कांग्रेस पार्टी की तासीर समझने में Modi और Shah को कई-कई जन्म लेने पड़ जाएंगे: कांग्रेस का केंद्र सरकार पर संगीन आरोप
पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नमस्कार साथियों। आज राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत और मैं, हम लोग आपके सामने हैं, फिर से। राजनीति में गठबंधन होना, तो एक स्वाभाविक बात है, कि गठबंधन होते हैं, दिखते हैं, लेकिन जो अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की राजनीति का गठबंधन है वो एजेंसियों के साथ है और बड़ा स्पष्ट दिखता है। जब भी इनकी घेराबंदी हो जाती है, whenever they feel cornered, they misuse agencies. एजेंसियों को सामने कर देते हैं। वो राज्यों के चुनाव हों, वो बंगाल हो, उत्तर प्रदेश हो, असम हो, कश्मीर हो, महाराष्ट्र हो या फिर गहलोत साहब का राजस्थान हो, सब जगह आपको एजेंसियों की भूमिका और उस भूमिका की टाइमिंग बड़ी स्पष्ट तौर पर दिखती है।
साजिश क्या है - साजिश है हमें चुप करवाने की। षड़यंत्र है हमें रोकने का और नीयत है विपक्ष मुक्त भारत। यह हम सबको स्पष्ट तौर पर समझ लेना चाहिए। देश का यह अधिकार है जानना कि हमें चुप क्यों कराना चाहते हैं। आखिर वो कौन से मुद्दे हैं, जो हम जब उठाते हैं, तो एक साहब हैं, जिनको 18-18, 19-19 घंटे नींद ही नहीं आती, फिर। उन मुद्दों की वजह से नींद नहीं आती और वो मुद्दे उठाने वाले कौन हैं – वो मुद्दे उठाने वाली कांग्रेस पार्टी है, वो मुद्दे उठाने वाले राहुल गांधी हैं, वो मुद्दे उठाने वाली हमारी अध्यक्षा, श्रीमती सोनिया गांधी हैं और उन्हीं मुद्दों से उनकी नींद हराम है। इसी वजह से एजेंसी को सुबह से शाम तक व्यस्त रखा जाता है।
ये वन नेशन, वन इलेक्शन मालूम है क्यों चाहते हैं ताकि एक ही बार अहसान ले लें सारी एजेंसियों का, नहीं तो बाद में सबको रिटायरमेंट के बाद एडजस्ट कराना पड़ता है, बड़े परेशान हो जाते हैं, नींद नहीं आती है, 18-18 घंटे। ये स्थिति है हमारे प्रधानमंत्री की।
हम कर क्या रहे हैं- हम तो सिर्फ प्रधानमंत्री को उनके अपने पुराने भाषण सुना देते हैं। डॉलर पर, पेट्रोल पर, बेरोजगारी पर, चीन पर, पाकिस्तान पर। तमाम भाषण जो ये 2014 से पहले देते थे, अब हम उन्हें सुना देते हैं, सिर इनका शर्म से झुक जाता है और झुकना भी चाहिए। हम सिर्फ आपको आपका राजधर्म याद दिलाते हैं। उसमें भी ये परेशान हो जाते हैं। प्रधानमंत्री जी भूल जाते हैं कि कांग्रेस के बारे में जो इन्होंने धारणा बनाई या कांग्रेसियों के बारे में जो इन्होंने धारणा बनाई, ये उन कांग्रेसियों को देखकर बनाई, जिनको ये यहाँ से लेकर गए, वो धारणा गलत है। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी की तासीर समझने में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को कई-कई जन्म लेने पड़ जाएंगे। They will have to reborn several times to understand what the Congress party is and what the Gandhi family is. इस तासीर में संकल्प है, इस तासीर में संघर्ष है, इस तासीर में जुनून है देश को बचाने का, इस तासीर में दृढ़ निश्चय है देश को बचाने का। इस तासीर को अगर आप समझ भी लेंगे मोदी जी, तो आपका ये जन्म सफल हो जाएगा। नहीं समझ पाएंगे आप।
