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ईआरपी का उद्योगों में अनुप्रयोग पर वेबिनार

मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुभाग, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने ‘एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) और उद्योगों में इसके अनुप्रयोग‘ पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। एर. कूपर सर्जिकल यूएसए के प्रमुख ईआरपी विश्लेषक और जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, एएमयू के पूर्व छात्र, देवेंद्र सिंह ने वित्त, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रबंधन और ग्राहक संबंध जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ईआरपी और इसके अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की।

By: वतन समाचार डेस्क

ईआरपी का उद्योगों में अनुप्रयोग पर वेबिनार

अलीगढ़: मैकेनिकल इंजीनियरिंग अनुभाग, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने ‘एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) और उद्योगों में इसके अनुप्रयोग‘ पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया।

एर. कूपर सर्जिकल यूएसए के प्रमुख ईआरपी विश्लेषक और जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, एएमयू के पूर्व छात्र, देवेंद्र सिंह ने वित्त, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रबंधन और ग्राहक संबंध जैसे विभिन्न क्षेत्रों में ईआरपी और इसके अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की।

कार्यक्रम संयोजक डॉ एम आसिफ हसन ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और अतिथि वक्ता का परिचय दिया।

एर. कार्यक्रम का संचालन अब्दुल फहीम एवं इं.मोहम्मद गुलाम वारिस खान ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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प्रबंधन के छात्रों से पारदर्शिता के आधार पर स्टार्ट अप बनाने का आग्रह

अलीगढ़ 25 नवंबरः ‘विश्वास और पारदर्शिता के आधार पर अपने स्टार्ट अप का निर्माण करें और एक उद्यमशील करियर अपनाते हुए अपनी उद्यमशीलता की दृष्टि और विचारों को लोगों के साथ साझा करें क्योंकि व्यवसाय में सफलता हासिल करने के लिए यह मूलभूत महत्व है। यह बात मोहम्मद हमजा े निदेशक  पर्यावरण समाधान प्रा. लिमिटेड, अलीगढ, ने व्यवसाय प्रशासन विभाग, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘स्टार्टअप के लिए नेतृत्व और नेटवर्किंग के महत्व‘ पर एक विस्तार व्याख्यान देते हुए कही।

प्रोफेसर परवेज तालिब ने छात्रों से श्री हमजा के सुझाव पर विचार करने और अपनी स्टार्टअप यात्रा को आगे बढ़ाते हुए उनकी सलाह को लागू करने का आग्रह किया।

कार्यक्रम का संचालन अब्दुल्ला इफ्तेखार ने किया। सैयद अमाद अहमद जैदी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभाव पर विस्तार व्याख्यान आयोजित

अलीगढ़ 25 नवंबरः सामुदायिक चिकित्सा विभाग, जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जमाल मसूद, प्रिंसिपल और सीएमएस, एराज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के साथ ‘प्रतिरक्षण के बाद प्रतिकूल घटनाएं (एईएफआई)‘ पर एक विस्तार व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।

उन्होंने अस्पताल में भर्ती व्यक्तियों के बीच एईएफआई घटनाओं की रिपोर्टिंग में शामिल मानदंडों और पद्धतियों में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए वर्गीकरण और एईएफआई के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट किया।

प्रोफेसर मसूद ने अपने व्याख्यान के बाद एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर दिए।

अतिथि वक्ता का स्वागत करते हुए सामुदायिक चिकित्सा विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर सायरा मेहनाज ने कहा कि व्याख्यान का उद्देश्य एईएफआई को समझने के महत्व और इसकी रिपोर्टिंग के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में निवासियों के बीच जागरूकता बढ़ाना है।

डॉ. समीना अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

व्याख्यान के दौरान सामुदायिक चिकित्सा विभाग के संकाय सदस्यों और वरिष्ठ और कनिष्ठ रेज़ीडेंटस को प्रशिक्षित किया गया।

