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NPR को NRC के भेष में मोदी सरकार देश के अंदर पेश कर रही है: कांग्रेस ने बीजेपी और सरकार के झूठ से उठाया पर्दा, बताया if available का मतलब

दूसरा जो इसके अंदर कहा गया है Place of birth of father and mother, if within India, write the name of the state and district, if outside India, write the name of the country and put “ ” for district.यानि अगर आपके माता-पिता इंडिया में कहीं पर रहे हैं तो उनकी डिटेल दी जाए और अगर आपके माता-पिता हिंदुस्तान से बाहर पैदा हुए हैं तो किस देश के अंदर पैदा हुए हैं, उसके बारे में बताया जाए। मुझे बताएं कि usual resident की डेफिनशन में कहाँ पर लिखा हुआ है कि इस चीज को असरटेन (ascertain) करना है? कहाँ पर usual resident की डेफिनेशन में कहा गया है, ये प्री टेस्ट के फॉर्म में भी क्यों आया है, क्योंकि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। तो इसके अंदर usual resident की डेफिनेशन में जो जरुरत ही नहीं है, वो डाला गया है।

By: वतन समाचार डेस्क
  • NPR को NRC के भेष में मोदी सरकार देश के अंदर पेश कर रही है: कांग्रेस ने बीजेपी और सरकार के झूठ से उठाया पर्दा, बताया if available का मतलब

 

अजय माकन ने कहा कि आज की प्रेस वार्ता का मुख्य मकसद एनपीआर, एनआरसी, खास तौर से इन दोनों चीजों के बारे में स्पष्ट तरीके से आप सब लोगों को और आपके माध्यम से भारत की जनता को बताना हमारा मकसद है कि ये क्या है। कांग्रेस पार्टी का क्या स्टैंड रहा है। 2010 में जब एनपीआर सबसे पहले किया गया, हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसेज के साथ पहली अप्रैल से लेकर सितंबर, 2010 में तो उस वक्त as एमओएस (MoS) होम, मेरे अधीन ये विभाग था और चिदंबरम साहब हमारे मिनिस्टर थे, हम लोगों ने इस कार्यवाही को किया।

 

सबसे पहले मैं आपको बताना चाहता हूं कि 2003 में सिटीजनशिप एक्ट का अमेंडमेंट हुआ और उसके अंदर एक क्लोज जोड़ा गया और अन्य चीजों के अलावा, जिसे 14 (A) कहा जाता है, इसके अंदर दो महत्वपूर्ण कंपोनेंट है, जिसके साथ आगे बात बढ़ती है। सबसे पहले उसके अंदर कहा है कि The Government may compulsorily register every citizen. ‘May compulsorily register’, इसमें may word important है। दूसरा हिस्सा कहता है - The Government may maintain a national register of Indian citizens. May maintain, तो ये दोनों चीजें may हैं। इसके बाद में रुल भी इसके अंदर बनते हैं, 10 दिसंबर 2003 को रुल इसके साथ नोटिफाई होते हैं और एनपीआर की एक्सरसाईज से पहले उस समय की एनडीए सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नवंबर 2003 में पायलट प्रोजेक्ट को रोल आउट कर देती है, दिसंबर से वो शुरु भी हो जाता है और वो पायलट प्रोजेक्ट का काम है कि वो आइडेंटिटी कार्ड सिटीजन के बनाएगा, देश भर के अंदर 12 स्टेट चुने जाते हैं, एक यूनियन टेरिटरी चुनी जाती है, जहाँ 31 लाख के करीब पॉपुलेशन है। इतने में कांग्रेस पार्टी की सरकार आती है, कांग्रेस पार्टी की सरकार जब आती है 2004 में, तो ये कार्यक्रम चल चुका है, ये चल रहा है। उसके बाद में अक्टूबर 2006 में भारत सरकार की कमेटी ऑफ सेक्रेटरी ये कहती है कि ये बड़ा कंबर्सम प्रोसेस (cumbersome process) है, प्रैक्टिकल नहीं है, मुश्किलें आ रही हैं, लिहाजा इसको शेल्फ कर देना चाहिए, इस पायलट प्रोजेक्ट को एक्सटेंड नहीं करना चाहिए, यहीं पर रखना चाहिए। उसके बाद EGOM (Empowered Group of Ministers) इस कमेटी ऑफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट का जायजा लेता है और फैसला करता है कि अब आगे पायलट प्रोजेक्ट को आई कार्ड देने के लिए आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। 31 लाख में से सिर्फ साढ़े 12 लाख लोगों के आई कार्ड बन पाते हैं, बाकियों के आई कार्ड भी नहीं बन पाते हैं। तो आप समझ सकते है कि ये प्रोजेक्ट जो उस वक्त भाजपा की सरकार ने शुरु कियाजब ये आगे कामयाब नहीं हुआ तो हमारी सरकार ने इसे उसी वक्त रोक दिया और ये सिटीजनशिप डिटरमिनेशन का था। अक्टूबर2006 में कमेटी ऑफ सेक्रेटरी का निर्णय होता है और उसके बाद में EGOM इसको रोक देती है और फिर ये तय होता है कि हम एनपीआर के ऊपर वर्क करेंगे।

