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बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी और उनकी AIMIM

हथकंडों का जाल फैलाने वाली भाजपा आज पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। जब जब मोदी जी को हार नजर आती है, तब तब वो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को अपने झोले से वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बाहर निकालते हैं - ताकि हिंदू-मुसलमान की सियासत में विकास और तरक्की की नाकामी छिप जाएं और सरकारों से सवाल न पूछे जाएं।

By: Press Release
  • बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी और उनकी AIMIM

  • असदुद्दीन ओवैसी है ‘भाजपाई तोता’- वोट ध्रुवीकरण की ‘काठ की हांडी’ होगी फेल

  • बिहार बेकरार है, तैयार है बदलाव के लिए, नई उम्मीदों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के साथ। महागठबंधन की जीत बिहार के उज्ज्वल भविष्य की ग्यारंटी है।

 

हथकंडों का जाल फैलाने वाली भाजपा आज पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। जब जब मोदी जी को हार नजर आती है, तब तब वो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को अपने झोले से वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बाहर निकालते हैं - ताकि हिंदू-मुसलमान की सियासत में विकास और तरक्की की नाकामी छिप जाएं और सरकारों से सवाल न पूछे जाएं।

 

इतना ही नहीं, असदुद्दीन ओवैसी के भाषणों की स्क्रिप्ट भी भाजपा बनाती है और स्क्रिप्ट को धार भी भाजपा कार्यालय में दी जाती है।

 

आइए ‘भाजपा-असदुद्दीन ओवैसी’ के गठजोड़ की गाँठ खोलते हैंः-

 

1) तेलंगाना प्रांत से आने वाले ओवैसी तेलंगाना में सिर्फ हैदराबाद के पुराने शहर के तथाकथित नेता हैं। तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से सिर्फ 9 सीटों पर ही चुनाव लड़ते हैं। तेलंगाना की एक ऐसी पार्टी, जिसका अस्तित्व ही 9 सीटों पर चुनाव लड़ना हो, वो बिहार के सीमांचल में 24 सीटों पर किसकी मदद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं?

 

2) जो राजनैतिक दल अपने खुद के प्रदेश तेलंगाना में पुराने शहर के बाहर नहीं लड़ता, वो  महाराष्ट्र, यूपी, झारखंड, बिहार जैसे प्रान्तों में आखिर क्यों चुनाव लड़ता है? ये आज विचार का विषय है और वो भी सिर्फ विशेष इलाकों में।

 

3) तेलंगाना में ओवैसी का गठबंधन सत्ताधारी ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ (TRS) से है। पर TRS तो मोदी समर्थक है। अर्थात TRS की पीठ पर सवार असदुद्दीन ओवैसी फिर क्या मोदी समर्थक नहीं?

 

4) TRS सीएए-एनआरसी (CAA-NRC) का कट्टर समर्थक है और मोदी के साथ खड़ा है। पर असदुद्दीन ओवैसी TRS के साथ है। परोक्ष रूप से यह भाजपा का समर्थन नहीं, तो क्या?

 

5) बिहार में असदुद्दीन ओवैसी ‘बसपा’ के साथ गठबंधन में है। बसपा ने हाल में ही उत्तर प्रदेश में भाजपा को समर्थन दिया है। तो फिर क्या असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM परोक्ष रूप से भाजपा समर्थक नहीं?

 

6) आंध्रप्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी ने जगनमोहन रेड्डी की YSR पार्टी का समर्थन किया और चुनावी सभाएं कीं। अब जगनमोहन रेड्डी भी NDA का हिस्सा हैं। तो फिर असदुद्दीन ओवैसी परोक्ष रूप से भाजपा के समर्थक नहीं?

 

7) हैदराबाद में पिछले 15 दिनों में जल भराव से 15 लोग मर गए और तेलंगाना में कुल 50। पर अपने संसदीय क्षेत्र हैदराबाद में जल भराव से मरने वाले लोगों की खैर खबर लेने की बजाय, ओवैसी जी सीमांचल को बाढ़मुक्त करने के झूठे वादे कर वोट बटोरने में व्यस्त हैं। जो तेलंगाना की राजधानी, हैदराबाद में अपने संसदीय क्षेत्र में जल भराव से होने वाली मौतों को नहीं रोक सकता, वह सीमांचल के बाढ़ प्रबंधन का क्या इंतजाम करेगा?

 

8) ‘फूट डालो और बंटवारा करो’ की भाजपाई रणनीति ओवैसी जी अब सीमांचल में भी ले आए हैं। जोकीहाट, अररिया में श्री सरफराज़ आलम के खिलाफ उन्हीं के सगे भाई, शाहनवाज़ आलम को AIMIM का उम्मीदवार बना परिवार तक को बांट डाला। ऐसे लोग बिहार और सीमांचल का क्या करेंगे?

 

9) एक छोटा सा राजनैतिक दल मोदी जी के 2014 में सत्ता में आने के बाद यकायक किसके इशारों पर हैलीकॉप्टरों से प्रचार करता है, बड़े बड़े शामियानों में जलसे करता है, भाजपाई स्वरों को अपने गले की आवाज देता है? ये साधन कहां से आ रहे हैं और कौन जुटा रहा है?

 

10) मोदी जी ने सब राजनैतिक विरोधी पार्टियों के खिलाफ ईडी-सीबीआई-इंकम टैक्स का खुला खेल खेला है और दुरुपयोग किया है। क्या कारण है कि असदुद्दीन ओवैसी और उसकी पार्टी की ओर कभी ईडी-सीबीआई और इंकम टैक्स ने कभी मुंह उठाकर नहीं देखा?

 

भाजपाई सत्ता का ‘अतिथि कलाकार’ असदुद्दीन ओवैसी पूरी तरह बेनकाब हो चुका है। ज्यादा दिन भाजपा AIMIM नाम की काठ की हांडी वोटों के ध्रुवीकरण के लिए नहीं चढ़ा सकती।

 

आइए बिहार में युवाओं के रोजगार, किसानों का कर्ज माफ, बिजली बिल हाफ, बेटियों को मुफ्त शिक्षा का इंसाफ, शिक्षा-उद्योगों की तरक्की, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक भाइयों और बिहार की तरक्की पक्की वाली महागठबंधन सरकार बनाएँ। बिहार को देश का अव्वल राज्य बनाएँ।

 

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