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आम्रपाली के मालिकानों पर संगीन आरोप, ग्राहकों के फ्लैट... अन्य

By: वतन समाचार डेस्क
Supreme Court orders sealing of nine properties of Amrapali group

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर: आम्रपाली के मालिकानों को लेकर रोज़ नए नए इंकेशाफ़ात हो रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय के जरिये शिकंजा कसने के बावजूद आम्रपाली बिल्डर कम्पनी समूह के मालिक अनिल शर्मा ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जांच के बावजूद मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते दो माह में नोएडा व ग्रेटर नोएडा के अपने कई प्रोजेक्ट के उन तमाम फ्लैट को बेच दिया जिनमें ग्राहकों के कम पैसा जमा हुए थे।
रिपोर्ट के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय ने उसके सभी खातों को कुछ माह पहले सील कर दिया है. उसकी जांच चल रही है. रिपोर्ट के अनुसार ऐसे फ्लैट को उसने 2000 से लेकर 2500 रुपये वर्ग फीट की दर से बेचा है. इसी तरह से इसने अपने सभी प्रोजेक्ट में भवन निर्माण के लिए जो सामान खरीदा था इस कम्पनी से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है कि आम्रपाली के तीनों मालिक अनिल शर्मा, अजय कुमार और शिव प्रिया ने आम्रपाली में अपने नातेदारों, रिश्तेदारों व अपनी जाति वालों को विभिन्न पदों पर भर रखा है.
 रिपोर्ट के अनुसार इन सभी ने बीते दो से तीन महीने में फ्लैट व सामान अवैध रूप से बेचने में मदद की. इनका कहना है कि नोएडा सेक्टर 76 में आम्रपाली सिलिकान सिटी का मेंटिनेंस का इन्चार्ज जो व्यक्ति है उसको एक वर्ष से तनख्वाह नहीं मिली है. फिर भी उसने नई क्रेटा कार खरीदी है. उधर सुरक्षा में लगे गार्ड को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं. बिजली बिल भुगतान के पैसे नहीं हैं और आम्रपाली के मालिकानों व उनके चहेते कर्मचारियों का जीवन अच्छी तरह चल रहा है.
 आम्रपाली कम्पनी समूह के एक पूर्व कर्मचारी का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के कड़े रूख के बाद जब कम्पनी के मालिकों को लगा कि अब बचना मुश्किल है तो उसके कई निदेशकों ने अपनी कई अति महंगी कारें, मकान, जायदाद आदि बीते तीन माह में या तो अपने रिश्तेदारों, खास दोस्तों, घनिष्ठ लोगों के नाम कम दाम पर बेचा हुआ दिखा दिए हैं या बेच दिए हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए.
सूत्रों के अनुसार आम्रपाली के मालिकानों ने अपने कई कार्यालयों से बहुत से दस्तावेज पहले ही हटवाकर कहीं और रखवा दिये हैं. मालूम हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने अनिल ,अजय व शिव प्रिया को फोरंसिक जांच के लिए आम्रपाली समूह की 46 कम्पनियों के दस्तावेज आडिटर को देने को कहा था, लेकिन इन तीनों ने मात्र 2 कम्पनियों के दस्तावेज (वह भी आधे-अधूरे) फोरेंसिक जांच के लिए दिए. उस पर न्यायालय ने तीनों को 9 अक्टूबर 2018 को पुलिस हिरासत में भेज दिया.
 इसी दौरान इन पर ग्राहकों का 2740 करोड़ रुपये कहीं और लगाने, उनके साथ धोखाधड़ी करने, न्यायालय को दिये हलफनामे में धोखाधड़ी करने के मामले की भी फाइल खुलेगी, केस पर सुनवाई होगी. इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के वकील विनयप्रीत सिंह का कहना है कि आम्रपाली बिल्डर कम्पनी समूह के कर्ताधर्ता, प्रबंध निदेशक ,निदेशकों ने ग्राहकों के साथ जिस तरह से हद से बाहर जाकर यह सब किया है , ग्राहकों को दरदर भटकने के लिए मजबूर कर दिया है, सड़क पर ला दिया है, उसको लेकर सर्वोच्च न्यायालय का रूख बहुत कड़ा है. और इन्साफ की पूरी उम्मीद है.

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