 

एनपीआर क्या है और एनआरसी क्या है - इसमें बहुत बड़ा बुनियादी फर्क है, जो सबको समझने की जरुरत है। एनपीआर है- National Population Register of usual residents. usual residents का मतलब साधारण, सामान्य निवासी। साधारण, सामान्य नागरिक नहीं, निवासी। साधारण निवासी Usual resident डिफाइंड है, यूनाइटेड नेशनस की डेफिनेशन से लेकर। इस usual resident के दो जरुरी पक्ष हैं। एक ये कि usual resident पिछले एक साल में से मैज्योरिटी दिन यानि 6 महीने एक दिन, वहाँ पर उस जगह के ऊपर जहाँ पर एन्यूमुरेशन (enumeration) हो रहा है, जहाँ पर रजिस्टर बनाया जा रहा है, वहाँ पर उसको रहा होना चाहिए या फिर वो आगे 6 महीने और रहना चाहता है, अगर वो आगे 6 महीने भी और रहना चाहता है तो वो वहाँ का usual resident माना जाएगा, अगर पहले भी नहीं रह रहा हो तो। तो ये usual resident का पॉपुलेशन रजिस्टर बनाए जाने की बात थी, जिसको कांग्रेस पार्टी ने शुरु किया और इससे पहले कि जो एक्सरसाईज जैसे मैंने कहा कि आई कार्ड सिटीजन का बनाए जाने वाला था, जो पायलट प्रोजेक्ट था, उसको बंद करके, फुल स्टॉप लगाकर आगे नहीं बढ़ने दिया। उसका कारण भी एग्जेक्ट वर्ड जो कहे गए हैं, मैं आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूं – ‘The experience of pilot project has shown that determination of Citizenship, is an involved and complicated matter and that creation of NPR with a single reference date would be more feasible’, ये EGOM का निर्णय है। अक्टूबर2006 में कमेटी ऑफ सेक्रेटरी का रिकमेंडेशन थाजिसके आधार पर end of अक्टूबर के अंदर EGOM का निर्णय था और इसकी वजह से इस पायलट प्रोजेक्ट को शेल्फ करके एनपीआर को सक्सेसफुली लागू किया गया।

 

परसों चिदंबरम साहब की वीडियो बीजेपी के सोशल मीडिया में बहुत चलाई गई, उस वीडियो के अंदर चिदंबरम साहब को बोलते हुए, जी.के. पिल्लेई (G. K. Pillai)  को बोलते हुए और प्रेजिडेंट को बोलते हुए दिखाया गया और बहुत सारे चैनल ने भी उसको दिखाया, लेकिन उसके अंदर कहीं पर भी सिटीजन्स के लिए बात नहीं की जा रही, उसके अंदर जी.के. पिल्लेई ने भी कहा है कि usual resident और चिदंबरम साहब ने कहा है कि 1.2 बिलियन people will get their ID cards, तो सभी के सभी, सिर्फ और सिर्फ usual residents के लिए, नागरिक के लिए नहीं, सामान्य निवासी की बात कर रहे हैं, नागरिक की बात नहीं कर रहे हैं, तो सामान्य निवासी की जब बात कर रहे हैं, तो सामान्य निवासी की डेफिनेशन, जो यूनाइटेड नेशनस की डेफिनेशन है, उसके आधार पर किया गया है।