तो आप जितनी एजेंसी चाहिए छोड़ दीजिए हमारे पीछे, हम चुप नहीं होंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे, हम डरकर घर बैठने वालों में से नहीं हैं। अगर आपको कोई शक है तो, जाइए अंग्रेजों से पूछ लीजिए।
मैं मेरे वरिष्ठ नेता और राजनीति में मेरे गुरु श्री अशोक गहलोत जी से आग्रह करुंगा कि अपने विचार आपके सामने रखें।
श्री अशोक गहलोत ने कहा कि पवन खेड़ा जी और तमाम मेरे मित्रों, ये तो आप सबको मालूम है कि आज ईडी ने, पिछली बार राहुल गांधी जी को बुलाया था और 5 दिन तक 50 घंटे से अधिक समय तक उनसे पूछताछ की। पूरा देश देख रहा था और आज सोनिया गांधी जी को बुलाया है। जिसके बारे में पूरा मुल्क जानता है कि वो एक ऐसी नेता हैं, जिन्होंने पूरे देश का दिल जीता है। जिस रुप में उन्होंने यूपीए का गठन किया, फील गुड और इंडिया शाइनिंग नारों को हराया, जो कि आर्टिफिशियल थे। जिन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह जी को प्रधानमंत्री बनाया। प्रधानमंत्री पद कोई छोड़ सकता है क्या और जिनकी जिंदगी में एक तरफ तो भारतीय संस्कार, संस्कृति उन्होंने आत्मसात की। क्या-क्या बातें उनके बारे में नहीं कही जा रही थी, जब राजीव जी की शहादत हो गई थी और जिस महिला नेता के रुप में उन्होंने देखा है, एक पारिवारिक महिला के रुप में भी कि उनके हाथों में इंदिरा गांधी जी की शहादत हुई, जो एक महान नेता थी देश की।
बांग्लादेश जिस वक्त बना उस जमाने के अंदर पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए। दुनिया के इतिहास में ऐसा कहीं नहीं सुना होगा कि 90,000 सैनिकों को, अधिकारियों को सरेंडर करवा दिया एक मुल्क के, जो हमारा दुश्मन मुल्क है। इंदिरा गांधी जी ने हरित क्रांति की, गरीबी हटाओ की बात कही, सब कुछ किया देश के लिए। उनकी शहादत हो गई और देश को एक व अखंड रखा। राजीव गांधी शहीद हो गए, उनके पति शहीद हो गए, उनकी सास शहीद हो गईं, देश के लिए, उनके पति शहीद हो गए देश के लिए। इस सरकार को इतनी भी शर्म नहीं आती है कि आप किस महिला के साथ किस रुप में व्यवहार कर रहे हैं।
ईडी वाले उनके घर जाकर बयान ले सकते थे। कई बार लेते हैं, ईडी वाले घर जाते हैं, बयान लेते हैं, कोई नई बात नहीं है। मोती लाल वोरा जी के घर गए थे बयान लेने। पर जिस रुप में उनका रवैया जो है, वो बहुत निम्न स्तर का है। उनको चिंता ही नहीं है कि देश क्या सोच रहा होगा। कांग्रेस शासन में हमेशा हर फैसला ऐसा होता था कि मीडिया में कोई इशू बन गया तो देश क्या सोचेगा और मुख्यमंत्री के इस्तीफे, रेल मंत्री का इस्तीफा, लॉ मिनिस्टर के इस्तीफे हो जाते थे। इनकी डिक्शनरी में वो बातें तो हैं ही नहीं।
