प्यूटर है, कितने गरीब लोगों के पास घर में कम्प्यूटर है और आप एक खाई पैदा करते हैं, जो अमीर लोग हैं, जो सोशल डिस्टेंसिंग कर सकते हैं, उनके लिए तो ठीक है ऑनलाइन लर्निंग। अभी पंजाब से खबर आई है कि जो प्राईवेट स्कूल में बच्चे पढ़ते थे, वो भी अब पब्लिक स्कूल में जाकर भर्ती हो रहे हैं, क्योंकि लोगों के पास पैसा ही नहीं है। कहाँ से ऑनलाइन लर्निंग करेंगे, कौन सी ऑनलाइन लर्निंग करेंगें? एक मजाक हो रहा है हिंदुस्तान के साथ।

 

जहाँ तक 5 जी ऑक्शन का सवाल है, पहले तो सवाल ये उठता है कि क्या आप उसमें किसी को पार्टिसिपेट करने देंगे? 5 जी के जो बेस प्राईस हैं, जिसके आधार पर ऑक्शन होंगे, the base price of 5G network the first issue is whether you will allow Huawei to be here or not in this country, but, assuming you are to allow, the situation is that your base price for the 5G network in the megahertz spent of 3300 and 3600 is the highest in the world. जो आपका बेस प्राईस था 5 जी का, ऑक्शन के लिए, वो विश्व में सबसे ज्यादा महंगा है। वो है- 70 मिलियन डॉलर in this band, बेस प्राईस है हिंदुस्तान में और इटली में 26 मिलियन, साउथ कोरिया में 18 मिलियन, यूके में 10 मिलियन, ऑस्ट्रेलिया में 5 मिलियन। अब मुझे बताएं कि इस मंदी की हालत में, इस पैंडेमिक में, जहाँ लोगों के पास पैसा नहीं, आपने बेस प्राईस 70 मिलियन कर दी, खरीदेगा कौन? लेकिन आप ऐलान करते हैं कि 5 जी आएगा, उससे हमें इतना पैसा मिलेगा। कहाँ से पैसा मिलेगा?

 

मैं दुख से कह रहा हूं कि हम नहीं चाहते कि हम किसी की आलोचना करें, ये प्लेटफार्म आलोचना करने का नहीं है। लेकिन इतना जरुर है कि आज हमारा कर्तव्य बनता है कि हम देश के सामने सच्चाई तो रखें। देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं? ऐलानों से कभी हिंदुस्तान आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। 

 

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