 

अब भाजपा के झूठ पर आते हैं। भाजपा ने पिछले 5 साल में कहीं पर भी usual resident की बात ही नहीं की है। हमेशा पब्लिक मीटिंग के अंदर भी24 अप्रैल, 2019 को चाहे प्रधानमंत्री ने बंगाल के अंदर बोलते हुए या अमित शाह ने संसद के बाहर हमेशा एनआरसी की बात कीएनपीआर की तो बात ही नही की। उन्होंने हमेशा ये कहा है और इनके अपनी पार्टी के प्रेजिडेंट ने भी हमेशा ये कहा है कि सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट के बाद हमारा अगला कदम एनआरसी हैएनपीआर की तो बात ही कभी नहीं की। एनपीआर की बात तो आप सब लोगों ने भी, मैं तो involve था, मुझे पता था कि एनपीआर क्या है, 4 दिन पहले जब कैबिनेट का फैसला आया, आप सब लोग भी और ज्यादातर लोग एनपीआर अभी सुन रहे होंगे।

 

हम लोगों ने जब एनपीआर बनाया तो ये आप लोगों को वॉटसअप भी आया होगा, ये मैनुअल है एनपीआर का। हम आपको 2 पेज भेज रहे हैं, इसमें पूरा का पूरा मैनुअल 48-49 पेज का है (Copy attached as an Annexure 1)। तो ये मैनुअल का कवर पेज है और इसके बाद में इंट्रोडक्शन का पहला पेज है, जिसके अंदर Objective of NPR, Utility of NPR और Legal Provisions, ये तीन बहुत जरुरी चीजें हैं। Objective of NPR का है Collection of personal details of all residents of the country. This is 2010, ये आप सब लोगों के पास आ गया होगा। Objective है, Collection of personal details of all residents of the country.  इसमें कहीं पर भी एनआरसी को क्रियेट करने का यूटिलिटी ऑब्जेक्टिव कहीं पर भी पूरे के पूरे मैनुअल के अंदर, मैंने पीडीएफ के अंदर बार-बार सर्च करके देखा, कहीं भी एनआरसी का जिक्र नहीं है। आप भी देख सकते हैं। तो यूटिलिटी है - better targeting of the benefits and services under the Government schemes/programmes and improve planning. ये इसकी यूटिलिटी है, ये इसका लीगल प्रोविजन है, किस रुल के तहत किया जा रहा है, सारा का सारा इसके अंदर है। इस पूरे मैनुअल के अंदर आपको कहीं भी एनआरसी के साथ लिंक किया हुआ नजर नहीं आएगा कि ये एनआरसी करने के लिए किया जा रहा हैthis was for residents, this was not for citizensये सबसे जरुरी है।

 

हम लोगों ने ये शेड्यूल, जब हम सेंसेस में बोलते हैं, शेड्यूल डेट वाला नहीं है, ये एनपीआर वाला शेड्यूल है 2010 का, ये भी आपको भेजा गया है। इसमें सिंपल 14 सवाल हैं, एक दम सिंपल और वो 14 सवाल हैं जो  usual resident को जानने के लिए जरुरी हैं। इन सिंपल सवाल के अंदर जैसे - Name of person as should appear in the National Population Register, Relationship to the head of the family, Sex, Date of birth, Marital status, Educational qualification, Occupation/ Activity, Father's name, Spouse's name, तो सिंपल चीजें जो आपको, किसी भी रेजिडेंट के लिए जरुरी हैं, वो इसके अंदर हैं।

 