इसलिए सोनिया गांधी जी को जिस रुप में बुलाया गया, वो बेहतर तरीके से हो सकता है। हम जानते हैं, मानते हैं, कानून सबके लिए समान होता है, पर इनके शासन में कानून सबके लिए समान नहीं है। इनके लिए जो एनडीए में आता है, घुस जाता है, बीजेपी ज्वाइन कर लेता है, उसके लिए कानून बदल भी जाता है। जैसे शिवसेना के कई लोगों को बुला-बुला कर बयान लिए गए और जब वो इनको ज्वाइन कर गए पार्लियामेंट के मेंबर, तो वो तमाम बातें समाप्त हो गई उनके लिए। इन्होंने जो दो कानून बना रखे हैं देश के लिए, विपक्ष के लिए अलग है और इनके खुद के लिए अलग हैं। इस प्रकार आज ये मुल्क चल रहा है और ऐसा केस हाथ में लिया गय़ा है, जिसका हक है ही नहीं ईडी को। मनी लॉड्रिंग कहाँ हुई है? ईडी को चाहिए एक प्रेस वार्ता करे, देश को बताए, राहुल गांधी जी को, सोनिया गांधी जी को क्यों बुला रहे हैं, इनके ऊपर अमुक-अमुक आरोप इस प्रकार के हैं, जो ईडी में आते हैं।
आज ईडी को जिस रुप में मिसयूज कर रहे हैं सरकारों को बदलने के लिए, ये खतरनाक ट्रेंड है। ये लोकतंत्र की भावनाओं को भी, आप समझ सकते हैं कि कुचला जा रहा है, उनको। मैं बार-बार कहता हूं कि देश में संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं। देश में लोकतंत्र खतरे में हैं, ये उसके उदाहरण हैं। इस रुप में आज ये मुल्क चल रहा है। पूरे देश के लोग डरे हुए हैं, सहमे हुए हैं और घुटन महसूस कर रहे हैं देश के अंदर। ये समझ नहीं पा रहे हैं, इनको नहीं अहसास है कि जनता का मूड बदल भी सकता है।
अभी आपने हिंदुत्व के नाम पर जो हर व्यक्ति के धर्म की बात आती है, तो व्यक्ति साथ खड़ा हो जाता है। हमारी लड़ाई विचारधारा की है, देश को बचाने की है, उसी के लिए आज पूरे देश के कांग्रेसजन प्रदेशों के अंदर, जिलों के अंदर धरने कर रहे हैं, प्रदर्शन कर रहे हैं। मैसेज देने के लिए, ये तो लोकतंत्र के गहने हैं, धरने हों, प्रदर्शन हों, विरोध प्रकट करना हो, इनको तो टॉलरेंस पॉवर हों, ये तो लोकतंत्र में आवश्यक है। आज अगर ये होते हमारी जगह, तो आग लगा देते, तोड़-फोड़ करते, इनकी फितरत ये है। हमारे यहाँ तो बाहर आप देख रहे हैं, रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम के भजन हो रहे हैं। इस एक भजन से समझ लीजिए ईश्वर अल्हा तेरे नाम की, कि कांग्रेस की सोच क्या है, इनकी सोच क्या है। ये भजन बोलने वाले कभी भी ना हिंसा कर सकते हैं, ना तोड़-फोड़ कर सकते हैं और पुलिस ने बाहर छावनी बना रखी है एआईसीसी दफ्तर के चारों ओर। क्या जरुरत थी, ये हमारा खुद का हेडक्वार्टर है। उसके अंदर आप आने की आप परमिशन नहीं दे रहे हैं। ऐसा तो इतिहास में पहली बार हुआ है। लेकिन सरकार राज्य की, दूसरी पार्टियों की वो इनके ऑफिस के अंदर जाने की परमिशन देगी या नहीं, अच्छी बात है क्या? ये परंपराएं ठीक नहीं हो रही हैं। इसलिए मैं कहना चाहूंगा कि जो बेरोजगारी है, महंगाई है, आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। 