आरोपी की वकील के सामने कही बातें कोर्ट में मान्य नहीं
रॉयल कॉलेज ऑफ लॉ में ताबिश सरोश एंड एसोसिएट्स द्वारा शुरू किया गया त्रैमासिक फोरेंसिक कोर्स
नई दिल्ली: ताबिश सरोश एंड एसोसिएट्स, ने रॉयल कॉलेज ऑफ लॉ, गाजियाबाद, दिल्ली एनसीआर में आज यहां विधि के छात्रों के लिए तीन महीने का एक कोर्स लॉन्च किया, जिसमें दिल्ली पुलिस की ओर से ईशा मारिया सीनियर फॉरेंसिक एक्सपर्ट क्राइम टीम दिल्ली पुलिस, लॉ फर्म हेड ताबिश सरोश, रॉयल कॉलेज ऑफ लॉ की प्रिंसिपल डॉ टीना गर्ग और उनकी टीम, कीर्ति गुप्ता लिटिगेशन हेड टीएसए लॉ फर्म, अंचल कपूर फॉरेंसिक एसोसिएट्स सीआईएफएस और टीएसए दिल्ली साथ ही चंद्रजीत यादव एडवोकेट टीएसए और सीआईएफएस ने विशेष रूप से भाग लिया और अपनी बहुमूल्य सलाह और मार्गदर्शन छात्रों को दिया।
इस मौके पर वक्ताओं ने बताया कि एक वकील के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ होना क्यों जरूरी है? उन्होंने बताया कि रेप या मर्डर और एक्सीडेंट के किसी भी मामले में चेन कस्टडी क्यों जरूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि अगर आप आरोपी की ओर से पेश हो रहे हैं तो किन बातों को ध्यान रखना होगा और अगर आप दुर्घटना पीड़ित की ओर से पेश हो रहे हैं तो किन बातों का ध्यान रखना होगा. उन्होंने यह भी बताया कि डीएनए टेस्ट कैसे किया जाता है, सैंपल कैसे लिए जाएं, कई मामलों में फिंगरप्रिंट क्यों जरूरी हो जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई महिला रेप की शिकार हुई है तो इस मामले में सबसे पहले एफआईआर-FIR जरूरी है, अगर पुलिस एमएलसी में देरी करती है और चैन कस्टडी टूटती है तो मामला आरोपी के पक्ष में जा सकता है। पीड़ित के कपड़े न धोएं। साथ ही पीड़िता को तब तक स्नान नहीं करना चाहिए जब तक कि सारे सबूत पुलिस को न सौंप दिए जाएं और उसकी एमएलसी न हो जाए।
आईओ द्वारा पीड़िता से पूछताछ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी दुर्घटना में समय और स्थान को याद रखना और बयान में फर्क न होना सबसे ज़्यादा जरूरी है। गौरतलब है कि रॉयल कॉलेज ऑफ लॉ और ताबिश सरोश एंड एसोसिएट्स बच्चों को उनकी वकालत में निखार लाने और उन्हें उपरोक्त तीन महीने के कोर्स के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ वकील बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस अवसर पर यह भी बताया गया कि आरोपी के लिए सबसे ज़्यादा जरूरी है कि वह पूरे हादसे का विवरण अपने वकील को ईमानदारी से बताए और वकील के सामने अभियुक्त के शब्द अदालत में स्वीकार नहीं किए जाते हैं, लेकिन फिर भी वकीलों को गोपनीयता का विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
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