वोडाफोन आईडिया की जो स्थिति है, गंभीर है, संकट बहुत है उस पर, फिर भी: कांग्रेस
पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दम तोडती अर्थव्यवस्था के आंकड़े रोज आपके सामने आ रहे हैं। अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में सरकार की विफलता-नाकामयाबी निरंतर आपके सामने आ रही है। यह ऐसी सरकार है, जो आरबीआई के कैपिटल रिजर्व से भी पैसे ले लेती है। ये ऐसी सरकार है, जो मुनाफा प्राप्त करती हुई सरकारी कंपनियों को बेचने को तैयार हो जाती है और सरकारी कंपनियों को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ती, जानबूझकर उन्हें घाटे में रखा जाता है।
टेलिकॉम सेक्टर, ये एक ऐसा क्षेत्र है, जो हमारी-आपकी जिंदगी से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, बड़ा महत्वपूर्ण क्षेत्र है। आज 1 दिसम्बर को कॉल चार्जेज, और डेटा चार्जेज बढ़ाने की बात आपने भी सुनी, हमने भी सुनी। यूपीए 1 और यूपीए 2 के वक्त 13 सर्विस प्रोवाईडर्स थे, निजी क्षेत्र के, टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP), प्रतियोगिता था, बीएसएनएल और एमटीएनएल भी थे, तो निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में भी प्रतियोगिता थी, कॉल चार्जेज कम होते थे, डेटा चार्जेज कम होते थे।
दुनिया में सबसे कम की श्रेणी में आता था कि हिंदुस्तान में कॉल चार्जेज और डेटा चार्जेज सबसे कम श्रेणी में आते हैं। आज वो वक्त है कि जब ले देकर तीन निजी क्षेत्र की कंपनियाँ बची हैं, तीन भी ज्यादा बोल रहा हूँ, JIO, Bharti Airtel and Vodafone-Idea. वोडाफोन आईडिया की जो स्थिति है, गंभीर है, संकट बहुत है उस पर, फिर भी हम मान लेते हैं कि चलो तीन कंपनियाँ हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की एमटीएनएल और बीएसएनएल इस मंच से आपको हमने कई बार उनकी हालत बताई है, उनका स्वास्थ्य बताया है।
तो तीन में से जो दो कंपनियाँ हैं, वो तो आज एक दिसम्बर से अपनी कीमतें बढ़ा रही हैं, और दो चरणों में बढाएंगी एक तो वो आज स्वयं बढाएंगी और दूसरा टीआरएआई, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया, वो भी उनकी अनुशंसा करके वो भी बढ़ाएगी। तीसरी कंपनी रिलायंस जीओ आने वाले कुछ सप्ताहों में कीमतें बढ़ाएंगी।
आप एक औसतन आंकड़ा अगर निकालें, कॉल जो हम करते हैं, टेलिफोन की, तो महीने में अगर 100 रुपए की भी बढ़ोतरी होती है बिल में, जो कि एक औसतन है, किसी की 50 रुपए होगी, किसी की 25 रुपए होगी, किसी की 1 हजार रुपए होगी, तो औसतन हम 100 रुपए मान लेते हैं, मिनिमम। 120 करोड़ उपभोक्ता, मल्टीप्लाइड बाई 100, बारह हजार करोड़ प्रति माह निजी कंपनियों को लाभ मिलेगा।
वहीं आप डेटा सर्विसेज को ले लीजिए, औसतन 200 रुपए मासिक बढ़ोतरी, मल्टीप्लाईड बाई 120 करोड़ इज इक्वल टू 24 हजार करोड़। ये लाभ सीधे, सीधे उपभोक्ता की जेब से निकलकर निजी कंपनियों की जेब में जाने वाला है, आपत्ति क्या है? निजी क्षेत्र की जो ये कंपनियाँ हैं, जो इनका बकाया राशि है, जो इन्हें सरकार को देनी है, वो है, 1,47,000 करोड़ This includes the license fee and the spectrum usage charges. 1,47,000 crore is the due, which these private operators, service providers have to pay to the Government. सरकार का क्या रवैया रहा? सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि जनवरी 2020 तक ये तमाम कंपनियों को अपनी बकाया राशि सरकार को दे देनी चाहिए। The Hon’ble Supreme Court ordered that the dues of these companies should be cleared by January, 2020. सरकार ने क्या किया, कैबिनेट मीटिंग की, इनको दो साल की रियायत दे दी, दो साल की मोहलत दे दी इंट्रेस्ट पर, दो साल की मोहलत दे दी मूलधन पर। The Principle and the Interest everything, two years you are free.