80 रुपए क्रॉस कर गया है डॉलर। ये चिंता का विषय होना चाहिए। जो चुनौतियां देश के सामने हैं - डोकलाम की हो या और कोई हो, पूरे विपक्ष को बुलाकर बातचीत करनी चाहिए। कोई दुश्मन तो होते नहीं हैं राजनीति के अंदर, ना होने चाहिए। पर ये दुश्मन मानते हैं हम लोगों को, विपक्ष को दुश्मन मानते हैं।
अभी भी हैदराबाद में भी मोदी जी ने कहा रीजनल पार्टियों के बारे में भी, सबको कि ये वंशवाद चल रहा है। तो ये जो इनका टारगेट है विपक्ष, पहले कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते थे, अब इनकी मंशा है, विपक्ष मुक्त भारत बने। डिक्टेटरशिप हो देश के अंदर। उस दिशा में देश जा रहा है। हर देशवासी को चिंता होनी चाहिए और मैं समझता हूं कि इनके रवैये जबसे आए हैं, तबसे देख रहे हैं, गोवा, मणिपुर, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र। ईडी इनका बहुत बड़ा डेमोक्रेसी में हथियार हो गया है सरकारों को गिराने का। इससे घटिया बात कोई हो नहीं सकती कि आप एक एजेंसी के माध्यम से मेंबर ऑफ पार्लियामेंट को डरा कर, धमका कर सरकारें बदलते हैं और गर्व महसूस करते हैं। इनकी अंतरआत्मा पता नहीं गर्व महसूस करती होगी कि शर्म महसूस करती होगी, वो तो मैं उनको पूछ नहीं सकता। पर हालात देश के यहीं हैं, जिसमें सब लोगों को लगता है कि ये हो क्या रहा है देश के अंदर।
इन स्थितियों में हम लोग चल रहे हैं और सीआरपीसी का जो प्रोसीजर है देश का, कोई गलती हुई है, तो एक प्रोसेस होता है। उसके अंतर्गत आप 15 साल से कम उम्र के लोगों को या महिला को नहीं बुला सकते हैं, सह सम्मान की बात करो। वैसे भी किसी भी अपराधी, जब आरोपित होता है, तो कम से कम जब तक वो सिद्ध नहीं हो कि इसने जुर्म किया है, तब तक आप कैसे उसको अपराधी मान सकते हैं, ये तो मामला और तरह का है। भाई, इनके लिए तो वही है कि जो इन्होंने ठान ली है, वो इन्हें पूरा करना है। इसलिए मैंने कहा देश में भय का माहौल है, देश में माहौल घुटन का है। इसको ये समझने का प्रयास नहीं कर रहे हैं।
गांधी परिवार को ही क्यों कर रहे हैं, जिन्होंने इतना सैक्रिफाइस किया, त्याग किया मोती लाल नेहरु जी के वक्त से ही, पंडित जवाहरलाल नेहरु जी की कोई उपलब्धि थी ही नहीं इनकी दृष्टि के अंदर। आज 75 वर्ष मना रहे हैं, अमृत महोत्सव। नाम तो एक से एक बढ़कर देने के लिए उनकी जो फितरत है, आज बीजेपी की, उसका तो कोई मुकाबला ही नहीं है। पर जिस प्रकार से ये अमृत महोत्सव मना रहे हैं, मैं कहना चाहूंगा इनसे कि आप हर घर तिरंगा लगाने की बात करते हैं, उससे पहले कम से कम देश की जो उपलब्धियाँ हैं, 75 वर्ष की, कि देश 1947 में क्या था, आज क्या है, वो तो बताओ देशवासियों को। वो गर्व महसूस करें और 13,14,15 को जो प्रोग्राम दिया गया है इनका हर घर तिरंगा, वो तो आगे आ सकें, ये तो करो कम से कम। पर आपको तो खाली परसेप्शन पैदा करके राजनीतिक लाभ उठाना है, उसके अलावा आपका कोई उद्देश्य नहीं है।