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एएमयू संकाय ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया

अलीगढ़, 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक में वास्तुकला अनुभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आसिफ अली ने लंदन विश्वविद्यालय के सीनेट हाउस में वास्तुकला इतिहास और सिद्धांत पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने विद्वतापूर्ण योगदान का प्रदर्शन किया। स्पेस (स्टडीज ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर कंसल्टिंग एंड एजुकेशन) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में डॉ. आसिफ का शोध पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसका शीर्षक था ‘मलेशिया में ब्रिटिश औपनिवेशिक मस्जिदों पर मुगल वास्तुकला का शैलीगत प्रभाव।‘

यूनिवर्सिटी सेन्स मलेशिया के प्रोफेसर अहमद सानुसी हसन के सहयोग से, इस शोध का उद्देश्य मलेशिया में औपनिवेशिक मस्जिदों पर मुगल स्थापत्य शैली के प्रभाव का आकलन करना था। प्रारंभिक, उच्च और उत्तर मुगल काल का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तर भारत के तीन केस अध्ययनों की तुलना समानता मॉडल और फीचर मिलान का उपयोग करते हुए मलेशिया में तीन ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की मस्जिदों से की गई थी।

एएमयू के डॉ. आसिफ के प्रतिनिधित्व को अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए इस्लामी वास्तुकला पर विद्वानों की अंतर्दृष्टि द्वारा चिह्नित किया गया था। लंदन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया, जिससे सभी प्रतिभागियों के शैक्षणिक अनुभव में वृद्धि हुई।

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जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया

अलीगढ़ 25 नवंबरः जन जातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के  आफताब हॉल में एक वृक्षारोपण अभियान शुरू किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग) और मानद अतिथि प्रोफेसर बी.पी. सिंह (भौतिकी विभाग) द्वारा कई पौधे लगाये गये।

हाल के प्रोवोस्ट प्रोफेसर फैयाजुर रहमान ने बताया कि इस अवसर पर हाल परिसर में विभिन्न प्रकार के पेड़ों के पौधे लगाए गए।

प्रोफेसर रहमान ने कहा कि अभ्यास का उद्देश्य जन जातीय गौरव दिवस के अवसर के अनुरूप विश्वविद्यालय के हरित आवरण को बढ़ाना था, जो राष्ट्र निर्माण में आदिवासी लोगों के योगदान का जश्न मनाता है।

डा शफीकुल्लाह, डॉ. मोहम्मद सोहराब खान, डॉ. जाकिर हुसैन, डॉ. जफरुल हसन, डॉ. फैयाज हैदर और डा मुर्शीद कमाल सहित विभिन्न छात्रावासों के वार्डन, वरिष्ठ छात्रों और कार्यालय कर्मचारियों ने वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया।

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अहमदी नेत्रहीन स्कूल में दीप अलंकरण प्रतियोगिता

अलीगढ़ 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के ‘अहमदी स्कूल‘ फार वीज़ुअली चैलंेंज्ड में ‘दीपोत्सव‘ के दीप-पर्व पर ‘दीप-निर्माण एवं दीप- अलंकरण प्रतियोगिता‘ का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों ने ‘दीप-निर्माण‘ प्रतियोगिता के अंतर्गत अपनी मधुर मेधा व दिव्य दृष्टि से सुंदर सुरम्य सुदीपों को विद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रदत्त धवल पृष्ठ रूपी ‘वेत-कार्ड पर उकेरने का प्रशंसनीय प्रयास किया। ‘दीप-अलंकरण प्रतियोगिता‘ में हस्त निर्मित दीपों पर ‘दीप-सज्जा‘ का प्रदर्शन करते हुए रंगीन व आकर्षक दीप-मालाओं को प्रस्तुत किया गया।

समाजशास्त्र विभाग एएमयू की सहायक प्रोफेसर ‘डॉ० सदफ नासिर‘ ने प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किये।