अब 2020 की बात पर आ जाते हैं, आपको मैंने बताया कि एनपीआर का मकसद केवल और केवल सामान्य निवासी की डिटेल और लिस्ट बनाना है। 2020 का हमेशा सेंसेस से पहले प्री टेस्ट होता है जिसमें फॉर्म दिया जाता है और वो फॉर्म लेकर प्री टेस्ट होता है, जो ले जाकर सर्वे किए जाते हैं। सितंबर में इसी वर्ष एनपीआर के लिए प्री टेस्ट हुआ है, 30 लाख सिटीजन, 30 लाख हमारे रेजिडेंट कह लीजिए, उनसे जाकर ये एनपीआर, 30 लाख लोगों का टारगेट था, जिनका ये प्री टेस्ट होना था। जो प्री टेस्ट का फॉर्म हैये सोशल मीडिया पर चल रहा है और बहुत सारे नेशनल और इंटरनेशनल पब्लिकेशन भी इसके अंदर ये कह रहे हैं कि ये फॉर्म हैसरकार की तरफ से अभी तक इसका खंडन नहीं आया है कि ये प्री टेस्ट फॉर्म हैसरकार ने अभी तक ये नहीं कहा है कि ये प्री टेस्ट फॉर्म नहीं है। सरकार ये कह रही है कि फाइनल नहीं हुआ है पर सरकार ये नहीं कह रही है कि ये प्री टेस्ट नहीं है। तो प्री टेस्ट फॉर्म के अंदर जो बातें हैंये सरकार की मंशा को बताता है। इस फॉर्म के अंदर क्या हैमैं आपको बताना चाहता हूंजो फर्क है। 3 चीजों का बुनियादी फर्क है।

 

If father, mother and spouse are not enumerated in this household or not alive, write their names along with date of birth.  अगर उस घर में जो व्यक्ति है, उसके साथ में उसकी पत्नी, उसके माता-पिता नहीं रहते हैं तो उनकी भी डिटेल इसमें मांगी जा रही है। ये एडिशन है। ये क्यों मांगी जा रही है? आपको तो जरुरत है जो वहाँ पर साधारण निवासी है, उसका नाम, पता और उसके बारे में डिटेल जानने के लिए, उसके पिता गांव में रहते हैं, माता गांव में रहती है या उसकी पत्नी कहीं पर रहती है, उसकी डिटेल यहाँ पर क्यों मांगी जा रही है? ये पहले तो नहीं था। अगर डेफिनेशन है usual resident की, जो मैंने आपको पढ़कर सुनाई, जो यूनाइटेड नेशनस से ली गई है, तो उसके बाद में इसके अंदर उसके माता-पिता कहाँ पर रह रहे हैं, उसकी वाइफ कहाँ पर रह रही है, उसका इस चीज से क्या मतलब है?

 

दूसरा जो इसके अंदर कहा गया है Place of birth of father and mother, if within India, write the name of the state and district, if outside India, write the name of the country and put “ ” for district.यानि अगर आपके माता-पिता इंडिया में कहीं पर रहे हैं तो उनकी डिटेल दी जाए और अगर आपके माता-पिता हिंदुस्तान से बाहर पैदा हुए हैं तो किस देश के अंदर पैदा हुए हैं, उसके बारे में बताया जाए। मुझे बताएं कि usual resident की डेफिनशन में कहाँ पर लिखा हुआ है कि इस चीज को असरटेन (ascertain) करना है? कहाँ पर usual resident की डेफिनेशन में कहा गया हैये प्री टेस्ट के फॉर्म में भी क्यों आया हैक्योंकि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। तो इसके अंदर usual resident की डेफिनेशन में जो जरुरत ही नहीं है, वो डाला गया है। अब इसमें मेरे जैसे व्यक्ति को दिक्कत है, अगर मेरे जैसे व्यक्ति से पूछा जाए कि आपके माता-पिता का जन्म स्थान बता दें तो मेरे माता-पिता दोनों पाकिस्तान में पैदा हुए हैं और अगर मेरी माता से पूछा जाए तो मेरे माता-पिता के भी माता-पिता पाकिस्तान में पैदा हुए हैं, तो उनकी डिटेल कहाँ से लाएंगे? तो ये हमारे जैसे लोगों के लिए दिक्कत होगी और आने वाले टाइम में इसकी क्या जरुरत है, हमारे usual resident में लिंक करने की? ये हम लोगों की समझ से बाहर है।

 

