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समसामयिक लेख: भारत की जनता से अपील

अब चाहे कोई इसे माने या ना माने पर यह अब एक ऐतिहासिक सत्य है कि, इस किसान-आंदोलन को कुचलने की बहुस्तरीय हजारों कोशिशों और बदनाम करने के लाखों कुत्सित प्रयासों के बावजूद वर्तमान किसान आंदोलन ने देश के ही नहीं बल्कि विश्व के हालिया सभी आंदोलनों के इतिहास में एक मील का पत्थर स्थापित किया है।

By: Press Release

समसामयिक लेख: भारत की जनता से अपील

 

अब चाहे कोई इसे माने या ना माने पर यह अब एक ऐतिहासिक सत्य है कि, इस किसान-आंदोलन को कुचलने की बहुस्तरीय हजारों कोशिशों और बदनाम करने के लाखों कुत्सित प्रयासों के बावजूद वर्तमान किसान आंदोलन ने देश के ही नहीं बल्कि विश्व के हालिया सभी आंदोलनों के इतिहास में एक मील का पत्थर स्थापित किया है।

 

आज देश की वर्तमान स्थिति को हर नागरिक को गहराई से समझने बूझने की जरूरत है। अभी तक स्थिति यह थी कि देश में सभी अलग-अलग समूहों और स्थानों के लोग जो अपने जरूरी कारण के लिए सरकार से अलग-अलग लड़ रहे थे, पर किसी की भी बात नहीं सुनी गई और सरकार ने अपने ही एजेंडे पर काम किया है। ऐसी स्थिति में पहली बार किसानों के एक साल के लंबे गांधीवादी संघर्ष ने भारत के लोकतंत्र की मज़बूत जड़ों की ताकत को एक बार फिर साबित किया है।

 

अब हम किसानों की भी हमारे माननीय पीएम की भांति ही समूचे देश से अपील है कि कृपया इन्हें बताएं कि हम केवल किसानों का ही समूह नहीं है बल्कि आज किसान इस देश के सभी नागरिकों व संगठनों के प्रतिनिधि हैं, चाहे वह बैंक हो, एएआई, एयरइंडिया, रेलकर्मी, बीमा कर्मी, शिक्षक, डॉक्टर, पूर्व सैनिक संघ, पेंशन वंचित वर्ग, असंख्य बेरोजगार युवा, असंगठित सेक्टर के मजदूर और हर कोई जो सरकार की कार्पोरेट परस्त जनविरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के कारण समस्या का सामना कर रहा है। किसान आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि मुद्दे सच्चे तथा जनता से जुड़े हुए हों तो एकजुट होकर शांतिपूर्ण तरीकों से इस तरह की परम अहंकारी सरकार को भी झुकाया जा सकता है और इसे लोकतंत्र के आइने में इनकी वास्तविक जनविरोधी राक्षसी शक्ल को देश को दिखाया जा सकता है।

 

इसलिए आज आईफा तथा हम सब साथी किसान संगठन, आप सभी समान विचारधारा वाले समस्त समूहों, समुदायों, संगठनों, संघों से इस निर्णायक दौर में किसान आंदोलन को खुले मन से खुला समर्थन करने और इस आंदोलन को हर स्तर पर यथासंभव मजबूती प्रदान करने की अपील करते हैं। यह न केवल हमें अपनी अन्य लंबित देशहित के लिए जरूरी मांगों को हासिल करने में मदद करेगा, बल्कि आपकी लंबित समस्याओं के समुचित समाधान के लिए भी विजय द्वार खोलेगा।

 

