Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

एक क्लिक पर पढ़िए AMU की आज की सारी खबर

‘उर्दू साहित्य के संदर्भ में आधुनिक भाषाविज्ञान’ पर संगोष्ठी

By: Press Release

 

एक क्लिक पर पढ़िए AMU की आज की सारी खबर

‘उर्दू साहित्य के संदर्भ में आधुनिक भाषाविज्ञान’ पर संगोष्ठी

अलीगढ़, 7 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग ने साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सहयोग से ‘उर्दू साहित्य के संदर्भ में आधुनिक भाषाविज्ञान’ पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें भाषाविदों और उर्दू विद्वानों ने उर्दू साहित्य और इसकी रूपात्मक, वाक्य-रचना संरचनाओं और ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर विचार विमर्श किया।

मुख्य भाषण में, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो ख्वाजा इकरामुद्दीन ने साहित्य का अध्ययन करने के लिए भाषाविज्ञान में शैलीविज्ञान के उभरते क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया और साहित्यिक कार्यों के विश्लेषण में आकृति विज्ञान, वाक्य रचना, ध्वन्यात्मकता और शब्दार्थ के उपयोग को रेखांकित किया।

भाषाई विशेषताओं और शैलियों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि साहित्य शैली के बिना पूर्ण नहीं है क्योंकि यह भावनाओं, रूपकों और प्रतीकों को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रो ख्वाजा ने कहा कि “शैलीवाद साहित्य में भाषा के कलात्मक उपयोग और संवाद के सौंदर्यीकरण को देखने की कला है। साहित्य में विचारों, अनुभवों या कल्पना को व्यक्त करने का कोई एक तरीका नहीं होता और प्रत्येक लेखक के पास अभिव्यक्ति का एक अलग तरीका होता है।

उन्होंने साहित्य में प्रयुक्त भाषा के शैलीगत विश्लेषण और भाषाई विश्लेषण की सुंदरता की व्याख्या करने के लिए विभिन्न कवियों के कार्यों के प्रसंगों का वर्णन किया।

मुख्य अतिथि, जेएनयू, नई दिल्ली के प्रोफेसर अनवर पाशा ने भाषा की संरचना से परे भाषा के महत्व को समझाने के लिए नोम चॉम्स्की का हवाला देते हुए कहा कि भाषा केवल शब्द नहीं है, यह संस्कृति, परंपरा और समुदायों का एकीकरण है।

उन्होंने कहा कि भाषा का जन्म होता है, यह समय के साथ बदलती है, और यदि लोग इसका उपयोग नहीं करते हैं तो यह मर भी सकती है। यदि हम देखें कि समय के साथ भाषा, संस्कृति, परंपरा, मूल्य और शैली कैसे बदल रही है, तो हम नौतर्ज़-ए-मुरससा और बाग-ओ-बहार जैसे महान साहित्यिक कार्यों के महत्व को समझ सकेंगे।

प्रो अनवर ने सर सैयद अहमद खान के कार्यों पर भी बात की।

इस अवसर पर मानद अतिथि प्रोफेसर सफदर इमाम कादरी (पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना) ने उर्दू भाषा विज्ञान और शैली के संदर्भ में प्रोफेसर मसूद हुसैन खान और प्रोफेसर मिर्जा खलील अहमद बेग के योगदान पर चर्चा की।

उन्होंने उर्दू साहित्यिक आलोचना के इतिहास को रेखांकित किया और ट्रेंड-सेटिंग लेखकों की भूमिका पर चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय के डीन, प्रोफेसर एस इम्तियाज हसनैन ने कहा कि साहित्य के संदर्भ में भाषा विज्ञान के बारे में कोई भी बात हमें अनिवार्य रूप से शैलीविज्ञान में ले जाती है क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जो भाषा विज्ञान और साहित्य का इंटरफेस प्रदान करता है।

उन्होंने लेख ‘द करंट स्टेट ऑफ स्टाइलिस्टिक्स’ और प्रो मिर्जा खलील ए बेग की किताब, ‘तंकीद और उस्लोबियाती तनकीद’ में एक फ्रांसीसी विद्वान के निष्कर्षों पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि पाठ व्याख्या की एक विधि के रूप में, शैलीगत भाषा को स्थान की गोपनीयता प्रदान करते हैं।

स्वागत भाषण में, भाषाविज्ञान विभाग अध्यक्ष और संगोष्ठी के समन्वयक, प्रोफेसर एम जे वारसी ने कहा कि ‘आधुनिकीकरण के युग ने भाषा, भाषा विज्ञान, साहित्य और संस्कृति पर विशेष ध्यान आकर्षित किया है और आधुनिक अध्ययन ने साहित्य के सन्दर्भ में भाषा विज्ञान का अध्ययन करने के दरवाजे खोल दिए हैं।

