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Breaking: मेहुल और नीरव द्वारा 24,000 करोड़ के फ्रॉड कर देश से भागने में सीधे-सीधे चौकीदार और उनका कार्यालय संलिप्त: कांग्रेस

श्री सुरजेवाला ने कहा कि दो बातें साफ हैं कि मेहुल चोकसी, हमारे मेहुल भाई हैं, देश के प्रधानमंत्री गोल्ड डिमोनेटाइजेशन स्कीम के समय उनको बड़े प्रेम और स्नेह से संबोधित कर रहे हैं, एक ही उद्दोयगपति वहाँ उस अवसर पर आमंत्रित था, वो थे मोदी जी के विशेष अतिथि के तौर पर, हमारे मेहुल भाई, जो 24,000 करोड़ रुपए का फ्रॉड करके आज एंटीगुआ (Antigua) में बैठे हैं। उनको भगाने में भारत सरकार की संलिप्तता का दूसरा पहलू अब और सामने आ चुका है।

By: Administrators

New Delhi: कांग्रेस मीडिया सेल के चीफ रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी जी के मेहुल भाई, मेहुल चोकसी ने लगता है कि भारत की मोदी सरकार की एजेंसियों के साथ सांठगांठ से वापस आने का मन बनाकर आज एक न्यूज एजेंसी को पहले चरण का साक्षात्कार दे दिया। अब एक बात साफ है, अब जो तथ्य और साक्ष्य सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध हैं, उनसे ये साबित हो जाता है कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी द्वारा 24,000 करोड़ का फ्रॉड कर देश से भागने में सीधे-सीधे चौकीदार और उनका कार्यालय संलिप्त है। मैं ये बात बहुत जिम्मेवारी और गंभीरता से कह रहा हूं। अब तो अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ये जगजाहिर हो गया कि चौकीदार अब पक्के भागीदार बन गए हैं। ‘भगौड़ों का साथ और भगौड़ों का विकास’, अब ये पक्का नारा मोदी सरकार का बन गया है। 

 

संसद के पटल पर दिए गए जवाब और भिन्न-भिन्न साक्ष्य और तथ्य जो मैं आपके समक्ष रखने वाला हूं, उनसे ये साफ हो जाएगा कि 7 मई, 2015 से, 1 मार्च, 2018 तक यानि लगभग तीन साल तक प्रधानमंत्री कार्यालय ने नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ फ्रॉड की जानकारी होते हुए भी कार्यवाही जानबूझ कर नहीं की, ताकि 4 जनवरी, 2018 को पहले ही नीरव मोदी और मेहुल चोकसी देश छोड़कर भाग जाएं और उसके क्या साक्ष्य और तथ्य हैं, उनकी तरफ मैं सीधे आपका ध्यान आकर्षित करुंगा और फिर उसके बाद एक छोटा सा वीडियो हम आपको दिखाएंगे।   

 

ये बात बहुत गंभीर है, जब प्रधानमंत्री का कार्यालय, जब वित्त मंत्रालय भगौड़ों को देश छोड़कर भगाने में साझीदार हो जाए, जब रक्षक भक्षक बन जाए, जब सरकार भगौड़ों का संरक्षण करे और सबसे उच्च स्तर पर जाकर वो संरक्षण हो, तो फिर देश की रक्षा और देश के खजाने की रक्षा कौन करेगा? इसलिए आज हम बहुत गंभीर तथ्य आपके समक्ष लेकर आए हैं। 

 

7 मई, 2015 को पहली बार, वैभव खुरानिया और R.M. Green Solution Private Limited ने मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (Ministry of Corporate Affairs) और प्रधानमंत्री कार्यालय को इस पूरे फ्रॉड की जानकारी लिखकर तथ्यों और साक्ष्यों सहित दी। इसकी कॉपी एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (Enforcement Directorate), Serious Fraud Investigation Office को भी दी गई। इसकी एक प्रतिलिपि मैं आज आपको रिलीज कर रहा हूं, प्रेस रिलीज के साथ। संयोग की बात ये है कि प्रधानमंत्री कार्यालय यह कह सकते हैं कि साहब हमें तो ये चिठ्ठी मिली ही नहीं। 

 

7 मई, 2015 को शिकायत की जाती है। 26 मई, 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय इस शिकायत की रसीद को एक्नॉलेज करता है। प्रधानमंत्री कार्यालय की उस एक्नॉलेजमेंट रसीद को भी मैं जारी कर रहा हूं। तो अब ये साबित हो गया कि 7 मई, 2015 को नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किए जा रहे फ्रॉड की जिम्मेवारी और जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय, SFIO और दूसरी एजेंसियों को मिल गई थी। 26 मई, 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने ये मान लिया।  