आज सरकार रणनीति के तहत देश के किसानों को खलनायक साबित करने की कोशिश कर रही है। इतना ही नहीं यह देश के अन्य वर्गों जैसे नौकरीपेशा, समस्त आयकर दातावर्ग, व्यापारियों, निर्माताओं आदि मध्यम तथा उच्च वर्ग को किसानों के विरुद्ध साजिशन खड़ा करने की कोशिश रही है। विभिन्न वर्गों में मत विभाजन तथा ध्रुवीकरण के जरिए सत्ता हासिल करने का स्वाद चखने के बाद अब ये देश के किसान तथा शेष समाज के बीच खाई खोद रहे हैं। एक तरह से यह ग्रामीण भारत तथा शहरी इंडिया को एक दूसरे के विरोध में खड़ा कर रहे हैं। गांव वर्सेस शहर की इस विलगाववादी राजनीति से भले ही किसी राजनीतिक पार्टी को कुछ दिनों का अबाध सत्ता सुख मिल जाए लेकिन यह खतरनाक दांव इस देश की एकता अखंडता संप्रभुता, संतुलित विकास व समग्र रूप से देश के उज्जवल भविष्य के लिए गंभीर रूप से घातक है।

 

इसलिए अब वक्त आ गया है कि देश के आप सभी सरकारी, अर्धसरकारी, सहकारी, कर्मचारी, मजदूर, व्यवसायी व प्रोफेशनल्स संगठन एकजुट होकर अपनी जरूरी मांगों को भी संलग्न करते हुए किसान आंदोलन के पक्ष में, जो जहां है वहीं पर मजबूती से खड़ा हो, तथा सरकार को या खुल कर बताएं कि आप तथा आपका संगठन देश के किसानों के पक्ष में खड़े हैं, और अगर जरूरत पड़ी तो आगे कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए भी तैयार हैं।

 

इसके कई तात्कालिक व दूरगामी सकारात्मक परिणाम होंगे। सबसे पहले तो सरकार कि यह तोतारटंत बंद होगी कि यह केवल मुट्ठी भर किसानों का समूह है, और तभी यह किसान आंदोलन व किसानों की स्थिति को सही मायने में समझेगी।

 

इधर सामने कई राज्यों के चुनाव आ रहे हैं। अगर राजस्थान के छात्र अपने अधिकारों के लिए कांग्रेस का विरोध करने के लिए यूपी आ सकते हैं तो आप सभी संगठन जो आज भी किसी भी रूप में किसान आंदोलन के साथ नहीं जुड़े हैं, आप सब भी भला हमारे आंदोलन में सक्रिय रूप में शामिल क्यों नहीं हो सकते हैं। तो देश के किसान संगठनों की ओर से हम सब देश के सभी संगठनों से एक बार फिर अपील करते हैं कि आप सभी तत्काल किसान आंदोलन को समर्थन देने हेतु पहले चरण में केवल तत्संबंधी समर्थन पत्र सरकार के लिए जारी करें, तथा एक प्रति हमें भी दें। इससे आगे की रणनीति आप से चर्चा कर तय की जाएगी।

 

हम आज इस अपील के साथ ही यह लिखित घोषणा करते हुए आपको यह विश्वास दिलाते हैं, कि आपकी सभी लंबित जायज मांगों के लिए हम सब किसान संगठन आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर किसी भी मजबूत से मजबूत कंपनी अथवा सरकार से लड़ने के लिए तैयार हैं, और जब तक आपके हक और जायज अधिकार आपको नहीं मिल जाते तब तक डटे रहने के लिए कृत संकल्प हैं। इस देश के अनमोल लोकतंत्र की रक्षा करते हुए, इसे अखंड संप्रभुता संपन्न तथा समृद्ध एवं सुखी राष्ट्र बनाने का यही एक बात रास्ता भी है। तो आएं आज किसान संगठनों की इस अपील पर बिना विलंब किए सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाएं, और देश का आने वाला कल और अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुनिश्चित करें।

 

व्याख्या: यह लेखक के निजी विचार हैं। इस लेख या अनुभाग को ऐसे स्रोतों या संदर्भों की आवश्यकता है जो विश्वसनीय, तृतीय-पक्ष प्रकाशनों में दिखाई देते हैं। कोई बदलाव नहीं किया गया है। वतन समाचार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। वतन समाचार इसकी सच्चाई या किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं है और न ही वतन समाचार किसी भी तरह से इसकी पुष्टि करता है।

 

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