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रोगी मीडिया की बेलगामी पर सरकार से जवाब तलब

नियमानुसार सरकार ने इन टीवी चैनलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की?

By: वतन समाचार डेस्क
  1. रोगी मीडिया की बेलगामी पर सरकार से जवाब तलब
  2. नियमानुसार सरकार ने इन टीवी चैनलों के खिलाफ क्या कार्यवाई की?
  3. सुप्रीम कोर्ट का केंद्र और प्रेस काउंसिल आफ इंडिया को नोटिस, 15 जून तक जवाब दाखिल करने का आदेश
  4. केंद्र और प्रेस काउंसिल से अदालत ने जवाब मांगा, जमीअत उलमा-ए-हिन्द की पहली बड़ी सफलताः मौलाना अरशद मदनी

 

नई दिल्ली 27 मई: लगातार ज़हर फैला कर और झूठी खबरें चलाकर मुसलमानों की छवि को दागदार और हिंदुओं और मुसलमानों के बीच नफरत की दीवार खड़ी करने की जानबूझ कर साज़िश करने वाले टीवी चैनलों के खिलाफ दाखिल की गई जमीअत उलमा-ए-हिन्द की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट आॅफ इंडिया में सुनवाई हुई जिसके दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि वह याचिकाकर्ता को बताए कि इस संबंध में सरकार ने केबल टेलीविजन नेटवर्क कानून की धाराओं 19 और 20 के तहत अब तक इन चैनलों पर क्या कार्रवाई की है? इसके साथ ही अदालत ने जमीअत उलमा-ए-हिन्द को ब्राडकास्ट एसोसिएशन को भी फरीक़ बनाने का आदेश दिया। अदालत ने आज साॅलिसिटर जनरल आॅफ इंडिया तुषार मेहता से कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है जिससे शांति व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है इसलिये सरकार को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए, इसी बीच वरिष्ठ वकील दुश्यंत दवे ने कहा कि यह बेहद संवेदनशील मामला और अदालत को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि अदालत को इस संबंध में जानकारी है। स्पष्ट रहे कि पिछली 13 अप्रैल की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने प्रेस काउंसिल आॅफ इंडिया को भी फरीक़ बनाने का आदेश दिया था, जिसके बाद आज सुनवाई हुई, इस दौरान अदालत ने जमीअत उलेमा-ए की ओर से दाखिल याचिका केंद्र सरकार को उपलब्ध कराने के साथ सरकार को नोटिस जारी करते हुए 15 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा तथा ब्राडकास्ट एसोसिएशन को भी फरीक बनाने का आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी हालांकि आज आशा की जा रही थी चीफ जस्टिस इस संबंध में कुछ निर्णय जारी करेंगे।

    जमीअत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने आज की प्रगति पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद थी कि माननीय अदालत आज निर्णय जारी करेगी लेकिन उसने जिस तरह केबल टीवी नेटवर्क कानून की धाराओं 19-20 के तहत बेलगाम टीवी चैनलों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर केंद्र और प्रेस काउंसिल आॅफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए उस पर जवाब मांगा है वह एक बहुत आशाजनक बात है और जमीअत उलमा-ए-हिन्द की सफलता का पहला कदम है, मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिन्द यह कानूनी लड़ाई हिंदू-मुस्लिम के आधार पर नहीं लड़ रही है बल्कि उसकी यह लड़ाई देश और राष्ट्रीय एकता के लिए है जो हमारे संविधान की मूल भावना है और देश के संविधान ने हमें जिसका अधिकार दिया है, ऐसे मामले में हम अपने उसी अधिकार का उपयोग करते हुए अदालत का रुख करते हैं जहां से हमें न्याय भी मिलता है। इस महत्वपूर्ण मामले में भी हमारा कानूनी संघर्ष तब तक जारी रहेगी जब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आजाता, निर्णय में हालांकि देरी हो रही है लेकिन मीडिया ने पिछले कुछ महीनों में अपनी उत्तेजना से नफरत का जो माहौल बनाया था, कोरोना वायरस के हमले के बाद लाॅकडाउन में पैदा हुई स्थिति में इस देश के मुसलमानों ने गरीबों, मज़दूरों और तबाह हाल लोगों की धर्म से ऊपर उठकर मानवता के आधार पर अदभुत सेवा करके उस नफरत को प्यार में बदल दिया है। हमें इस बात की खुशी है कि मुसलमानों ने अपने व्यवहार से न केवल बता दिया कि वे देश के शांतिप्रिय नागरिक हैं बल्कि यह भी बता दिया कि हर मुसीबत की घड़ी में वह एक देशभक्त नागरिक की तरह इस देश की जनता की निस्वार्थ सेवा करने के लिए तैयार हैं, उनका यह व्यवहार देश के पक्षपाती मीडिया के मुंह पर एक ऐसा तमाचा है जिसकी गूंज वह देर तक महसूस करते रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बेसहारा मज़दूरों और गरीबों की मुस्लिम समुदाय ने जगह-जगह रमज़ान के महीने में भी अपनी भूख और प्यास न महसूस करते हुए जिस तरह धूप और शरीर को झुलस देने वाली लू में मदद की इसका उदाहरण कम से कम देश की आज़ादी के बाद के इतिहास में नहीं मिलेगा। हम शांतिप्रिय नागरिक हैं और देश के संविधान के साथ-साथ न्यायपालिका पर भी भरोसा करते हैं इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले में अदालत का जो भी फैसला आएगा उसका बेहद सकारात्मक और दूरगामी परिणाम होगा।

    आज की न्यायिक कार्यवाई के बाद गुलज़ार आज़मी ने कहा कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आज कोई निर्णय जारी नहीं किया लेकिन अदालत का सरकार से जवाब मांगना सकारात्मक बात है। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ब्राडकास्ट एसोसिएशन को जल्द ही फरीक़ बनाकर इस मामले की सुनवाई शीघ्र हो इस संबंध में प्रयास करने का निर्देश एडवोकेट आॅनरिकाॅर्ड को दिया गया है। आज चीफ जस्टिस आॅफ इंडिया ए.एस. बोबड़े, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय पर आधारित तीन सदस्यीय बेंच को वरिष्ठ एडवोकेट दुश्यंत दवे (अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) ने बताया कि तब्लीगी मरकज़ को आधार बनाकर पिछले दिनों मीडिया ने जिस तरह अपमानजनक अभियान शुरू किया यहां तक कि इस प्रयास में पत्रकारिता के उच्च नैतिक मूल्यों को भी कुचल दिया गया इससे मुसलमान न केवल यह कि बहुत आहत हुए हैं बल्कि उनके खिलाफ पूरे देश में घृणा में वृद्धि हुई है।

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