 

इसी प्रकार की एक और शिकायत मुंबई पुलिस कमिश्नर को भी दी जाती है। उसकी प्रतिलिपि भी मैं आपको जारी कर रहा हूं। इसके बाद जो मैंने पहले भी एक बार बताया है कि दिग्विजय सिंह जाडेजा एक और तीसरे व्यक्ति हैं, उन्होंने गुजरात, अहमदाबाद में इक्नॉमिक ऑफेंसेस विंग (Economic Offences Wing) को इसी फ्रॉड की जानकारी दी। उस शिकायत की प्रतिलिपि भी मैं आपको दे रहा हूं। ये बात 20 जुलाई, 2016 की है। गुजरात हाईकोर्ट में एक मुकदमा दायर हुआ, जाडेजा द्वारा, जहाँ शपथ पत्र देकर ये कहा गया कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी ने 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा बैंकों का पैसा लिया है और ये देश छोड़कर भाग जाएंगे। भारत सरकार भी उसमें पार्टी है और गुजरात सरकार भी उसमें पार्टी है। शपथ पत्र पर बताया जाता है, भारत सरकार को कि मेहुल चोकसी और नीरव मोदी सरकार का पैसा लेकर, बैंकों का पैसा लेकर, देश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा लेकर देश छोड़ कर भाग जाने वाले हैं। उस एफिडेविट की कॉपी भी मैं आपको जारी कर रहा हूं। 

 

बात यहाँ भी खत्म नहीं होती। फिर 26 जुलाई, 2016 को एक चौथे व्यक्ति हरिप्रसाद मोदी जी को डॉयरेक्ट एक शिकायत करते हैं और कहते हैं कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी इस देश के बहुत बड़े फ्रॉड हैं और बैंकों का पैसा लेकर भाग जाने वाले हैं। उस शिकायत की कॉपी जो प्रधानमंत्री के कार्यालय को हरिप्रसाद द्वारा भेजी गई, उसकी प्रतिलिपि भी मैं आपको जारी कर रहा हूं। 

 

3 मई, 2017 को एक पाँचवा व्यक्ति, वैभव खुरानिया, जिन्होंने शुरु में शिकायत भी की थी। इस बार सेबी (SEBI) को जाते हैं और वहाँ भी शिकायत करते हैं, उसकी प्रतिलिपि भी हम आपको जारी कर रहे हैं। तो इसका मतलब 2015 से जब पहली बार प्रधानमंत्री कार्यालय ने 26 मई, 2015 को वो शिकायत की प्रतिलिपि ली, तो प्रधानमंत्री जी और उनके कार्यालय को, वित्त मंत्रालय को, कॉरपोरेट अफेयर मिनिस्ट्री को, सेबी को, Serious Fraud Investigation Office को, ईडी को और सीबीआई को इस पूरे फ्रॉड की जानकारी थी। 

 

कपिल सिब्बल साहब ने अब संसद में इसका जवाब मांगा है और उस जवाब की प्रतिलिपि मैं आपको जारी कर रहा हूं। वो बड़ा खूबसूरत है, प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जो दिया गया है और उसमें उन्होंने पूछा, “Whether it is a fact that PMO was intimated by complaints regarding the PNB fraud in public sector Bank in 2016”? जो मैंने आपको शिकायतें बताई, If so, the details there of और प्रधानमंत्री जी क्या जवाब देते हैं, संसद के पटल पर, वो और भी खूबसूरत है, वो कहते हैं - Yes, Sir, they were forwarded to department तो प्रधानमंत्री जी मानते हैं कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के खिलाफ फ्रॉड की शिकायत, जिनकी प्रतिलिपि मैं आपको दे रहा हूं, 26 मई, 2016 को जो उन्होंने एक्नॉलेजमेंट दी, संसद के पटल पर मानते हैं कि हाँ, हमें ये शिकायतें आई थी। अगली लाईन और खूबसूरत है . वो कहते हैं कि हाँ जी, शिकायतें हमें सब मिली थीं और 1 मार्च, 2018 को फाईनेंस मंत्रालाय द्वारा उन सबकी हमें जानकारी दी गई। पर ये लिखना भूल जाते हैं कि हमारे मेहुल भाई तो 4 जनवरी, 2018 को ही भगा दिए गए थे। 4 जनवरी, 2018 को हमारे मेहुल भाई और 1 जनवरी, 2018 को नीरव मोदी, छोटे मोदी नंबर दो, दोनों भाग गए थे और इसलिए 1 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री कार्यालय कहता है कि अब कार्यवाही करो। जब चिड़िया चुग गई खेत, उसके बाद कहते हैं कि कार्यवाही करो। 

