साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े तीन सिविल सूट में साबरकांठा जिले की एक तालुका कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शनिवार (05 सितंबर) को यह आदेश जारी किया है। तीनों मामलों में नरेंद्र मोदी को प्रतिवादी बनाया गया था। ये मामले दंगों के पीड़ितों के रिश्तेदारों ने दाखिल कराए थे।
जनसत्ता की रोपर्ट के अनुसार मोदी की तरफ से एक वकील ने कोर्ट को नाम हटाने के लिए आवेदन दिए थे। प्रांतीज कोर्ट के प्रधान वरिष्ठ सिविल जज एस के गढ़वी तीन सूटों में मोदी का नाम प्रतिवादी के तौर पर हटाने के इस फैसले पर पहुंचे। अदालत के अनुसार, मोटे तौर पर जज ने माना कि वादी मामले को खींचने की कोशिश कर रहा है। मोदी के खिलाफ आरोप केवल सामान्य, गैर विशिष्ट और अस्पष्ट थे और यह साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत किया गया कि गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी दंगों के समय अपराध स्थल पर मौजूद थे।
दंगों में मुआवजे के लिए ये तीन सिविल सूट पीड़ितों के परिजनों, शिरीन दाऊद, शमीमा दाऊद (दोनों ब्रिटिश नागरिक) और इमरान सलीम दाऊद द्वारा दायर किए गए थे। मोदी के अलावा छह अन्य आरोपियों की भी अदालत ने सूट केस से बरी कर दिया है। इनमें राज्य के पूर्व गृह मंत्री गोरधन ज़डफिया, दिवंगत डीजीपी के चक्रवर्ती, गृह विभाग में पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक नारायण, दिवंगत आईपीएस अधिकारी अमिताभ पाठक, तत्कालीन निरीक्षक डी के वानीकर और राज्य सरकार भी शामिल है।
28 फरवरी, 2002 को ब्रिटिश नागरिक इमरान दाऊद, (तब 18 साल के एक नवयुवक) अपने ब्रिटेन स्थित चाचा सईद दाऊद, शकील दाऊद और मोहम्मद असवत के साथ भारत की पहली यात्रा पर आए थे। चारों ने उस वक्त जयपुर और आगरा का दौरा किया था। टूर के बाद चारो साबरकांठा जिले के प्रांतीज के पास अपने पैतृक गांव लाजपुर लौट रहे थे, जहां एक भीड़ ने उनका रास्ता रोक दिया और उनके टाटा सूमो को आग लगा दी। इसमें सईद और असवत के साथ उनके गुजराती ड्राइवर युसुफ पिरगहर की हत्या कर दी गई, जबकि शकील लापता हो गया। यह मान लिया गया कि वो भी दंगों में मारा गया। प्रांतीज में ब्रिटिश नागरिकों की हत्या का मामला भी अलग किस्म का है क्योंकि शायद यह पहला और दुर्लभ मामला है जहाँ विदेशी राजनयिकों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों के तौर पर पेश होने से हटा दिया गया था।
5 सितंबर को अदालती आदेश में कहा गया है, “एक भी कथन या दृष्टांत ऐसा नहीं है जो यह साबित कर सके कि प्रतिवादी नंबर 1 (मोदी) अपराध के समय घटनास्थल पर था या उसकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भागीदारी थी या कोई विशिष्ट भूमिका थी जिसमें से दुर्भावनापूर्ण या जानबूझकर कार्य करने के लिए उचित आधार या चूक पाया जा सके, जो वादी को किसी भी कानूनी अधिकार या राहत पाने का दावा करने का आधार बनाता हो।” इस आदेश में यह भी कहा गया है कि पीड़ितों के रिश्तेदारों ने किसी भी तरह से यह नहीं बताया कि तत्कालीन राज्य सरकार के अधिकारियों की कथित कृत्यों या चूक के लिए मोदी व्यक्तिगत रूप से कैसे उत्तरदायी हैं?
ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :
https://www.watansamachar.com/
उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :
http://urdu.watansamachar.com/
हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :
https://www.youtube.com/c/WatanSamachar
ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :
आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :
https://twitter.com/WatanSamachar?s=20
फ़ेसबुक :
यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।
Support Watan Samachar
100 300 500 2100 Donate now
Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.