उन्होंने कहा कि उर्दू साहित्य की भाषाई और शैलीगत विशेषताओं का विश्लेषण करना आवश्यक है क्योंकि शैलीवाद व्यवहारिक भाषा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रोफेसर वारसी ने साहित्य में शैलीविज्ञान के अध्ययन पर जी.एन. लीच को उद्धृत किया और कहा कि शैलीवाद साहित्य के लिए एक भाषाई दृष्टिकोण है जो भाषा और कलात्मक कार्य के बीच संबंध को प्रेरित करने वाले क्या से अधिक क्यों और कैसे जैसे प्रश्नों के साथ समझाता है।

प्रो वारसी ने आगे कहा कि उर्दू के महान भाषाविद् मसूद हुसैन खान, जदीद लिसानियत के संदर्भ में उर्दू साहित्य का अध्ययन करने वाले पहले विद्वान थे।

संगोष्ठी में प्रोफेसर इब्ने कवाल (दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली), प्रोफेसर मोहम्मद अली जौहर (अध्यक्ष, उर्दू विभाग, एएमयू), प्रोफेसर खतीब सैयद मुस्तफा (पूर्व अध्यक्ष, भाषाविज्ञान विभाग, एएमयू), प्रो. अबू बकर अब्बद (दिल्ली विश्वविद्यालय), डॉ अब्दुल है (मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा), प्रोफेसर एजाज मोहम्मद शेख (कश्मीर विश्वविद्यालय), प्रो सैयद मोहम्मद अनवर आलम (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय), मसूद अली बेग (भाषाविज्ञान विभाग, एएमयू), प्रोफेसर मोहम्मद कमरुल हुदा फरीदी (निदेशक, उर्दू अकादमी, एएमयू), मोहम्मद मूसा रजा ने भी व्याख्यान प्रस्तुत किये।

प्रोफेसर शबाना हमीद ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि कार्यक्रम का संचालन डॉ मेहविश मोहसिन और डॉ शमीम फातमा ने किया।

---------------------------

राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर संगोष्ठी

अलीगढ़, 7 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के उपलक्ष में 11 नवंबर को ‘शिक्षा और राष्ट्रीय विकास’ पर हाइब्रिड ऑफलाइन/ऑनलाइन मोड में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।

शिक्षा विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर मुजीबुल हसन सिद्दीकी ने कहा कि कार्यक्रम में दिन में सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक meet.google.com/wpc-qbmm-uyo लिंक पर भाग लिया जा सकता है।

-----------------------------

संयुक्त राज्य अमेरिका में शिक्षा प्रणाली पर व्याख्यान

अलीगढ़ 7 नवंबरः यंगस्टाउन स्टेट यूनिवर्सिटी, ओहियो, यूएसए के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शाकिर हुसैन ने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘अमेरिका में शिक्षा प्रणाली और भारत में इसकी प्रासंगिकता’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए यूएसए में उच्च शिक्षा परिदृश्य पर विस्तार से बात की और छात्रों के लिए विभिन्न छात्रवृत्ति और फेलोशिप की शर्तों एवं नियमों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एएमयू के छात्रों को अमरीकी विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने में पूर्व छात्रों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत भी की और अमेरिकी सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में उनके सवालों के जवाब दिए।

इससे पूर्व सीडीओई के निदेशक, प्रो मोहम्मद नफीस अहमद अंसारी ने अतिथि वक्ता का स्वागत किया और छात्रों के साथ बातचीत करने के लिए समय निकालने के लिए उनका आभार जताया।

--------------------------

कंप्यूटर विज्ञान विभाग में ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’

अलीगढ़, 7 नवंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान विभाग में राष्ट्रव्यापी ‘सतर्कता जागरूकता सप्ताह’ के अवलोकन में शिक्षकों ने भ्रष्टाचार से पैदा होने वाली सामाजिक बुराइयों के बारे में जागरूकता उत्पन्न की।

‘ईमानदारी शपथ’ दिलाते हुए, कार्यवाहक अध्यक्ष, प्रो तमन्ना सिद्दीकी ने निवारक सतर्कता का अभ्यास करने का आह्वान किया और भ्रष्टाचार मुक्त देश के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने उन भूमिकाओं पर भी बात की जो जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग भ्रष्टाचार को रोकने के लिए निभा सकते हैं।

विभाग के शिक्षकों, प्रोफेसर मोहम्मद उबैदुल्ला बुखारी, डॉ शफीकुल आबिदीन, प्रीति बाटा और सेहबा मसूद ने विश्वविद्यालय के कर्मचारियों से जीवन के सभी क्षेत्रों में ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का आग्रह किया।