एक और महत्वपूर्ण और हैरानी वाला बिंदु है, जो सीधा हमारी प्राईवेट लाइफ को influence करता है, वो पूछते हैं, if available Aadhar number, Mobile number, Voter ID number, Driving License number,  अब मुझे बताएं कि ड्राईविंग लाईसेंस नंबर का usual resident, आधार का और आपके मोबाईल नंबर की इसके लिए क्या जरुरत है और सुप्रीम कोर्ट के बार-बार प्राईवेसी लॉ के ऊपर फैसले आने के बाद भी ये सरकार तो खुद सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना कर रही है। मैं सुन रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ लोग चैनल में कह रहे थे कि ये तो voluntary है। आपको मैं फिर वापस सुनाना चाहता हूं जो सबसे पहले मैंने बोला, इसके अंदर सवाल के ऊपर लिखा हुआ है, if available, यानि कहते हैं नहीं, तो इसका मतलब आपके पास नहीं है। अगर आप कहते हैं कि आपके पास में आधार नंबर नहीं है, इसका मतलब आपके पास आधार नंबर नहीं है। क्या मैं ये कह सकता हूं मेरा मोबाईल नंबर मेरे पास नहीं है, क्या मैं कह सकता हूं कि मेरे पास मेरा ड्राईविंग लाईसेंस नहीं है, इसमें voluntary नहीं लिखा हुआ है, इसमें लिखा हुआ है, if available, अगर उपलब्ध है तो।

 

 इसका मतलब ये है कि जो इसमें नहीं देगा, सीधे का सीधे उसके ऊपर लगेगा काटा, इसी के आधार पर, इसी के साथ में जो इसमें एनआरसी बनेगा, वो होगा बाहर। ये गर्दन पर पिस्तौल रखकर पूरे देश से मोबाईल नंबर, आधार नंबर, वोटर आई कार्ड नंबर, ड्राईविंग लाईसेंस नंबर, ये सारे के सारे इक्कट्ठा करने की इससे बड़ी प्रक्रिया क्या हो सकती है? If available, का मतलब उपलब्ध है, अगर आप कहते हैं नहीं है, तो इसका मतलब उपलब्ध नहीं है, मतलब है- है नहीं आपके पास।

 

तो ये बड़ी सीधी-सीधी एक साजिश है कि एनआरसी को एनपीआर के भेष में ये सरकार देश के अंदर पेश कर रही है। मैंने आपको डिटेल से इसके बारे में बताया है। इसके  बारे में कोई और स्पष्टीकरण आप पूछना चाहें तो आप पूछ सकते हैं।

 

On the question that you are saying that the Congress’ NPR in no case would have led to NRC, Shri Maken said- absolutely because the questions which they have added now, all these questions are what are required for NRC and in no way the questions which they have added are required for usual residents, definition. So, the definition of the usual resident does not require the additional information which they are seeking now. So, why they are seeking additional information for usual residents for which it is not required at all.

On another question in relation to the Rules in the Citizenship Act 2003 that NPR would automatically lead to NRC, Shri Maken said- No, No. There is nothing as ‘automatically’. As I read out earlier, the Clause 14(A) of Citizenship Amendment Act, which clearly says the Government ‘may’ compulsorily register citizen. The Government may maintain a national register of Indian citizen. So, it is not automatically done, if the Government does not want, because this ‘may’ can be converted into ‘shall’ – it depends on the sweet will of the Government and as I said we decided on the pilot project not to extend it. So, we decided in 2006 following which we did not continue with the pilot project and thus this Citizenship project to issue identity cards to the citizens because it was cumbersome, it was difficult – so we stopped it.

एक प्रश्न पर कि एनपीआर पर कांग्रेस का ऑफिशियल स्टैंड क्या हैश्री अजय माकन ने कहा कि ऑफिशियल स्टैंड ये है कि अभी इनका जो फॉर्म है, ये टैस्ट के लिए है, प्री टैस्ट फॉर्म है। तो मेरे ख्याल से हमें अभी इंतजार करना चाहिए। अगर ये सरकार प्री टैस्ट फॉर्म को, अगर ये प्री टैस्ट फॉर्म में बदलाव करके, जो हमारा फॉर्म था, जो सिर्फ यूजूअल रेजिडेंट्स के लिए लेकर आता है, तब उस टाइम के ऊपर हम लोग देखेंगे कि क्या इस पर करना है। लेकिन अगर सरकार इसको किसी भी तरीके से एनआरसी के साथ में लिंक करने की कोशिश करेगी तो हम इसका विरोध करेंगे।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि It is written, if available. एप्लिकेबल क्या होता है? मतलब it is written, If available, if applicable क्या होगा। आप बताइए, If Applicable है तब भी खराब है। मैं कैसे कह सकता हूँ कि मेरा आधार कार्ड नहीं है। अगर आधार कार्ड मेरे ऊपर एप्लिकेबल नहीं है तो मैंने तो अपने आप को इसके बेसिस पर सीधे एनआरसी से बाहर कर दिया।