तो ये तमाम बातें हैं, जितनी करें, उतनी कम हैं आप लोगों से। आप लोग तो खुद एक्सपर्ट हैं, क्या हो रहा है देश के अंदर। हमें चिंता है कि जो प्रिमियर एजेंसी है, ईडी, सीबीआई, इंकम टैक्स उसकी क्रेडिबिलिटी कम कर रहे हैं ये दबाव देकर और इतना दबाव उन पर है, ये आप देख रहे हैं। दबाव में काम करें, प्राइवेटली वो खुद ही कह रहे हैं कि हम क्या कर सकते हैं, ऊपर से आदेश आ जाता है। एक दिन पहले कि छापा डाल आओ, जबकि पहले रेकी होती है, असेसमेंट होता है, उसके बाद छापे पड़ते हैं, लेकिन यहाँ तो कुछ और ही चल रहा है।
तो ये मामले बड़े गंभीर हैं। इसलिए मैंने सोचा कि आपसे रुबरु होऊं, इसी बहाने आपसे कुछ बातचीत भी होगी और जो हालात हैं, सबके सामने मैंने बता दिए आपको।
तो सोनिया गांधी जी को बुलाना, मैं इसकी निंदा करता हूं। इनको चाहिए था कि उनके घर जाकर वो बयान लेते, उनके लेना ही था तो। पहले तो कोई दम है नहीं इस केस के अंदर। नेशनल हेराल्ड जबसे मैं राजनीति में आया हूं, तबसे नेशनल हेराल्ड को देख रहा हूँ। ये अखबार स्वतंत्रता आंदोलन और स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ा हुआ है, लेकिन कंपनियों के सिस्टम होते हैं, उसके अंतर्गत वो उसको मजबूत करने के लिए प्रयास करते हैं। नेशनल हेराल्ड भी हिंदुस्तान टाइम्स की तरह, टाइम्स ऑफ इंडिया की तरह क्यों नहीं आगे बढ़ने का प्रयास करे, हालांकि पॉलिटिकल पार्टियों के अखबार उस लिमिट तक जाते ही नहीं है, हम जानते हैं। जैसे ‘पाञ्चजन्य’ उनका है, ‘ऑब्जर्वर’ है, कभी कांग्रेस ने कोशिश की कि उनको नेस्तनाबूद करने का और उसको बंद करने की? पर ये चाहते हैं कि अखबार नया खड़ा क्यों हो। तो दो बाते हैं – एक तो ये अखबार क्यों ये मजबूत बने। शुरुआत में इसको कष्ट कर दो, इसलिए तमाम इस केस को बनाकर उलझाया जा रहा है। नंबर दो- उदयपुर डिक्लेरेशन जो हुआ है, उदयपुर डिक्लेरेशन जिसमें पदयात्रा के कार्यक्रम भी थे, दो अक्टूबर था, भारत जोड़ो अभियान था, डिक्लेरेशन के अंदर जो भावना प्रकट हुई है देशवासियों के सामने कांग्रेस की, उससे मोदी जी, अमित शाह जी चिंतित हो गए। इसी दिन से तय कर लिया और तुरंत नोटिस दिए गए सोनिया जी को, राहुल जी को और उसी ढंग से आप देख रहे हैं कि जो तमाशा हो रहा है देश के अंदर। जिस रुप में बुलाया जा रहा है, 5 दिन तक, मेरे ख्याल से तो, मेरी दृष्टि में कभी देखा नहीं कि 5 दिन तक किसी को बुलाकर ईडी वाले बयान ले रहे हों, लगातार और घंटो। ऐसा एक भी केस देश में नहीं होगा। जबकि बड़े-बड़े केस देश के अंदर क्रिमिनल के होते हैं, मनी लॉन्ड्रिंग के होते हैं, पर उसमें हाथ नहीं डालेंगे और इनकी ईडी की हालत देखिए आप, करीब 1,700 छापे डाले हैं इन्होंने और 1,569 इसमें से इन्वेस्टिगेशन किए हैं, 0.5 प्रतिशत इनकी कनविक्शन रेट है। ये इनकी स्थिति है। तंग करो घंटो, दिनों तक पूछतात करते रहो, कई दिन तक। डिमोरलाइज कर दो उस परिवार को भी, उसके मिलने वालों को भी। उस पार्टी को भी जिससे वो संबंध रखता है, या सिंपैथी रखता है उसको, बाद में भूल जाओ उसको।