 

मैं बहुत गंभीरता से आज ये इल्जाम लगा रहा हूं और साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर कह रहा हूं, प्रधानमंत्री कार्यलाय की संलिप्तता, नरेन्द्र मोदी जी के कार्यालय की संलिप्तता, वित्त मंत्रालय की संलिप्तता, ईडी और सीबीआई की संलिप्तता, SFIO की संलिप्तता इस पूरे प्रकरण में साफ जाहिर है। पहली शिकायत आई 26 मई, 2015 को, रिपोर्ट ली, 1 मार्च, 2018 को, भगौड़े भाग गए 4 जनवरी, 2018 को। तीन साल तक मोदी सरकार छोटा मोदी नंबर दो, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी उनके मामा पर कोई कार्यवाही नहीं करती। इसके लिए सीधे-सीधे प्रधानमंत्री जी जिम्मेवार हैं। 

 

दूसरी बात और भी खूबसूरत है। उसका दूसरा पहलू मैं वो शुरु करुं, उससे पहले एक छोटा सा वीडियो आपको दिखाएंगे। श्री सुरजेवाला ने कहा कि दो बातें साफ हैं कि मेहुल चोकसी, हमारे मेहुल भाई हैं, देश के प्रधानमंत्री गोल्ड डिमोनेटाइजेशन स्कीम के समय उनको बड़े प्रेम और स्नेह से संबोधित कर रहे हैं, एक ही उद्दोयगपति वहाँ उस अवसर पर आमंत्रित था, वो थे मोदी जी के विशेष अतिथि के तौर पर, हमारे मेहुल भाई, जो 24,000 करोड़ रुपए का फ्रॉड करके आज एंटीगुआ (Antigua) में बैठे हैं। उनको भगाने में भारत सरकार की संलिप्तता का दूसरा पहलू अब और सामने आ चुका है। 

 

सबसे पहले जब मेहुल चोकसी भागे तो मई और जून, 2017 में मेहुल चोकसी की एंटीगुआ की सिटीजनशिप के बारे में बाकायदा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, सेबी, पुलिस और सीबीआई इत्यादि से पूछा गया। किसने पूछा- एंटीगुआ की सरकार ने पूछा, मेहुल चोकसी की दर्खास्त पर। मई और जून, 2017 के अंदर एक क्लीन चिट दे दी जाती है कि कोई मुकदमा, कोई किसी प्रकार का अपराध, कोई रिक्वरी मेहुल चोकसी के खिलाफ मई और जून, 2017 में नहीं है। पर वो तो सब थी, आपने देखा, ये साक्ष्य, तथ्य हैं। खुद प्रधानमंत्री कार्यालय जांच करवा रहा था। पर विदेश मंत्रालय, पुलिस, सीबीआई, सेबी वो क्लीन चिट दे रहे थे, मई, जून, 2017 में, वो भी सारी जानकारी मिलने के दो साल बाद। नवंबर , 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता भगौड़े मेहुल चोकसी ले लेते हैं। 4 जनवरी, 2018 को देश छोड़कर भाग जाते हैं। जब भगौड़ा भाग गया, जब देश का भगौड़ा देश का पैसा लेकर भाग गया, तो विदेश मंत्रालय पहली बार 16 फरवरी, 2018 को जैसा खुद मेहुल चोकसी ने आज कहा, उसको ईमेल लिखता है कि तुम्हारा पासपोर्ट सस्पेंड किया जाता है, हिंदुस्तानी पासपोर्ट। 

 

इस देश के लोग सवाल पूछना चाहते हैं, मोदी जी जब 2015 से वो फ्रॉडस्टर थे, तो 2017 मई और जून में आप उन्हें क्लीन चिट क्यों दे रहे थे और दूसरे देश की नागरिकता आप उन्हें क्यों दिलवा रहे थे? जब नवंबर, 2017 में उसने नागरिकता ले ली थी तो आपने उसका हिंदुस्तानी पासपोर्ट कैंसिल क्यों नहीं किया? क्या इसलिए कि वो 4 जनवरी, 2018 को देश छोड़ कर भाग जाएँ? और आपकी संलिप्तता की हद ये है कि पहली बार ईमेल पर 16 फरवरी, 2018 को आप उसका पासपोर्ट रद्द करते हैं। तो इससे बड़ी सरकार की मिलीभगत, भगौड़ों के साथ-साथ होने का साक्ष्य और सबूत क्या हो सकता है? 