एक अन्य प्रश्न पर कि ये रजिस्ट्रेशन डीटेल्स के लिए नहीं हैश्री माकन ने कहा कि तो जो किस डीटेल के लिए।, नहीं तो फिर मांग क्यों रहे हैं?, नहीं अगर रजिस्ट्रेशन के लिए नहीं है तो मांग किसलिए रहे हैं? तो इसको रखा क्यों हुआ है?

On another question about the pilot project of 2003 to 2006, Shri Maken said- as per the Citizenship Act, they were supposed to prove the citizenship and the same as it is in Assam or other places. Cut-off was there as per the Citizenship Act but as I said we found that it was so cumbersome, so difficult to reject or accept citizenship that the Committee of Secretaries following which the EGOM decided we should not continue with it.

On the question what happened between 2003 and 2006, Shri Maken said- we did not do that. We started preparing for NPR to be done along with the census. So, this 2010 census, NPR was done with the housing and the housing survey done from 1st May to September 2010. So, we linked NPR to census operation so that at the time of houses and housing survey, at that time this NPR form can be filled. Then we got ‘Aadhar’ issued. So, that is how we were able to give I Cards to 1.2 Billion people and that is why we say that ‘Aadhar’ card does not confer citizenship to you. It is just pure identity but not citizenship.

एक अन्य प्रश्न पर कि आपकी प्रेस कांफ्रेंस से पहले बीजेपी ने तीन डॉक्यूमेंट्स रिलीज करे और कहा कि ये आपने शुरु किया थाक्या कहेंगेश्री माकन ने कहा कि मैंने तो अभी आपको बताया न कि 2003 में जब अमेंड किया गया था, ये तो फर्स्ट स्टेप दिया उन्होंने, अब हमने फर्स्ट स्टेप में, सेकेंड में तो गए नहीं, ये तो शुरु ही सेकेंड स्टेप से कर रहे हैं। जो हम लोगों का उस टाइम भंवर जितेंदर सिंह जी का उत्तर था, उन्होंने तो सिर्फ फैक्ट्स रखे हैं और फैक्ट ये है कि NPR is a set of Citizens  and non citizens.  दोनों का सेट है। एनपीआर जो है, वो सिर्फ सिटीजन्स या नॉन सिटीजन्स का नहीं है, दोनों का है।

तो जो एनआरसी अगर कभी बनेगा, अगर बनाने की जरुरत होगी, जो हमने नहीं बनाया तो वो सब-सेट होगा इस एनपीआर का। तो ये तो फैक्ट है, जो उसने स्टेट किया और तो कुछ नहीं। हम लोगों ने सेकेंड स्टेप तक तो गए नहीं। जैसे मैंने कहा कि जो पायलट प्रोजैक्ट भी चल रहा था, सीधे सेकेंड स्टेप का वो भी हम लोगों ने रोक दिया। तो ये लोग तो फर्स्ट स्टेप जंप करके, डबल प्रमोशन लेकर के सीधे ही सेकेंड स्टेप पर पहुंचना चाहते हैं, फर्स्ट स्टेप का अमली जामा पहनाकर।

On the question that BJP is telling that the Congress Minister had told the Parliament that NPR is the first stage, Shri Maken said- what Bhanwar Jitendra Singh was stating in Lok Sabha was a simple fact – fact derived out of Citizenship Amendment Act, 2003 and also the rule which was promulgated on                      10th December 2003. So this is a simple fact which means that NPR is a set of citizens and non-citizens – both- whereas the NRC is a sub-set of NPR only for citizens. So, we never walked towards second step, we never wanted to create NRC because the pilot project also initially, which was going on, we found that it is not practically possible. So, we stopped that pilot project and instead put up full attention on to the first step which was creation of NPR without having any intention to going for the second step.

So, in ten years of our Government, we did not start the second step. Rather we stopped the pilot project. So, what more can be our intention about this entire thing?