तो आपने एक तरफ तो इन कंपनियों को वो लाभ पहुँचाया कि दो साल की मोहलत दे दी, दूसरी तरफ आप ये अनुमति दे रहे हैं कि 12 से 24 हजार करोड़ रुपए प्रति माह ये कंपनियाँ कमाएंगी, हमारी और आपकी जेब से कमाएंगी।
अब आप तुलना कीजिए, जो सौतेला व्यवहार हो रहा है सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों से, बीएसएनएल और एमटीएनएल। इनको आपने 4 जी नहीं लेने दिया, पांच साल हो गए प्राईवेट ऑपरेटर्स 4 जी चला रहे हैं, आप आज इन्हें 4 जी देने की बात कर रहे हैं, Why have you delayed the process of permitting them to use 4G for 5 years. पांच साल का विलम्ब क्यों? Basically what you are doing is- you are ensuring that these companies are bleed to death. आप इनको पैसा नहीं लेने दे रहे, इनके कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिलती, आपको कोई फर्क नहीं पड़ता।
कांग्रेस के वक्त दूर-दराज के इलाकों में जो लैफ्टविंग एक्सट्रीमिज्म से ग्रसित इलाके थे, नक्सल-हिंसा से ग्रसित इलाके थे, पूर्वोत्तर के राज्य थे, ग्रामीण भारत था, उन सब में बीएसएनएल को हमने काम दिया था कि आप जाइए, वहाँ सेवाएं देना शुरु कीजिए। इस सरकार ने आते ही ऐसे कई प्रोजेक्ट्स हैं, जो बीएसएनएल से लेकर निजी हाथों में सौंप दिए, आखिर क्यों?
हमारा यूपीए 1 और यूपीए 2 का मूल मंत्र था, "जियो और जीने दो", तो निजी क्षेत्र भी चलेगा और सार्वजनिक क्षेत्र भी रहेगा। इस सरकार का मूल मंत्र है, JIO और बाकी सबको मरने दो। तो ये मूल फर्क है हमारे में और इस सरकार में, इसका कारण आपको मैंने बता दिया और इसका जो नतीजा है, वो सबके सामने है, बीएसएनएल और एमटीएनएल के कर्मचारियों की स्थिति देखिए, इन दोनो कंपनियों की जो लाभ देती थीं। हमारे वक्त 7,838 करोड़ रुपए का लाभ देने वाली कंपनियाँ आज 11 हजार करोड़ रुपए के नुकसान में क्यों है?
मोदी जी आपसे हमारे दो प्रश्न हैं-
1. सरकारी उपक्रम की कंपनियों जैसे एमटीएनएल, बीएसएनएल, बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया आदि से आपकी क्या दुश्मनी हैं, आप क्यों इन्हें कमजोर करते हैं, और जब वो कमजोर नहीं हो रहीं, फिर भी उन्हें बेचते हो?
2. निजी क्षेत्र की कंपनियों से आपके क्या रिश्ते हैं, ये भी जानना जरुरी है, अब समय आ गया है कि ये सरकार इन तमाम क्षेत्रों की जो क्रिटीकल सेक्टर्स हैं, उनमें जो निजी क्षेत्र की कंपनियाँ है, उनसे आपने इलेक्टोरल बॉन्डस के माध्यम से या किसी अन्य माध्यम से आपने कितना पैसा चुनाव में लिया है, आप सार्वजनिक कर दें, तो हमें समझ में आएगा कि कुछ लेनदेन है आपके, इसलिए आप इनके हित के काम करते हैं और सरकारी कंपनियों को कमजोर करते हैं।
There have to be a quid pro quo. Why would a Government go out of its way to destroy the profit making public sector companies and trying maximizing the profits of private sectors companies? At the end of the day we end up paying for these stunts.