ये भी देखने में आ रहा है। जहाँ-जहाँ छापे डालते हैं, जहाँ-जहाँ कार्रवाई करते हैं, चुनाव खत्म हुआ नहीं, इनका मकसद पूरा होना चाहिए। अभी घबराए हुए हैं उदयपुर डिक्लेरेशन लेकर। मकसद पूरा होगा तो भूल जाएंगे कि कोई केस भी हमारे पास है। ये है इनकी स्थिति। बड़ी चिंताजनक स्थिति है। हम कोई घबराने वाले नहीं हैं।
सोनिया गांधी जी जबसे देश में आई हैं इटली से, खूब चलाया इन्होंने बाहर इंदिरा गांधी जी हैं, सोनिया गांधी जी इटली की हैं, क्या आपको एक व्यक्ति नहीं मिलता देश का कि जिसको आप कांग्रेस अध्यक्ष बना सको। ये जुमले हम सुनते थे बचपन से। बचपन के अंदर, 20-30 साल पहले भी। पर उस महिला ने जिस प्रकार की संस्कृति, संस्कार अपनाए देश के अंदर, हिंदुस्तान की महिला जो है, उससे वो कम नहीं है। बल्कि आज लोहा मानती हैं महिलाएं भी, पूरा देश भी लोहा मानता है। दुनिया का इतिहास जानता है, दुनिया के अंदर जो महिलाएं, जिनके पति के साथ हादसे हो गए, चाहे वो जॉन एफ. कैनेडी हो या कोई भी हो, वहाँ की महिलाओं में और यहाँ कि महिला, जिस रुप में इन्होंने अपना जीवन व्यतीत किया है और पार्टी के लिए जान लगा दी इन्होंने, उसे कांग्रेसजन कभी भूल नहीं सकता। इस परिवार की क्रेडिबिलिटी हाईएस्ट 76 साल के बाद में भी है। इसलिए आज पूरे देश के सभी भाषा जानने वाले, सभी जातियों, सभी वर्गों के लोग, सभी क्षेत्रों के लोग, चाहे वो नॉर्थ के हों, ईस्ट के हों, वेस्ट के हों या साउथ के हों, वो जुड़े क्यों हैं, बार-बार इनको ही आप क्यों लेकर चल रहे हैं। अरे लेकर ही नहीं चल रहे हैं, पूरे मुल्क के लोग जो आम लोग भी हैं, कार्यकर्ता हैं, उनका विश्वास इनके ऊपर है कि ये सबको साथ लेकर चलेंगे। तो राजनीति में बड़ा आवश्यक होता है, वो ही कामयाब होता है जो सबको साथ लेकर चलता है। इस परिवार की क्रेडिबिलिटी इतनी बड़ी है, ये सबको साथ लेकर चलेंगे, सबके साथ न्याय हो ऐसा सुनिश्चित करेंगे।
एक प्रश्न के उत्तर में श्री गहलोत ने कहा कि मैंने पत्र नहीं लिखा था, मैंने मेरे ऑफिस से इतल्ला करवाई थी कि मैं सीबीआई के डायरेक्टर से, ईडी के डायरेक्टर से मिलना चाहता हूँ, इंकम टैक्स के सीबीडीटी के चेयरमैन से। मैं उनको बताना चाहता हूँ कि आप लोगों के बारे में देश में क्या धारणा बन रही है। आप लोगों के खुद के जो फैसले हैं, रेड हो रही है, दमन हो रहा है लोगों का, उद्यमी हो, व्यापारी हो या और कोई राजनैतिक पार्टी से जुड़ा हुआ व्यक्ति हो, जो राजस्थान में प्रयास रहा है सरकार गिराने का, तब भी एक साथ में 5 जगह छापे पड़े थे, इधर मेरी मीटिंग चल रही है, उधर मेरे पीछे छापे पड़ रहे हैं। ये इंडस्ट्रियालिस्ट्स भी नहीं होते हैं, उनके यहाँ भी छापे डाल दो, ये मेन आदमी है तो कोई। ये सब धंधे उस वक्त भी इन्होंने किए थे, ये करते ही रहते हैं। इसलिए ये कोई नई बात हमारे लिए नहीं है।