प्रथम कक्षा के ‘‘वंश कुमार‘‘ को प्रथम पुरस्कार एवं प्रथम कक्षा के ही ‘‘असद‘‘ को द्वितीय पुरस्कार व नर्सरी कक्षा के ‘‘शिवा‘‘ को तृतीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया। दसवीं कक्षा के ‘कैफ चाँद‘ को प्रथम पुरस्कार एवं पंचम कक्षा के ‘जिदाने आसिफ‘ को द्वितीय पुरस्कार व पाँचवीं कक्षा की ही विनीत बालिका ‘तैय्यबा‘ को तृतीय पुरस्कार से सम्मानित कर किया गया। प्रधानाचार्या डॉ० नायला राशिद‘ ने छात्रों को प्रेरित करते हुए अलीगढ़ की आबरू कहे जाने वाले स्वर्गीय ‘‘गोपाल दास नीरज‘ की पद्य पंक्तियों को भी उद्धृत किया। जलाओं दिए पर रहे ध्यान इतना अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

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एएमयू महिला बैडमिंटन टीम ने लगातार दूसरे वर्ष भी आल इंड़िया और खेलो इंडिया के लिए क्वालीफाई किया

अलीगढ़ 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के महिला बैडमिंटन टीम ने लगातार दूसरे वर्ष आल इंड़िया और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2024 के लिये क्वालीफाई कर लिया है। क्वार्टर फाईनल में एएमयू ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला को 2-0 से हराकर सेमी फाइनल में जगह पक्की कर ली है।

पहले सिंगल्स में एएमयू की स्नेहा राजवर ने एचपीयू शिमला की रूबी को 21-18, 21-15 से हराया। डबल्स में एएमयू की स्नेहा और सुहाना मसूरी ने एचपीयू की ज्योतिषका और अकषिता को 21-18, 21-16 से हराया। टीम के कोच खुसरो मारूफ और मैनेजर नाज़िया खान थी। गेम्स कमेटी के सचिव प्रोफेसर एस अमजद अली रिज़वी और जिमखाना क्लब के अध्यक्ष डा जमील अहमद ने एएमयू की टीम को इस उपलब्धि पर बधाई दी है।

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एएमयू के शोधकर्ता को मिला प्रतिष्ठित इरास्मस केए 171-मोबिलिटी प्रोजेक्ट

अलीगढ़ 25 नवंबरः जैव ईंधन कोशिकाओं के माध्यम से जीवों का उपयोग करके बिजली पैदा करना एक नया विचार है जो रक्त में ग्लूकोज का उपयोग करके पेसमेकर, कृत्रिम हृदय और अन्य उपकरणों जैसे छोटे प्रत्यारोपणों को ऊर्जा प्रदान करता है, और इस क्षेत्र में एक शोध नई संभावनाएं उत्पन्न कर सकता है।

इस विचार को अपने शोध के मुख्य एजेंडे के रूप में लेते हुए, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एप्लाइड केमिस्ट्री विभाग के डॉ. इनामुद्दीन लगभग एक दशक से इस विषय पर काम कर रहे हैं और हाल ही में उन्हें बायोफ्यूल सेल रिसर्च की उन्नति के लिए यूरोपीय संघ द्वारा वित्त पोषित पोलीथेनिका यूनिवर्सिटी टिमिसोआरा (यूपीटी), रोमानिया के साथ छात्र और संकाय आदान-प्रदान के लिए इरास्मस केए 171-मोबिलिटी प्रोजेक्ट प्रदान किया गया है।

डॉ इनामुद्दीन, जिन्होंने पहले 2014 से 2020 तक इसी तरह के एक अध्ययन, इरास्मस प्रोग्राम केए107-मोबिलिटी प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक निष्पादित किया है, ने बताया कि बायोफ्यूल सेल का लक्ष्य ग्लूकोज को उत्प्रेरक रूप में परिवर्तित करके बिजली उत्पन्न करना है।