On another related question, Shri Maken said- I am saying again and again, that following the NRC is a second step which we never intended to take. That is the part of the Amendment of the Citizenship Act taken place in 2003. So someone is saying that this is the first step and the second step is the creation of National Register for Citizen, he is just stating the fact as per the Citizenship Act amended in 2003. It does not mean that this was our intention.

On another question about NPR, Shri Maken said- first of all we are asking the Government, what exactly is the question, what exactly is the schedule they are canvassing. So, if any of these things, is something which is linked to NRC and which is not required as per the NPR, that is objectionable to us.

On a question about NRC, Shri Maken said- before you came, I just in the beginning itself said that the Citizenship Amendment Act carried out in 2003 has two very important elements. The first element is that the Government may compulsorily register, it is ‘may’. To, this ‘may’, we never converted into ‘shall’ and we will never convert it into ‘shall’ because we know the complexities.

And the second thing is that the Government may maintain a National Register for Indian citizens. So, we were never in favour of making this ‘may’ into ‘shall – that is why the pilot project which was going on, we did not carry out that project further and we immediately started NPR and we carried out the NPR and to its logical conclusion.

On the question, Shri Maken said- We are asking the Government to come clear on what exactly the NPR schedule is and how they are going to canvass the NPR.

On the question if the Congress party is against the NRC, Shri Maken said- absolutely, that is why we did not culminate this NPR into NRC.

About a question on BJP allegations on the relaxation of rules, Shri Maken said- that is what the BJP wants - polarizing people - we are not interested in answering to such questions. What we are saying is let BJP answer first – we are the opposition and they have to answer. What is the questionnaire for NPR 2020 and the usual resident is defined as per United Nations, then why in the pre-set form, they have added the questions which are not at all required for usual residents. So, this is our question which the BJP is to reply, they are the Government, they should reply.

एक अन्य प्रश्न पर कि गृहमंत्री जी ने कहा है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध नहीं हैक्या कहेंगेश्री माकन ने कहा कि तो गृहमंत्री जी ने ये प्रीटैस्ट को अप्रूव नहीं किया क्या? क्या गृहमंत्री जी इतने अनभिज्ञ हैं अपने मंत्रालय से, जिन्होंने ये प्रीटैस्ट फॉर्म को देखा तक नहीं है और तीस लाख लोगों से प्रीटैस्ट फॉर्म भरवा दिया गया है।

डीटेंशन सेंटर संबंधी राहुल गांधी जी के ट्वीट पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि हम स्पष्ट क्यों करें, हम तो उनसे पूछ रहे हैं कि झूठ क्यों बोल रहे हो? हमने कभी झूठ बोला है क्या? प्रधानमंत्री जी रामलीला मैदान से खड़े होकर राष्ट्र की राजधानी में खड़े होकर झूठ बोल रहे हैं, तो उसका जवाब कौन देगा? जो झूठ बोल रहा है वो जवाब नहीं देगा, हमसे जवाब मांग रहे हैं। उसका जवाब दें पहले कि प्रधानमंत्री जी झूठ क्यों बोल रहे हैं? यही तो राहुल जी कह रहे हैं।

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि समझ लीजिए, हमने झूठ कभी बोला क्या? हमने कभी देश को भ्रमित किया क्या? प्रधानमंत्री जी झूठ क्यों बोल रहे हैं? सवाल राहुल जी का नहीं है। ये नहीं कि राहुल जी ने कहा कि हमारे टाइम पर नहीं थे, तुम्हारे टाइम पर है या हमारे टाइम पर थे, तुम्हारे टाइम पर और हो गए, ये सब चीजें नहीं बोली राहुल जी ने। राहुल जी ने सिर्फ और सिर्फ ये कहा है कि प्रधानमंत्री जी झूठ क्यों बोल रहे हैं? उन्होंने बीबीसी का वो वीडियो साथ में लगाया है, जिसके अंदर वो डिटेंशन सेंटर्स दिखाए जा रहे हैं तो वो उनको जवाब देना चाहिए, तो प्रधानमंत्री जी झूठ क्यों बोल रहे हो? रूलिंग पार्टी वो, सरकार वो और अपना जवाब देने की जगह झूठ बोलने के बाद भी हमसे सवाल पूछ रहे हैं, तो ये तो अजीब सी बात है।