बीएससी के छात्रों, सुहेल खान और अहमद रजा शिबली ने नागरिक सेवाएं देने के लिए पारदर्शिता में सर्वाेत्तम प्रथाओं पर भाषण दिए।

प्रो तमन्ना ने धन्यवाद ज्ञापित किया और डॉ मोहम्मद नदीम ने कार्यक्रम का संचालन किया।

------------------------------

कृषि, पर्यावरण और सतत विकास पर सम्मेलन का समापन

अलीगढ़, 7 नवंबरः भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान बहुत बड़ा रहा है, हालांकि जैविक खेती को व्यापक रूप से अपनाने और पर्यावरण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता है। इस आशय की अभिव्यक्ति अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आईसीएसएसआर और डीएसटी पृथ्वी विज्ञान विभाग, भारत सरकार के सहयोग से ‘भारत में कृषि, पर्यावरण और सतत विकासः स्वतंत्रता के बाद के परिदृश्य में’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञों ने की।

समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि डीडीयू विश्वविद्यालय, गोरखपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष, प्रो. वी. के. श्रीवास्तव ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक और पारिस्थितिक दृष्टिकोणों से, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के बीच पारंपरिक कृषि में मिश्रित फसल, फसल चक्र और मल्चिंग कुछ महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रथाएं थीं।

उन्होंने कहा कि पिछले तीन से चार दशकों में अतिदोहन के कारण वनों के विनाश से मिट्टी की उत्पादकता में कमी आई है। इसने मिट्टी के कटाव जैसी समस्या को जन्म दिया है और प्राकृतिक वनस्पति और जल संसाधनों को प्रभावित करते हुए भूमि की कायाकल्प करने की क्षमता को कम कर दिया है।

उन्होंने कहा कि फसलों का विविधीकरण (पशुधन सहित), मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाने और संरक्षित करने के लिए मिट्टी का प्रबंधन और किसानों के लक्ष्यों और जीवन शैली विकल्पों पर विचार करने वाले कुछ केंद्र बिंदु हैं जिन पर विचार किया जाना चाहिए।

मानद अतिथि प्रोफेसर असलम महबूद (क्षेत्रीय विकास केंद्र, जेएनयू) ने कहा कि महिलाएं कृषि, पर्यावरण और सतत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

उन्होंने कहा कि सतत विकास वर्तमान और भविष्य के लिए संसाधनों के समान वितरण पर निर्भर करता है। इसे लैंगिक समानता के बिना हासिल नहीं किया जा सकता। कई महिला समूह चिंतित हैं कि वर्तमान आर्थिक विकास और वैश्वीकरण के पैटर्न अमीर और गरीब के बीच की खाई को बढ़ा रहे हैं, और महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक लाभान्वित कर रहे हैं।

प्रारंभ में अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के संयोजक और विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर नौशाद अहमद ने कहा कि अच्छे शोध को सामाजिक जरूरतों और जलवायु परिवर्तन जैसे नए क्षेत्रों के अनुरूप होना चाहिए। बायोटा पर इसके प्रभाव और बदले में ‘नीली अर्थव्यवस्था’ का पता लगाया जाना चाहिए तथा अवसरों का उपयोग सामाजिक लाभ के लिए किया जाना चाहिए। उनहोंने कहा कि महासागर एक विशाल संसाधन हैं।

इससे पहले, उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हुए, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के रजिस्ट्रार वरिष्ठ प्रोफेसर और प्रख्यात वैज्ञानिक, डॉ वाईवीएन कृष्ण मूर्ति ने टिकाऊ कृषि के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और पृथ्वी के पारिस्थितिक संतुलन का विकास और रखरखाव के महत्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा कि भारत के कृषि अनुसंधान और विस्तार प्रणालियों को मजबूत करना कृषि विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। इन सेवाओं में समय के साथ अवसंरचना और संचालन की पुरानी कमी के कारण गिरावट आई है। उच्च मूल्य की वस्तुओं में विविधता लाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना उच्च कृषि विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होगा, विशेष रूप से वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहां गरीबी अधिक है।

प्रोफेसर मूर्ति ने बाजारों को विकसित करने और कृषि ऋण और सार्वजनिक व्यय को बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जहां कुछ प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं, वहीं विविधीकरण को सक्षम करने और उपभोक्ता कीमतों को कम करने के लिए काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। किसानों के लिए ग्रामीण वित्त तक पहुंच में सुधार करना एक अन्य आवश्यकता है, क्योंकि किसानों के लिए ऋण प्राप्त करना कठिन बना हुआ है। उन्होंने देश के कई हिस्सों में भूजल स्तर में कमी और मिट्टी के कटाव की समस्याओं पर भी प्रकाश डाला।