उन्होंने कहा कि सोनी का वॉकमैन-चार्जिंग बायोफ्यूल सेल मोबाइल फोन को रिचार्ज करने के लिए कुछ मिलीग्राम ग्लूकोज का उपयोग करता है, जो दैनिक सुविधा बढ़ाने के लिए इस तकनीक के व्यावहारिक अनुप्रयोग को प्रदर्शित करता है।

उन्होंने कहा कि इरास्मस केए 171-मोबिलिटी परियोजना में एएमयू से यूपीटी और इसके विपरीत अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए प्रति वर्ष 5-10 महीने के लिए छात्र विनिमय गतिशीलता शामिल है। इस परियोजना में एएमयू से यूपीटी और इसके विपरीत शिक्षणध्प्रशिक्षणध्अनुसंधान के लिए प्रति वर्ष 6 दिनों के लिए कर्मचारियों की विनिमय गतिशीलता भी शामिल है।

डॉ. इनामुद्दीन ने स्पष्ट किया कि एएमयू पर इनकमिंग और आउटगोइंग दोनों प्रकार की गतिशीलता के लिए कोई वित्तीय दायित्व नहीं होगा और परियोजना 2027 तक वैध है।

उन्होंने कहा कि इससे पूर्व एक छात्रा सुफिया-उल-हक ने 2014-2020  के प्रोजेक्ट के अंतर्गत अपनी पीएच.डी. संचालित की।  उन्होंने पूरी फंडिंग के साथ यूपीटी में आठ महीने तक शोध किया और 8-9 के प्रभाव कारक वाले जर्नलों में अपने शोध पत्र प्रकाशित किए।

डॉ. इनामुद्दीन ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिकाओं में 210 शोध लेख, 18 पुस्तक अध्याय और 170 संपादित पुस्तकें प्रकाशित की हैं, और यूजीसी, सीएसआईआर, डीएसटी और यूपीसीएसटी द्वारा वित्त पोषित कई शोध परियोजनाएं परियोजनाओं पर काम किया है। उनकी वर्तमान अनुसंधान रुचियों में बायोफुएल सेल, सुपरकैपेसिटर और बेंडिंग एक्चुएटर्स शामिल हैं।

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एएमयू में अंतर्राष्ट्रीय भाषाविज्ञान सम्मेलन का समापन

अलीगढ़, 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भाषाविज्ञान विभाग द्वारा 20 नवंबर से आयोजित लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया (आईसीओएलएसआई-45) के तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हो गया।

इस सम्मलेन का उद्घाटन भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा सचिव श्री संजय के मूर्ति, आईएएस, द्वारा ऑनलाइन किया गया था और विभिन्न देशों से आए विद्वानों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों ने सम्मलेन के दौरान विषय वास्तु के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया।

श्री मूर्ति ने भाषाविज्ञान की भूमिका को अकादमिक खोज से अधिक महत्व देते हुए इसे संस्कृतियों को जोड़ने वाले पुल और सामाजिक समझ के लिए एक उपकरण के का नाम दिया। उन्होंने समाज को आकार देने, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में भाषा की अभिन्न भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने स्कूल स्तर से बहुभाषावाद को बढ़ावा देने और संस्कृत जैसी शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन को प्रोत्साहित करने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की प्रासंगिकता पर भी विस्तार से बात की।

सम्मेलन के निदेशक प्रोफेसर एम जे वारसी ने भारत की समृद्ध भाषाई विरासत और सहस्राब्दियों से चली आ रही भाषा की वैज्ञानिक खोज को स्वीकार करते हुए प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने विशेष रूप से भाषा प्रौद्योगिकी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के समकालीन अन्वेषण के संदर्भ में सम्मेलन के महत्व पर जोर दिया।

