Hindi Urdu TV Channel

NEWS FLASH

सच्चर और कुंडू कमेटी के बाद एक और रिपोर्ट आई, दिल्ली के मुसलमानों की स्थिति चिंताजनक

आईएमआईएफ (IMIF) ने जारी की रिपोर्ट, कलीम उल हफीज, आशुतोष, कमर आगा, उर्मिलेश, अबरार अहमद IRS, यूसुफ अंसारी, मुजफ्फर हुसैन गजाली, डॉ. जावेद, खालिद खान, मुजतबा फारूक, इंजीनियर सलीम, कासिम रसूल इलियास, ख्वाजा शाहिद और वतन समाचार के संपादक मुहम्मद अहमद हुए शामिल

By: वतन समाचार डेस्क

सच्चर और कुंडू कमेटी के बाद एक और रिपोर्ट आई, दिल्ली के मुसलमानों की स्थिति चिंताजनक

 

आईएमआईएफ (IMIF) ने जारी की रिपोर्ट, कलीम उल हफीज, आशुतोष, कमर आगा, उर्मिलेश, अबरार अहमद IRS, यूसुफ अंसारी, मुजफ्फर हुसैन गजाली, डॉ. जावेद, खालिद खान, मुजतबा फारूक, इंजीनियर सलीम, कासिम रसूल इलियास, ख्वाजा शाहिद और वतन समाचार के संपादक मुहम्मद अहमद हुए शामिल

 

 

दिल्ली के मुसलमानों की स्थिति पर एक शोध रिपोर्ट का विमोचन

 

"दिल्ली के मुसलमान: उनकी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर एक अध्ययन" के शीर्षक से एक रिपोर्ट दिल्ली स्थित थिंक टैंक, इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज एंड एडवोकेसी (IPSA) और इंडियन मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम (IMIF) ने संयुक्त रूप से रविवार को होटल रिवर व्यू, जामिया नगर, नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में प्रमुख शिक्षाविदों और मीडियाकर्मियों की उपस्थिति में जारी की। इस समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर ख़्वाजा मोहम्मद शाहिद, पूर्व वीवीसी एमएएनयूयू हैदराबाद ने की जबकि सत्या हिंदी के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष, नयूज़क्लिक के उर्मिलेश, सीनियर जर्नलिस्ट क़मर आग़ा, शाह टाइम्स के युसुफ अंसारी, यूएनएन के मुज़फ़्फ़र हुसैन ग़ज़ाली वग़ैरह ने रिपोर्ट पर अपने विचार रखे और इसकी प्रशंसा की। शुरू में इस शोध की टीम के डा. जावेद आलम ख़ान, डा. ख़ालिद ख्रान और कलीमुल हफिज़ ने रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताया। संचालन वतन समाचार के संपादक मोहम्मद अहमद ने किया।

 

इस अध्ययन में दिल्ली के मुसलमानों के विकास के संदर्भ में अल्पसंख्यक योजनाओं, रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रहन-सहन की स्थिति और राजनीतिक प्रभाव के लिए उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण शामिल है जो जनगणना, एनएसएसओ राउंड, राष्ट्रीय स्वस्थ्य और परिवार सर्वे और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण सहित कई प्रामाणिक स्रोतों पर आधारित है। प्राथमिक डेटा स्रोत के रूप में एमसीडी के मुस्लिम बहुल वार्डों से सार्वजनिक धारणाओं की भी विवेचना की गई। संबंधित डेटा दिल्ली में कांग्रेस से आप के नेतृत्व वाली सरकार में राजनीतिक परिवर्तन की अवधि के साथ मेल खाता है और इस प्रकार, वे एक नए शासन के तहत इस समुदाय की प्रगति के बारे में एक मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

 

अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक विभाग के विकास के लिए समग्र राज्य बजट में वित्तीय हिस्सा, जो सीधे मुसलमानों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की 83% आबादी की देखभाल करता है, 2013 में 0.98% से कम हो कर 2015 के बाद से लगभग 0.60% रह गया है, हालांकि वास्तविक राशि में समग्र राज्य बजट के साथ-साथ इस मद में भी पिछले वर्षों में आंशिक रूप से वृद्धि हुई है। राज्य में कमजोर वर्गों के लिए सार्वजनिक प्रावधान में स्थिरता दिखाने वाली एकमात्र योजना आरटीई के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए वित्तीय सहायता है। यह भी रेखांकित किया गया है कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग, दिल्ली वक्फ बोर्ड, एनएमएफडीसी, उर्दू अकादमी आदि जैसी स्वायत्त एजेंसियां ​​अपने वांछित स्तर पर काम नहीं कर रही हैं।