उदयपुर हत्याकांड को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री गहलोत ने कहा कि वो तो आप समझ जाइएगा। उसी रात, जिस दिन केस हुआ था, अचानक ही एनआईए को केस सुपुर्द कर दिया गया। देश में इतनी घटनाएं हो रही हैं, उदयपुर की घटना ऐसी क्या थी? हमारी समझ के परे थी, बात रात को, अचानक ही एनआईए इस केस को देखेगी। हमने स्वागत किया, कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि एनआईए बड़ी एजेंसी है, नेशनल एजेंसी है, जिसका काम ही है, अगर राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय कोई ऐसी लिंक है किसी घटना का, तो जांच करनी चाहिए, उनको। हमने कोई एतराज नहीं किया उनका, पर ये एक संदेह पैदा करता है कि वो रात को ही कहते हैं कि एनआईए पिक्चर में आ गई, जबकि एक्चुअली हमने काम शुरु कर दिया था, दोनों अभियुक्तों को पकड़ लिया था, उनके संबंध जो हैं, बीजेपी के साथ हैं, वो तो जगजाहिर है। फोटोज की बात तो छोड़ दो, फोटोज अगर नेता के साथ में है, मिस्टर कटारिया जी ने कहा कि भई, फोटो तो हो ही सकती है, मैं भी मानता हूँ कि किसी के भी साथ फोटो हो सकती है, परंतु वो फोटो नहीं है एक , उसमें वो कैसे ज्वाइन कर रहे हैं बीजेपी को, दुपट्टा पहनाया जा रहा है, किस प्रकार से वो उनके साथ जुड़े हुए हैं, किस प्रकार उनके खिलाफ न कोई शिकायत पुलिस में हुई, तो बीजेपी नेता ने ही सिफारिश की थाने में कि भई हमारा कार्यकर्ता है, आप क्यों इस प्रकार से इनके खिलाफ एक्शन ले रहे हो? जबकि वो एक्शन ठीक था।
बार-बार जिसने थाने में सिफारिश की, जिस नेता ने, उसका और ये जो व्यक्ति हैं, मुख्य अभियुक्त है, मारने वाला, इसकी कई बार टेलिफोन पर बातें हुई हैं आपस में, दो-तीन दिन के अंदर, तो तमाम बातें ये सिद्ध करती हैं कि ये टोटली बीजेपी के साथ जुड़े हुए थे, मारने वाले और बीजेपी उसमें एक्सपोज हुई है, पूरे देश के अंदर। ऐसा नहीं है कि वो समझते नहीं है, समझते भी हैं कि बीजेपी से लिंक था, उसी रुप में इनका बैकग्राउंड ये है, तो वो ये छुपा नहीं सकते हैं, चाहते हुए भी।
अब मैं ये चाहता हूँ, बजाए हम लोग कोई बात करें, ऐसी कोई कार्रवाई करें, तो उसमें लगेगा कि ये जानबूझकर तंग कर रहे होंगे, क्योंकि जो राजनैतिक माहौल बना हुआ है, देश के अंदर उसमें सही क्या है, गलत क्या है, इसका तो कोई सबूत ही नहीं है। तो हम चाहते हैं कि एनआईए को चाहिए कि ये जो घटना हुई है, इसके बैकग्राउंड पर जाए; वास्तव में क्या लिंक था इनका बीजेपी के साथ, किस हद तक था, क्यों था, बाद में उसी व्यक्ति ने इतनी हिम्मत कैसे कर ली, जब मालूम है कि आज बीजेपी का एजेंडा क्या है, उसके बाद में ये कन्हैया लाल की हत्या करने के मायने क्या हैं?
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