उद्घाटन सत्र में शामिल वक्ताओं में रसायन और उर्वरक मंत्रालय के उप महानिदेशक श्री गंगा कुमार (आईएएस) शामिल थे, जिन्होंने संस्कृति के संरक्षण में भाषा की भूमिका पर जोर दिया।

एएमयू के रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान (आईपीएस) ने विचार प्रक्रियाओं पर भाषा के प्रभाव पर चर्चा की और एनईपी-2020 के लॉन्च के बाद भाषाविदों के लिए उभरते अवसरों पर प्रकाश डाला।

प्रोफेसर श्रीश चैधरी (आईआईटी, मद्रास) ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) में भाषा विज्ञान की भूमिका पर गहराई से चर्चा की और भाषाविदों को खुद को फिर से आविष्कार करने की आवश्यकता पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो. युनस तरबौनी (वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सेंट लुइस, यूएसए) ने हिंदी-उर्दू और भारतीय संस्कृति में अपनी रुचि दर्शाते हुए, बॉलीवुड फिल्मों के माध्यम से भाषाएँ सीखने का अपना अनूठा अनुभव साझा किया।

लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रो. जी उमा महेश्वर राव (हैदराबाद विश्वविद्यालय) ने एनईपी-2020 के महत्व, विशेष रूप से क्षेत्रीय भाषाओं पर इसके जोर पर चर्चा की। उपाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शोभा सत्यनाथ ने भारत के भाषाई बहुलवाद और सांस्कृतिक विविधता पर प्रकाश डाला।

कला संकाय के डीन प्रो. आरिफ नजीर ने स्थानीय भाषाओं के संरक्षण के महत्व पर जोर दिया। सत्र का समापन तीन प्रकाशनों, अलीगढ़ जर्नल ऑफ लिंग्विस्टिक्स, बुक ऑफ एब्सट्रैक्ट्स और प्रोफेसर एम.जे. वारसी द्वारा लिखित ‘मॉडर्न लिंग्विस्टिक्स एंड उर्दू लिटरेचर‘ के विमोचन के साथ हुआ।

कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने भाषा के महत्व पर जोर दिया और खालिद होसैनी का सन्दर्भ देते हुए कहा कि ‘यदि संस्कृति एक घर है तो भाषा सभी इसके कमरों के दरवाजे की कुंजी है।

सम्मेलन में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रो. कैसिया जस्जकजोल्ट और वाशिंगटन विश्वविद्यालय के लिंग्विस्टिक्स सोसाइटी ऑफ अमेरिका के अध्यक्ष प्रो. जॉन बॉघ ने मानव समय की प्रकृति और भाषाई भेदभाव सहित भेदभावपूर्ण व्यवहारों के लिए अग्रणी ऐतिहासिक तथ्यों का वर्णन करते हुए मुख्य भाषण दिया।

प्रो. उमामहेश्वर राव, प्रो. उमारानी पप्पू स्वामी, प्रो. वैशाना नारंग, प्रो. आर.सी. शर्मा, प्रोफेसर सोनल के जोशी, प्रोफेसर शोभा सत्यनाथ, प्रोफेसर सुनंदन कुमार सेन, प्रोफेसर श्रीश चैधरी, प्रोफेसर सुमन प्रीत, प्रोफेसर गौतम के बोरा, प्रोफेसर एल राममूर्ति, प्रोफेसर प्रसन्नासु, प्रोफेसर विजय कुमार कौल, प्रोफेसर के.एस.मुस्तफा, प्रोफेसर प्रदीप कुमार दास, प्रोफेसर ऐजाज मोहम्मद शेख सहित भारत और विदेश के प्रतिष्ठित भाषाविदों ने सम्मेलन में भाग लिया।

आलोक राज (आईपीएस) और श्री पुष्कर मिश्रा की गजलों के साथ-साथ सर सैयद अहमद खान की ऐतिहासिक यात्रा को दर्शाने वाले नाटक के साथ सांस्कृतिक प्रदर्शन ने कार्यक्रम में जीवंतता जोड़ दी।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) के सहयोग से किया गया था।

