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अजान और लाउडस्पीकर को लेकर IMPAR का ज़रूरी ऐलान

Indian Muslims for progress and Reforms (IMPAR) ने एक प्रेस बयान जारी किया है। इस के द्वारा मुस्लिमों के लिए अजान और इस्लाम से संबंधित कुछ सुझाव दिए गए हैं। बता दें कि बीते कुछ दिनों से अजान को ले कर के वाद विवाद चल रहा है। कई लोग अजान को देने के तरीके यानी लाउडस्पीकर से आपत्ति जता रहे हैं। उनका मानना है कि लाउडस्पीकर द्वारा अजान दिए जाने से ध्वनि प्रदूषण होता है।

By: Saima Parveen

 

अजान और लाउडस्पीकर को ले कर IMPAR का ज़रूरी ऐलान

 

Indian Muslims for progress and Reforms (IMPAR) ने एक प्रेस बयान जारी किया है। इस के द्वारा मुस्लिमों के लिए अजान और इस्लाम से संबंधित कुछ सुझाव दिए गए हैं। बता दें कि बीते कुछ दिनों से अजान को ले कर के वाद विवाद चल रहा है। कई लोग अजान को देने के तरीके यानी लाउडस्पीकर से आपत्ति जता रहे हैं। उनका मानना है कि लाउडस्पीकर द्वारा अजान दिए जाने से ध्वनि प्रदूषण होता है।

 

वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसके समर्थन में भी आए हैं। इन सब मुद्दो को ध्यान में रखते हुए Indian Muslims for progress and Reforms (IMPAR) ने एक बयान जारी किया, जिसमे कर्नाटका और अन्य राज्यों से अपील की गई है। 8 अप्रैल को जारी किए गए इस प्रेस स्टेटमेंट में लोगो को सुझाव दिया गया कि ऐसे लाउडस्पीकर जिन से अजान दिए जाते हैं उनकी आवाज़ ध्वनि सीमा के अंदर ही रखें।

 

इतना ही नहीं, IMPAR ने कर्नाटक समेत अन्य देशवासियों से अपील की है कि सभी लोग पर्यावरण संबंधित ऊंची आवाज़ से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण पर आधारित कर्नाटक न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को मांगेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि उलमा-ए-देवबंद और नदवतुल उलेमा लखनऊ ने दोबारा से एक बार इस मुद्दे से संबंधित अपनी सलाह जारी कर दी है। और दारुल उलूम देवबंद में प्रश्न संख्या 41093 से संबंधित फतवा भी जारी कर दिया है।

 

इतना ही नहीं, IMPAR ने अपने प्रेस स्टेटमेंट में कहा है कि, “हम देश के हर मुसलमान से यह आशा करते हैं कि वह अपनी जिम्मेदारी समझेंगे और देश में अमन और शांति फैलाने का काम करेंगे। मुसलमानों को भी यह समझना चाहिए कि उनके किसी भी कर्तव्य से किसी और को कोई तकलीफ ना हो। खास कर के रमजान में और केवल रमजान में ही नहीं बाकी महीनों में भी इस ओर ध्यान दिया जाए।”

 

IMPAR ने मुसलमानों को उनकी जिम्मेदारियां समझाते हुए याद दिलाया कि यह निर्देश इस्लामी सिद्धांतो का एक हिस्सा हैं और कुरान और पैगंबरों द्वारा भी ऐसे स्पष्ट निर्देश दिए गये हैं कि आप की ज़ात से किसी को तकलीफ नहीं होनी चाहिए।

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