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के भूगोल विभाग के प्रोफेसर नूर मोहम्मद ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान और कृषि विकास में बाधा डालने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि किसानों की प्रति व्यक्ति आय में गिरावट आ रही है, और पारिस्थितिक संतुलन खतरे में है। इस परिदृश्य में जैविक खेती को बढ़ाना होगा, किसानों को अधिक सब्सिडी और ऋण मिलना चाहिए और वर्षा आधारित फसलों पर जोर देना चाहिए।

विज्ञान संकाय के डीन, प्रो. मोहम्मद अशरफ ने कहा कि हमें कृषि, पर्यावरण और सतत विकास की उभरती समस्याओं को हल करने के लिए एक अंतर-विषयी दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए।

भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो नौशाद अहमद ने कहा कि सम्मेलन वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और युवा वैज्ञानिकों को सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन और उचित गरीबी और भूख शमन के लिए अपने नवीन विचारों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करने का माध्यम है।

प्रो. निजामुद्दीन खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

दो दिवसीय सम्मेलन में भारत और विदेशों से 160 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। सम्मलेन में प्रतिनिधियों और छात्रों द्वारा बारह तकनीकी सत्र, पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियां शामिल थीं।

-----------------------------------

ज्ञान कोर्स का समापन

अलीगढ़, 7 नवंबरः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा ‘सबटाइटलिंग स्क्रीन डायलॉगः द प्रैग्मैटिक्स ऑफ ऑडियोविजुअल ट्रांसलेशन’ विषय पर ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (जीआईएएन) के अंतर्गत पांच दिवसीय ऑनलाइन कोर्स का आयोजन किया गया जिसमें मीडिया अध्ययन की विद्वान और विदेशी संकाय डॉ मारा लोगाल्डो (आईयूएलएम, मिलान, इटली) ने व्याख्यान और अभ्यास प्रदान किया और लाक्षणिकता, बहुभाषावाद, संस्कृति, दृश्य-श्रव्य अनुवाद के पहलुओं, कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों और अन्य विषयों पर संवादात्मक सत्रों में छात्रों के ज्ञान में वृद्धि की। डॉ मारा ने समापन भाषण भी दिया।

पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो एम रिजवान खान ने बताया कि एएमयू के अंग्रेजी विभाग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और दृश्य-श्रव्य अनुवाद जैसे विषयों को अध्यापन और अनुसंधान में कैसे शामिल किया गया है।

उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा दृश्य-श्रव्य अनुवाद में व्यावसायिक रुचि की संभावनाओं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को व्यवसाय के रूप में अपनाने पर व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र भी आयोजित किये।

राष्ट्रीय संकाय के रूप में कार्यक्रम में भाग लेते हुए, अनुवाद विद्वान और संकाय सदस्य, जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली, प्रो मोहम्मद असदुद्दीन ने अनुवाद के क्षेत्र में विशेषज्ञता साझा की और प्रतिभागियों को अनुवाद के भारतीय परिप्रेक्ष्य के बारे में जानकारी दी। वह उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि भी थे।

इलारिया वेलेरियोटी, रोम के विशेषज्ञ सब टाइटलर और समापन सत्र के मानद अतिथि ने प्रतिभागियों को विभिन्न सबटाइटल और डबिंग तकनीकों में प्रशिक्षित किया, जिसमें सबटाइटल और डबिंग स्क्रिप्ट बनाने के लिए ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर का उपयोग, स्थानीयकृत वीडियो सामग्री का निर्माण और फिल्मों और वृत्तचित्रों के टुकड़े द्वारा सीखने के कौशल को उपयोग करना शामिल है।

एएमयू शिक्षक, प्रोफेसर वसीम अहमद (जूलॉजी विभाग) और प्रोफेसर उमर फारूक (इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग) ने भी विभिन्न सत्रों में मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में भाग लिया।

अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष, प्रो एम आसिम सिद्दीकी ने स्वागत भाषण दिया और प्रो एम रिजवान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रोफेसर शाहीना तरन्नुम, डॉ रेहान रजा, प्रो जावेद एस अहमद, प्रो रुबीना इकबाल, प्रो विभा शर्मा, डॉ सुनीज शर्मा, डॉ शारजील चौधरी, डॉ साकिब अबरार और डॉ फौजिया उस्मानी पाठ्यक्रमों के प्रभारी शिक्षक थे।

 

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.