उद्घाटन कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर शबाना हमीद ने किया और श्री मसूद अली बेग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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अवधी में प्रारंभिक आधुनिक सूफी कथाओं पर व्याख्यान

अलीगढ़, 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के उन्नत अध्ययन केंद्र के तत्वाधान में ‘अवधी में प्रारंभिक आधुनिक सूफी कथाएंः भारत के बहुसांस्कृतिक इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए साहित्यिक स्रोत‘ विषय पर गेन्ट विश्वविद्यालय, बेल्जियम के भाषा एवं संस्कृति विभाग की डॉ. एनालिसा बोचेट्टी द्वारा एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।

डॉ. बोचेट्टी ने चित्रावली पर अपना नवीनतम शोध कार्य साझा किया, जो कि मुगल सम्राट नूरुद्दीन जहांगीर के शासनकाल में जीवन यापन करने वाले चिश्ती सूफी शेख उस्मान द्वारा रचित एक प्रसिद्ध मध्ययुगीन सूफी काव्य पाठ है।

अवध की साहित्यिक संस्कृति पर विचार व्यक्त करते हुए और सूफी प्रेम कहानियों, उनकी उत्पत्ति, प्रसार और इसके विविध दर्शकों की खोज करते हुए, डॉ. बोचेट्टी ने कहा कि सूफी शेखों ने सार्वभौमिक भाईचारे, समतावाद, सहिष्णुता और मतभेद का सम्मान करने के संदेश के साथ समाज को आकार देने और बदलने में महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका निभाई।

उन्होंने कहा कि मध्ययुगीन और प्रारंभिक आधुनिक युग के दौरान मुख्य रूप से चिश्ती परंपरा के करिश्माई सूफी संतों की महत्वपूर्ण उपस्थिति के कारण अवध क्षेत्र का विशेष महत्व है। वे जहां भी गए, उन्होंने स्थानीय रीति-रिवाजों और प्रथाओं को अपना लिया और हिंदू और मुस्लिम दोनों समान रूप से उनका सम्मान करते थे।

उन्होंने आगे कहा कि चित्रावली प्रेमाख्यान नामक प्रसिद्ध शैली से संबंधित है, जो फारसी मसनवी या लंबी कथात्मक कविताओं की तरह एक काव्य रचना है, जिसे मुख्य रूप से अवध क्षेत्र के चिश्ती-सूफियों द्वारा स्थानीय अवधी बोली में विकसित और प्रचलित किया गया है।

उन्होंने कहा कि ‘चित्रावली आत्मकथा के साथ-साथ यात्रा वृतांत का एक कुशल संयोजन है, जिसमें लेखक उस्मान ने आगरा, दिल्ली, काबुल और अहमदाबाद जैसे भारत के प्रमुख शहरों और कस्बों के जीवंत बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यावसायिक जीवन के आकर्षक प्रत्यक्षदर्शी विवरण प्रदान किए हैंष्।

विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर गुलफिशां खान ने अपने विचार साझा करते हुए कार्यक्रम का समापन किया और मलिक मुहम्मद जायसी की पद्मावत जैसी अन्य साहित्यिक कृतियों के साथ-साथ पाठ के अंतर-पाठीय और तुलनात्मक विश्लेषण का सुझाव दिया।

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ताइवानी प्रतिनिधि ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया

अलीगढ़, 25 नवंबरः भारत में ताइपे आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र (टीईसीसी) के शिक्षा प्रभाग के सहायक प्रतिनिधि और निदेशक श्री पीटर्स चेन ने विदेशी भाषा विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दौरा किया और एएमयू के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज से मुलाकात की। प्रोफेसर गुलरेज ने ताइवानी प्रतिनिधि का स्वागत किया और एएमयू और टीईसीसी के बीच संभावित साझेदारी का आश्वासन दिया।