एक अन्य प्रश्न पर कि नकवी साहब उसमें कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी अपने भाषण में पूरे देश की बात कर रहे थेअसम की बात नहीं कर रहे थेश्री माकन ने कहा कि तो उन्होंने ये बोला! उन्होंने ये बोला कि मैं देश की बात कर रहा हूँ, सिर्फ असम की बात नहीं कर रहा? प्रधानमंत्री जी ने बोली क्या ये बात? जब प्रधानमंत्री जी वहाँ पर ये बोल रहे हैं या कभी उसके बाद प्रधानमंत्री जी ने बोला। नकवी साहब तो बोल रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री जी, जिन्होंने झूठ बोला, वो क्यों नहीं स्पष्टीकरण दे रहे हैं?

नागरिकता संशोधन अधिनियम संबंधी एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि हमने ब्रेक इसलिए लगाई क्योंकि पायलट प्रोजैक्ट जो इन्होंने शुरु किया था, वो पायलट प्रोजैक्ट हमारे हिसाब से वो फिजीबल नहीं था। जैसे 31 लाख की पॉप्यूलेशन में से मात्र साढे बारह लाख लोगो को ही सिटीजनशिन के उस वक्त कार्ड दिए जा सके थे। तो ये सरकार में, हम लोगों ने ही उस वक्त ये पाया कि ये प्रैक्टीकली फिजीबल नहीं है, ये पूरा कंबर्सम प्रोसेस है, बहुत मुश्किल प्रोसेस है और हम लोग ये चाहते थे कि, हमारी कांग्रेस की सोच हमेशा इनक्लूसिव सोच रही है तो हम लोग ये चाहते थे कि इस वक्त नेशनल पॉप्यूलेशन रजिस्टर की तरफ काम करना चाहिए और वो नेशनल पॉप्यूलेशन रजिस्टर यूजुअल रेजिडेंट्स का बनाना चाहिए, सामान्य निवासी का बनाना चाहिए, नागरिक नहीं, सामान्य निवासी का और सामान्य निवासी, यूजुअल रेजिडेंस की डेफिनेशन यूनाइडेट नेशन्स की डेफिनेशन में है, जिसमें जो पिछले एक वर्ष में मेजौरिटी समेत वहाँ पर रह रहा है या वो आगे के 6 महीने रहना चाहता है। तो ये दोनों चीजों में से कोई भी पूरा करेगा इसी आधार के ऊपर क्वेश्चनैर तैयार किया गया और इसी आधार पर क्वेश्चनैर तैयार करके हमने कैनवास किया, लोगों से जानकारी ली।

अब सरकार जो हैअगर ये कहती है कम हम एनआरसी नहीं लाना चाहते हैं तो एनपीआर के अंदर एनआरसी वाले क्वेश्चन्स क्यों डाल दिए? तो एनपीआर के अंदर सिर्फ यूजुअल रेजिडेंट्सजो हैं कौन होने चाहिएकैसे आइडेंटिफाई किया जाएहमारा क्वेश्चनैर था उसी पर होता है। तो एनपीआर के क्वेश्चनैर के अंदर एनआरसी के क्वेश्चन्स डालने का मतलब कि एनपीआर के फॉर्म  में वो एनआरसी को लेकर आना चाह रहे हैं। फिर जैसे क्वेश्चन्स जैसे उन्होंने पूछे हैं, If available तो आप आधार नंबर दीजिए। If available तो आप अपना लाइसेंस नंबर दीजिए। If available तो आप अपना वोटर्स आई डी नंबर दीजिए, ड्राईविंग लाइसेंस नंबर दीजिए। तो अगर आप ये कहते हो कि उपलब्ध नहीं है, इस खाने के अंदर ये आ जाए कि उपलब्ध नहीं है तो सीधे के सीधे आपको इसके बेसिस पर एनआरसी के जो बनेगा, उसके अंदर आपका सीधे नाम जुड़ गया। फिर आपके फादर का नामपेरैंट्स का नाम और साथ में उनका प्लेस ऑफ बर्थ कहाँ पर से उसको लेकर आने की क्या जरुरत हैएनपीआर के लिएयूजुअल रेजिडेंट्स के लिए उसकी क्या जरुरत है तो ये सारी चीजों को लेकर हम लोग आपके सामने हैं और हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस पर जवाब देगी।

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