हमारी और आपकी जेब से पैसा जा रहा है, इसलिए ये आपत्ति है, इसलिए ये प्रेस कांफ्रेंस की जा रही है, इसलिए ये प्रश्न उठाए जा रहे हैं।
On a question about the Congress leader Shri Janardan Dwivedi sharing dais with RSS Chief, Shri Mohan Bhagwat at ‘Gita Mahotsav’, Shri Khera said- that is the Bhagwad Gita belongs only to Mohan Bhagwat and his organization? We breath the same air as Mohan Bhagwat breath, does that mean we are sharing something or we share the views of Mohan Bhagwat, I don’t understand this question. It is so happens that if they are celebrating Bhagwad Gita, people from different ideologies has every right to attend such functions and I don’t see anything wrong in that.
एक अन्य प्रश्न पर कि लगातार बिगड़ रही अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए, सरकार कह रही है कि हम अर्थव्यवस्था को आने वाले समय में ठीक कर देंगे, आपको क्या लगता है कि सरकार आने वाले समय में अर्थव्यवस्था को ठीक कर पाएगी, श्री खेड़ा ने कहा कि पिछले पांच साल का रिकॉर्ड देखिए। तो ये 3 डी सरकार है, डिस्ट्रैट्क, डिवाइड एंड डाईवर्ट (Distract, Divide and Divert)। आपका ध्यान इन मुद्दो से हटाया जाएगा, लेकिन इन मुद्दो के बारे में कुछ नहीं किया जाएगा। अर्थव्यवस्था के विषय में कुछ नहीं किया जाएगा।
आज फ्लैश आया कि एक लाख तीन हजार करोड़ रुपए जीएसटी इकट्ठा किया इन्होंने इस महीने में। ये टार्गेट तो जुलाई 2017 का था। आज आप क्यों अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि 14 प्रतिशत तो इस सरकार ने माना था कि ग्रोथ होनी चाहिए हर साल जो स्टेट को लौटाना था इनको। तो 14 प्रतिशत भी मान लें तो 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपए होना चाहिए था। 1 लाख 3 हजार करोड़ जो कि जुलाई 2017 का टार्गेट था, जीएसटी कलैक्शन का, उसमें अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, तो अर्थव्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही क्योंकि इन्हें ये नहीं मालूम की समस्या है कहाँ पर? इन्हें ये नहीं मालूम की इन्होंने कौन सी गलतियाँ की है, जिसकी वजह से आज हम तबाही के कगार पर खड़े हैं।
नोटबंदी हम बार-बार दोहराते हैं, सबसे पहला घातक हमला था अर्थव्यवस्था पर। First fatal below on our economy, was demonetization. गलत तरह से जीएसटी लागू किया जाना, दूसरा हमला था। उसके बाद तो हमले ही हमले होते गए। कॉर्पोरेट टैक्स घटा दिया आपने। समस्या कंजम्पशन साइड की है, आप प्रोडक्शन साइड में लाभ पहुँचा रहे हैं तो आपको समस्या ही नहीं मालूम है तो आपसे हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आप इलाज कर पाएंगे।
एक अन्य प्रश्न पर कि प्याज की कीमतें घटने का नाम नहीं ले रही हैं, और सरकार ने आयात के लिए एक और आदेश दिया है आज, तो आपको लगता है कि इसके कुछ राहत मिलेगी, श्री खेड़ा ने कहा कि पहले भी इजिप्ट से इन्होंने लिया एक हफ्ते पहले। इनकी स्ट्रेटजी क्या होती है, कि अगर प्याज की कमी हो रही है या कीमतें बढ़ रही हैं तो एपीएमसीज (Agricultural Produce Market Committee) में रेड करवा दो। आप जो भी एपीएमसीज को समझते हैं, या जा कर देख चुके हैं, या उस सिस्टम को समझ चुके हैं, आप जानेंगे कि एपीएमसीज में तो स्टोरेज होता नहीं प्याज का, तो आप क्या ढूँढने गए वहाँ? वहाँ तो आधा घंटा ट्रक को खड़े होने का समय बड़ी मुश्किल से मिलता है, तो आप अपनी रेडिंग टीम्स वहाँ किसलिए भेजते हो? क्या खानापूर्ति करना चाहते हो, ये बताइए। इंटेशन नहीं है किसी भी समस्या का निदान करना, सिर्फ पॉलिटिक्स है, दिखाने के लिए, सिर्फ दिखावे वाली सरकार है कि देखो हमने रेड डाली, इतनी रेड्स डाली। इंपैक्ट क्या हुआ, रेड्स कहाँ डाली, प्रश्न ये उठता है, आपने रेड्स डाली कहाँ?