विदेशी भाषा विभाग में अपने मुख्य भाषण में, श्री पीटर्स चेन ने छात्रों के प्रदर्शन की सराहना की और एएमयू में आतिथ्य की सराहना की।

उन्होंने कहा कि इस तरह की बातचीत एएमयू और ताइवान के बीच भविष्य में आगे सहयोग और साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने छात्रों को अगले शैक्षणिक सत्र के लिए ताइवानी छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

यह यात्रा एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि यह टीईसीसी के किसी भी प्रतिनिधि द्वारा अपनी तरह की पहली यात्रा थी, जिसका उद्देश्य चीन गणराज्य (ताइवान) के टीईसीसी के साथ एक मूल्यवान संबंध स्थापित करना और दोंनों देषों के बीच संभावित शैक्षिक सहयोग और सांस्कृतिक संपर्कों के लिए रास्ते तलाशना था।

इससे पहले, कार्यक्रम के संयोजक, चीनी भाषा के सहायक प्रोफेसर एमडी यासीन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे ताइवान भारतीय नागरिकों के लिए व्यापार संबंधों, शैक्षिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक आवश्यक गंतव्य बन गया है।

अपने स्वागत भाषण में, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संकाय के डीन प्रोफेसर मुहम्मद अजहर ने इस तरह की पहल और सहयोग की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया और आगे के सहयोग और सांस्कृतिक संपर्कों के बारे में विस्तार से बताया।

अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन संकाय के पूर्व डीन प्रोफेसर जावेद इकबाल ने ताइवान द्वारा भारतीय नागरिकों को प्रदान किए जाने वाले अवसर को रेखांकित किया।

प्रो रखशंदा फाजली ने संयुक्त अनुसंधान, इंटर्नशिप और विनिमय कार्यक्रमों में सहयोग की गुंजाइश को रेखांकित किया।

चीनी भाषा के छात्र आजिब खान ने चीनी गीत गाया, जबकि एम.ए. प्रथम वर्ष के एक अन्य छात्र अनस अली ने चीनी भाषा में भाषण दिया।

बीए अंतिम वर्ष की छात्रा आलिया खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम का संचालन चीनी भाषा की छात्रा नाजनीन हैदर खान एवं अर्शी मिर्जा ने किया।

चीनी भाषा के सहायक प्रोफेसर श्री उदय सिंह कुँवर एवं श्री कांत कुमार ने सह-संयोजक के रूप में कार्यक्रम में योगदान दिया।

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दवाखाना तिब्बिया कॉलेज द्वारा निःशुल्क जांच शिविर आयोजित

अलीगढ़, 25 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दवाखाना तिब्बिया कॉलेज (डीटीसी) ने े शमशाद मार्केट स्थित अपने रिटेल आउटलेट इलाज-ए-कामिल में एक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। जिसका उद्घाटन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने किय। रजिस्ट्रार श्री मोहम्मद इमरान, (आईपीएस) की उपस्थिति में किया। स्वास्थ्य शिविर में 500 से अधिक व्यक्तियों की हीमोग्लोबिन, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल की निःशुल्क जांच की गई और दवाओं का वितरण किया गया।

कुलपति ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) में सक्रिय योगदान के लिए दवाखाना तिब्बिया कॉलेज की प्रभारी सदस्य प्रोफेसर सलमा अहमद और कार्यवाहक महाप्रबंधक मोहम्मद शारिक आजम और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की।

प्रभारी सदस्य प्रोफेसर सलमा अहमद ने बताया कि दवाखाना तिब्बिया कॉलेज द्वारा यह तीसरा स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया है। इससे पहले मदरसा चाचा नेहरू और मौलाना आजाद नगर में शिविर लगाए जा चुके हैं।

यह स्वास्थ्य शिविर यूनानी चिकित्सा संकाय एवं मेट्रोपोलिस पैथोलॉजी के सहयोग से आयोजित किया गया।

 

 

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