 

राज्य के शिक्षा विभाग की विशेष उपलब्धियों के प्रचार के बीच दिल्ली के मुसलमानों का शैक्षिक प्रदर्शन किसी भी आशाजनक स्थिति को प्रकट नहीं करता है, हालांकि उनकी साक्षरता दर कई अन्य राज्यों की तुलना में कुछ बेहतर है। निरक्षरों के मामले में मुस्लिम पुरुषों (15%) और महिलाओं (30%) के बीच एक बड़ा लैंगिक अंतर है, जो राष्ट्रीय औसत के विपरीत है। मुस्लिम इलाकों में सरकारी शिक्षण संस्थानों के वितरण में वर्तमान सरकार के तहत भी सुधार नहीं हुआ है, जैसा कि इस तथ्य से पता चलता है कि राज्य सरकार और एमसीडी द्वारा संचालित मुस्लिम बहुल वार्डों में प्रति वार्ड औसतन 4 स्कूल हैं, जबकि सभी वार्डों में यह संख्या 10 है।

 

राष्ट्रीय राजधानी में 8.6 की तुलना में मुसलमानों के लिए बेरोजगारी दर 11.8% दर्ज की गई है और वे आमतौर पर कम वेतन वाली नौकरियों और व्यावसायिक गतिविधियों में पाये गये।

 

दिल्ली में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 2015 में 37 से बढ़कर 2020 में 54 हो गई है और राज्य में अच्छी स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे के दावों के बावजूद यह एक चिंता करने वाली स्थिति है। मुसलमान इस स्थिति से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं क्योंकि ग़ैर-संस्थागत जचगी के मामले में सर्व दिल्ली के आंकड़े 8.2% की तुलना में उनके लिए यह सबसे अधिक,13.7% है।

 

रहन-सहन की स्थिति के संदर्भ में, रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के कुल निवासियों के 76.3% के विपरीत केवल 69.70% मुस्लिम पाइप से पीने के पानी का उपयोग करते हैं।

 

अध्ययन में पाया गया है कि दिल्ली में मुसलमानों की गंभीर स्थिति के प्रमुख कारणों में से एक यह है कि निर्णय लेने वाली संस्थाओं में उनका अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है। जैसे कि दिल्ली में मुस्लिम विधायकों की संख्या 5.5% के आसपास स्थिर है, जो राज्य में उनकी आबादी का लगभग एक-तिहाई है। एमसीडी में उनका …

ताज़ातरीन ख़बरें पढ़ने के लिए आप वतन समाचार की वेबसाइट पर जा सक हैं :

https://www.watansamachar.com/

उर्दू ख़बरों के लिए वतन समाचार उर्दू पर लॉगिन करें :

http://urdu.watansamachar.com/

हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें :

https://www.youtube.com/c/WatanSamachar

ज़माने के साथ चलिए, अब पाइए लेटेस्ट ख़बरें और वीडियो अपने फ़ोन पर :

https://t.me/watansamachar

आप हमसे सोशल मीडिया पर भी जुड़ सकते हैं- ट्विटर :

https://twitter.com/WatanSamachar?s=20

फ़ेसबुक :

https://www.facebook.com/watansamachar

यदि आपको यह रिपोर्ट पसंद आई हो तो आप इसे आगे शेयर करें। हमारी पत्रकारिता को आपके सहयोग की जरूरत है, ताकि हम बिना रुके बिना थके, बिना झुके संवैधानिक मूल्यों को आप तक पहुंचाते रहें।

Support Watan Samachar

100 300 500 2100 Donate now

You May Also Like

Notify me when new comments are added.

Poll

Would you like the school to institute a new award, the ADA (Academic Distinction Award), for those who score 90% and above in their annual aggregate ??)

SUBSCRIBE LATEST NEWS VIA EMAIL

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.

Never miss a post

Enter your email address to subscribe and receive notifications of latest News by email.