आपको नहीं मालूम, आपकी इतनी लोकल इंटेलीजेंस नहीं है कि कहाँ पर स्टोक्स रखे हुए हैं, कहाँ स्टोरेज होता है, कहाँ गोदाम है। तो कितनी ही खेपों का ये ऑर्डर कर लें, डॉलर और प्याज की कीमतों में शायद अब प्याज ज्यादा आगे बढ़ी है।
एक अन्य प्रश्न पर कि उद्योगपति राहुल बजाज ने गृहमंत्री से देश के माहौल को लेकर पूछा कि यूपीए सरकार के समय कोई भी सरकार की खुलकर आलोचना कर सकता था, अब देश में डर का माहौल है, श्री खेड़ा ने कहा कि किसी ने तो हिम्मत जुटाई, ये जानकर अच्छा लगा और ऐसी आवाजें और आनी चाहिएं। न केवल राजनैतिक मंचों से क्योंकि हमारे लिए तो आप कहेंगे कि आपकी आदत है, बात वो नहीं है। हर क्षेत्र में एक भय का माहौल है और जब भय का माहौल होता है तो निवेश कैसे आएगा? उद्योगपति इस बात को अच्छी तरह समझता है, व्यापारी इस बात को अच्छी तरह समझता है, जिस समाज में सौहार्द नहीं होगा, If there is no harmony in the society, why would I put my money in that society, in that country, in that city. तो पहले आपको उस माहौल को बदलना जरुरी है, ये बात उन्होंने कही और बड़ी हिम्मत दिखाते हुए कही, इसलिए तो सब कहते हैं, “हमारा बजाज”।
What does Mr. Rahul Bajaj said, is the sentiment shared across the country, across every sector. The atmosphere of this country has been vitiated and I am sure it is not beyond repair, because the country has some resilience, but the atmosphere has been vitiated over the last five years. And if there is no harmony in a society, in a country, in a city, how do you expect investors to come and put their money there. Money only goes where it can thrive, where it can celebrate itself, where it can multiply, where it can grow, and it can only grow in areas where there is peace, harmony, mutual interdependence and happiness.
एम्स के दो खातों से साइबर ठगी के द्वारा 12 करोड़ रुपए निकालने से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री खेड़ा ने कहा कि जो सरकार डिजीटल इंडिया का दावा भरती है, आपने देखा हमारे सुरक्षा ठिकाने तक सुरक्षित नहीं हैं, साइबर क्राइम से, साइबर इंफिल्ट्रेशन से, आपने देखा पेगासिस का मामला कि कैसे आप जैसे पत्रकार, पॉलिटिकल पार्टीज उनके प्रतिद्वद्धी, इंटलैक्चुअल, सब खतरे में हैं। जब सरकार खुद स्टेट स्पॉन्सर्ड साइबर टेररिज्म को देख रही है, उसके सामने हो रहा है और उसका जवाब देते नहीं बन रहा है, मंत्री महोदय से संसद में, तो ये बड़ी खतरे की घंटी है। ये तो एकाध उदाहरण आप दे रहे हैं, लेकिन अनेकों उदाहरण हैं। अभी एक हफ्ते पहले गुगल ने भी एक चेतावनी दी। तो इस देश में डिजीटल एक नारा बनकर रह गया है। कहीं मेरी और आपकी जो निजी डेटा है, वो सुरक्षित नहीं है।
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