 

एक छोटा सा तीसरा पहलू और है। एंटीगुआ और बारबुडा के सिटीजनशिप इनवेस्टमेंट यूनिट ने जब एक प्रेस रिलीज जारी किया, उस प्रेस रिलीज की कॉपी भी मैं आपको जारी कर रहा हूं और उन्होंने कहा कि हमने सेबी से पूछा, उन्होंने क्लीन चिट दी। सीबीआई और ईडी से पूछा, उन्होंने क्लीन चिट दी, MEA से पूछा, उन्होंने क्लीन चिट दी, इसलिए हमने नागरिकता दे दी। और उसकी वो दो लाईन मैं आपको पढ़कर बता रहा हूं।

 

इससे बड़ी मिलीभगत का और क्या सबूत हो सकता है? आखिरी सबूत और ज्यादा संगीन है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एंटीगुआ के राष्ट्रपति से मिलते हैं, 20 अप्रैल, 2018 को, यूके में कॉमनवेल्थ हेडज ऑफ गवर्नमेंट की साईड लाईन पर, तब तक मेहुल चोकसी रफू चक्कर होकर एंटीगुआ पहुंच गए हैं, तब तक जैसा पार्लियामेंट में कहा, 1 मार्च, 2018 को प्रधानमंत्री को एक्शन टेकन रिपोर्ट भी मिल गई है। परंतु 20 अप्रैल, 2018 को मोदी जी एक शब्द भी मेहुल चोकसी को वापस हमारे देश भेजने के बारे में एंटीगुआ के राष्ट्रपति को नहीं कहते और ये बात मैं नहीं कह रहा हूं, ये बात एंटीगुआ के राष्ट्रपति ने कही, एक इन्ट्रव्यू में और वो इन्ट्रव्यू उन्होंने दिया, 27 जुलाई, 2018 को। जहाँ उन्होंने कहा-. 

 

तो यहाँ दाल में काला नहीं है, यहाँ पूरी दाल काली है। जैसा राफेल में सीधी संलिप्तता सरकार चलाने वाले चौकीदार की है, यहाँ भी सीधी संलिप्तता चौकीदार के भागीदार बन जाने की है। इसलिए हमारे सीधे 5 सवाल प्रधानमंत्री जी से हैं। क्या चौकीदार भागीदार है? क्योंकि ये कागज प्रथम दृष्टि से बताते हैं कि चौकीदार अब भागीदार बन गया है और ये देश के लिए बड़े गंभीर विषय हैं।   

 

श्री रघुराम राजन द्वारा दिए गए बयान से सम्बंधित एक प्रश्न के उत्तर में श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा आदरणीय साथी, सबसे पहले तो मैं, आपने दो प्रश्न पूछे, दूसरे प्रश्न का पहले जवाब दे देता हूँ। रघुराम राजन जी ने भी ये कहा कि 2016 में उन्होंने बकायदा एक फ्रॉड रिपोर्टिंग और मॉनीटरिंग अथॉरिटी बनाई थी। प्रधानमंत्री कार्यालय को सब भगौड़ों के नाम भेजे थे, पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने कुछ किया ही नहीं। मैं उनकी रिपोर्ट पढ़ कर बता रहा हूँ पेज 3 पर। उनकी रिपोर्ट की प्रतिलिपि मेरे पास भी है. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जी ने एक बड़ी लिस्ट उन सारे फ्रॉडस्टर्स की, जो देश छोड़कर भगौडे हो जाने वाले हैं, प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी, प्रधानमंत्री कार्यालय ने कोई कार्यवाही नहीं की, यही तो हम भी कह रहे हैं। 2015 और 2016, सात-सात शिकायतें जाती हैं, प्रधानमंत्री कार्यालय 2015 और 2016 में उन शिकायतों को एक्नॉलेज करता है। रघुराम राजन जी ने लिस्ट में हमारी जानकारी के मुताबिक नीरव मोदी, मेहुल चौकसी का भी नाम भेजा था। प्रधानमंत्री कार्यालय बताए कि उन्होंने भगौडों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की? ये साबित करता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की संलिप्तता कहीं न कहीं इन भगौड़ों के साथ थी.

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