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कश्मीर से संबंधित मुस्लिम संस्थाओं और प्रमुखों का सर्वसम्मती से पारित प्रस्ताव

“देश की एकता व अखंडता प्रत्येक नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। किसी भी दशा में इस पर समझौता नहीं किया जा सकता। संविधान में समानता,सबके साथ न्याय और मानव अधिकारों का उद्देश्य भी देश की एकता अखंडता की सुरक्षा है।

By: वतन समाचार डेस्क

नई दिल्ली २8 अगस्त 2019: देश की वर्तमान स्थिति पर विचार करने के लिए मुस्लिम संस्थाओं और प्रमुख नेताओं की एक संयुक्त बैठक जमीयत उलेमा ए हिंद के मुख्यकार्यालय में संपन्न हुई ।जिसमें मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी साहब अध्यक्ष जमीअत उलमा ए हिंद,जनाब सआदतुल्लाह हुसैनी,अमीर जमात इस्लामी हिंद, मौलाना असगर अली इमाम महदी सल्फी अमीर जमीअत अहले हदीस हिंद, मौलाना महमूद असअद मदनी, महासचिवजमीयत उलेमा ए हिंद, डॉक्टर ज़फर महमूद चेयरमैन ऑल इंडिया ज़कात फाउंडेशन, डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खां चेयरमैन अल्पसंख्यक आयोगदिल्ली, मौलाना तनवीर हाशमी अध्यक्ष जमाते अहले सुन्नत कर्नाटक, जनाब मुज्तबा फारुख महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस मशावरत,जनाब कमाल फारुकी सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, जनाब एम जे खां साहब चेयरमैन इंडिया काउंसिल ऑफ फूड एंडएग्रीकल्चर,एडवोकेट शकील अहमद सैयद साहब, मौलाना नियाज़ अहमद फारुकी साहब एडवोकेट,मौलाना शब्बीर नदवी साहब मोहतमिम मदरसाइस्लाहुल बनात बेंगलुरु, मौलाना मुईजुददीन अहमद साहब,मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी साहब,मौलाना हकीमुद्दीन साहब ने भाग लिया। सभा मेंकश्मीर के संबंध में अत्यधिक चर्चा-विचार विमर्श के पश्चात निम्नलिखित प्रस्ताव पास किया गया :-

“देश की एकता व अखंडता प्रत्येक नागरिक का प्रथम कर्तव्य है। किसी भी दशा में इस पर समझौता नहीं किया जा सकता। संविधान में समानता,सबके साथ न्याय और मानव अधिकारों का उद्देश्य भी देश की एकता अखंडता की सुरक्षा है। संवैधानिक उद्देश्यों को नज़र अंदाज़ करके हम देश में नतो सुख शांति स्थापित रख सकते हैं और न ही जबरदस्ती वफादारी खरीद सकते हैं । कश्मीर में धारा 370 को संवैधानिक स्तर पर लागू किया गयाथा और उसे संवैधानिक तौर पर ही हटाया जा सकता है। फिलहाल जो तरीका अपनाया गया उस पर अहम प्रश्न और विरोध प्रकट किए गए हैं जोकिइस समय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं । हमें सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास करना चाहिए और उसके निर्णय के अनुसार कदम उठाने चाहिए । जब तककि यह बात स्पष्ट न हो जाए कि धारा 370 का हटाया जाना पूरी तरह संवैधानिक है या नहीं।

हमें कश्मीरी जनता के मूलभूत अधिकारों का समर्थन, शांति व्यवस्था की स्थापना और सामान्य जनजीवन की बहाली पर सरकार का ध्यानआकर्षित करना चाहिए। कर्फ्यू की समाप्ति, संचार व्यवस्था पर प्रतिबंध का हटाया जाना और स्वास्थ्य सेवाओं- सुविधाओं की उपलब्धता , शैक्षिकसंस्थानों का तुरंत खुलना- बहाल होना आवश्यक है। इसके लिए सरकार तुरंत कदम उठाये।

 

 इसी के साथ हम वर्तमान परिस्थितियों में नौजवानों से अपील करते हैं कि वह विरोधी शक्तियों ,शत्रुओं और गैर ज़िम्मेदार( भ्रमित करने वाली )मीडिया के बहकावे में आकर सोशल मीडिया पर आधारहीन समाचारों और अफवाहों को प्रकाशित करने में भाग न लें । यह व्यवहार न सिर्फ इनकेलिए बल्कि इनके परिवार और इनकी पूरी कम्युनिटी  (समाज) के लिए हानिकारक है”

 

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