केजरीवाल राज में भी हिजाब पर पाबन्दी लगाने, कट्टर वोटों को अपने हक़ में मोड़ने का प्रयास?
दिल्ली के मुस्तफाबाद का मामला, छठी कक्षा की छात्र को हिजाब पहनने से रोका
माना जा रहा है कि केजरीवाल सरकार इस फैसले से हिजाब विरोधी लोगों को अपने हक़ में करना चाहती है और अपने कुछ मुस्लिम विधायकों के ज़रिये आरएसएस को बुरा-भला कहलवा कर मुसलामानों को अपने पक्ष में करना चाहती है, सरकार की मंशा है कि कोई भी वोट उस से छूटने न पाए
कर्नाटक का हिजाब मामला धीरे धीरे कर्नाटक से निकल कर पूरे देश में फैलता जा रहा है। कर्नाटक के उडुपी में सरकारी महिला पीयू कॉलेज में हिजाब पहनने के लिए छह मुस्लिम छात्राओं को उनकी कक्षा में प्रवेश से वंचित करने के बाद, इस तरह की कई घटनाएं पहले राज्य में और अब पूरे देश में शैक्षणिक संस्थानों में सामने निकल कर आई हैं।
हाल ही में दिल्ली के तुखमीरपुर से नया मामला सामने आया है। जिसमे सीनियर सेकेंडरी गर्ल्स स्कूल में कक्षा 6 की छात्रा जिनका नाम फातिमा बताया जा रहा है उन्हें कक्षा में प्रवेश से मना कर दिया गया। जबकि कारण जानने पर पता लगा कि, सारी कक्षाएं सामान्य तौर से स्कूल में आ कर होंगी। वही सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में यह देखा जा सकता है कि किस प्रकार छात्रा को हिजाब हटाने के लिए समझाया जा रहा है।
छात्रा के पिता मोहम्मद अय्यूब से बातचीत की गई। उनका कहना है कि, “21 फरवरी को मेरी दस साल की बेटी अपनी क्लास अटेंड करने गई थी। उसकी कक्षा में प्रवेश करने पर, उसके दोस्त, जो मुस्लिम हैं, अध्यापक के दिशा निर्देशानुसार फातिमा को हिजाब हटाने के लिए कहा।
इतना ही नहीं, छात्रा के पिता अध्यापक पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि हिजाब पहनने की वजह से बेटी फातिमा को सभी लोगो के सामने शर्मसार किया गया।
पिता अय्यूब के पहुंचने और अध्यापिका से सवाल करने पर उन्हें बताया गया कि विद्यालय परिसर के अंदर हिजाब हटाने का निर्देश दिल्ली सरकार की एक कथित नीति का अनुरूप है।
वहीं मोहम्मद अय्यूब ने यह भी आरोप लगाया कि, “प्रिंसिपल ने मुझसे कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि सभी छात्र एक जैसे कपड़े पहनें और वह सिर्फ दिए गए आदेश का पालन कर रही है। वहीं जब मैंने प्रिंसिपल से कहा कि यह बात कैमरे पर कहें या मुझे कोई कानूनी नोटिस दिखाएं तो कमरे में मौजूद चार शिक्षकों ने मेरा फोन छीन लिया और प्रिंसिपल को देखते हुए मेरे साथ मारपीट करने लगे। वे सभी महिलाएं थीं, इसलिए मैं कुछ नहीं कर सकता था।”
इतना ही नहीं, अय्यूब बताते हैं कि बाद में जब प्रिंसिपल से सवाल किया गया तो उन्होंने अपने बयान पर पलटवार किया और कहा कि हालांकि कोई औपचारिक आदेश नहीं है, लेकिन वह कुछ छात्रों को स्कूल की अन्य लड़कियों से "अलग दिखने" की अनुमति नहीं दे सकती हैं।
जबकि चौकाने वाली बात यह है कि प्रिंसिपल सुशीला देवी से संपर्क करने पर उन्होंने इस तरह की किसी भी घटना होने से इनकार किया।
हालांकि कर्नाटक में पहली घटना के बाद, हिजाब पहनने वाले छात्रों ने निर्णय लिया कि वह इस विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर ले जायेंगे और इसका हल निकलेंगे। दूसरी ओर बता दें कि इस मामले की सुनवाई फिलहाल Karnataka High Court की फुल बेंच कर रही है। 8 फरवरी को, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य में स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था क्योंकि छात्र इस मुद्दे के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। हालाँकि, स्कूलों के फिर से खुलने के बाद भी, इन कथित 'हिजाब बैन' के और भी मामले सामने आए।
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